मुआवजा का वितरण बना सिरदर्द
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लापरवाही. ओलावृष्टि से क्षतिग्रस्त हुई थी फसल, एक साल बाद भी किसानों को राहत नहीं
मुआवजा का वितरण बना सिरदर्द ओलावृष्टि से क्षतिग्रस्त हुए फसलों के मुआवजा की राशि एक वर्ष बीत जाने के बाद भी किसानों को नहीं मिल पाया है. सरकार द्वारा किसानों के लिये स्वीकृत की गयी इस राशि को किसानों तक पहुंचने में कितना समय लगेगा यह कोई भी बताने की स्थिति में नहीं है. परबत्ता […]
ओलावृष्टि से क्षतिग्रस्त हुए फसलों के मुआवजा की राशि एक वर्ष बीत जाने के बाद भी किसानों को नहीं मिल पाया है. सरकार द्वारा किसानों के लिये स्वीकृत की गयी इस राशि को किसानों तक पहुंचने में कितना समय लगेगा यह कोई भी बताने की स्थिति में नहीं है.
परबत्ता : वर्ष 2015 में ओलावृष्टि से फसल की क्षति का आकलन के लिये प्रशासन के द्वारा जिन कर्मियों को लगाया गया था उनके उनके विरुद्ध ही सबसे पहले अवैध राशि मांगने का आरोप लगा. पहले तो क्षति का दस प्रतिशत राशि मांगा गया.बाद में सौ रुपये प्रति किसान की दर से लेने की सूचना मिली थी. लेकिन इन आरोपों की गुंज नहीं उठ सकी. किसानों को भय था कि शिकायत करने पर उनका नाम लाभुकों की सूची से काट दिया जा सकता है. कई किसान दबी जुबान से यह चर्चा करते हैं कि मुआवजा वितरण को कमीशनखोरी की बीमारी लग गयी है. यही वजह है कि किसानों के खाते में धीरे धीरे राशि भेजी जा रही है.कुछ किसानों को यह कहा गया है कि फसल क्षति का मुआवजा चाहिये तो अग्रिम राशि देना ही होगा.
अब तक परेशान हैं प्रभावित किसान : फसल क्षति मुआवजा की राह देख रहे किसान विगत एक वर्ष से प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाकर परेशान हो चुके हैं.किसानों ने बताया कि प्रखंड कर्मियों द्वारा राशि वितरण में जान बूझ कर देरी की जा रही है ताकि किसान थक हारकर पुन: अवैध राशि दें.भरतखंड निवासी नंदन मंडल तथा जितेन्द्र सिंह,कन्हैयाचक निवासी प्रमोद चौधरी ने बताया कि वे विगत एक वर्ष से प्रखंड के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन वहां यह बताने वाला कोई नहीं है कि कब तक यह राशि वितरित की जायेगी.वहीं कुछ लोगों का कहना है कि किसानों को अब बची हुई शेष राशि के मिलने की संभावना नगण्य हो चली है.
बैंकों से लौटी थी एडवाईस : प्रखंड के किसानों को सीधे खाता में राशि भुगतान के लिये उनके बैंक खाता का नंबर लिया गया था.सभी किसानों के खाते में मुआवजा की राशि भेजा जाना था.बैंकों में इस भुगतान के लिये भेजी गयी राशि के एडवाईस में इतनी त्रुटि थी कि अधिकांश बैंकों ने इसे बिना भुगतान के ही लौटा दिया.किसी एडवाईस में कुल योग गलत था,किसी में खाता संख्या गलत था.इस बारे में भी आरोप यह है कि खाता संख्या में जान बूझकर गलती की गयी थी.
रास्ते में घट गयी राशि : कुछ किसानों का आरोप है कि कृषि समन्वयक के द्वारा फसलक्षति का आकलन कर जो प्रतिवेदन दिया गया उसमें प्रखंड कार्यालय से बैंक जाने के क्रम में मुआवजे की राशि में अंतर हो गया.लगार निवासी अंजनी यादव ने इस संबंध में जिला पदाधिकारी को आवेदन दिया था.जिसके परिणामस्वरुप एसडीओ के द्वारा इस मामले की जाँच किया गया.इस जांच में ही यह पता चला कि किसानों द्वारा लगाया जा रहा आरोप सही था तथा कई एडवाईस में ओवर राइटिंग और कटिंग हुई है.वहीं अधिकांश किसान शिकायत करने पर मुआवजा नहीं मिलने के भय से इस मामले की शिकायत करने से बच रहे थे.
खाते में पड़े हैं 80 लाख रुपये
प्रखंड में वर्ष 2015 में किसानों को फसल क्षति के मुआवजा के तौर पर राशि वितरण के लिये 3 करोड़ 95 लाख रुपये सरकार द्वारा भेजा गया था.इस राशि के पारदर्शितापूर्ण वितरण के लिये तत्कालीन जिला पदाधिकारी राजीव रोशन ने दिन रात एक कर दिया था.परिणाम स्वरुप लाभुकों को आरटीजीएस के माध्यम से सीधे खाता में राशि के हस्तांतरण करने का आदेश दिया गया था.इसके बावजूद इसमें अनियमितता की कई शिकायतें आयी.किसान सलाहकारों द्वारा लाभुक किसानों की सूची बनाने में रुपये मांगे जाने की शिकायतें मिलती रही थी.
अभी भी चक्कर काट रहे किसान
प्रखंड के सैकड़ों किसान अभी भी फसल क्षति मुआवजा की राशि मिलने की आस में प्रतिदिन प्रखंड मुख्यालय के चक्कर काट रहे हैं.कई किसान ऐसे भी हैं जो राशि मिलने की आस में अब तक एक दर्जन बार अपने पासबुक की छायाप्रति प्रखंड कार्यालय में दे चुके हैं.
रिपोर्ट बदलने के लिए दबाब का आरोप
आवेदक अंजनी यादव ने बताया कि उनके द्वारा डीएम को दिये आवेदन के फलस्वरुप आरंभ किये गये जांच के दौरान कृषि सलाहकार पर फसल क्षति को लेकर पूर्व में दिये गये रिपोर्ट को बदलने का दबाब भी दिया गया था.लेकिन यह मामला इतनी दूर पहुंच चुका था कि रिपोर्ट बदलना संभव नहीं रह गया था.
किसानों पर हुआ था मुकदमा
फसल क्षति मुआवजा में अनियमितता की शिकायत पर दोषी कर्मियों पर कार्रवाई की बजाय किसानों पर ही मुकदमा कर दिया गया.इस मामले में 22 जून 2015 को गोविन्दपुर पंचायत के कई किसानों ने जब बीडीओ के समक्ष मामले को उठाया तो कहा सुनी हो गयी.इस मामले में बीडीओ ने किसानों पर मुकदमा कर दिया.
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