बेलदौर. फसल क्षति मुआवजा से पट्टे एवं बटाई पर खेती करने वाले किसानों को वंचित होना पड़ गया है. इसका लाभ जमीन मालिक उठाने में सफल हो गये. उल्लेखनीय है कि प्रखंड के आधा से अधिक किसान बटाई, पट्टा अथवा मनठेका पर बड़े किसानों से खेत लेकर खेती करते हैं. पर इस जमीन का मालिकाना हक उनके पास नहीं होने के कारण वे इस लाभ के लिए कागजी सबूत के साथ आवेदन नहीं दे पाये. आवेदन देने में सरकार के कड़े नियम रहने के कारण ऐसे किसान ओलावृष्टि एवं आंधी तूफान से हुए फसल क्षति के लिए दावा पत्र नहीं दे पाये. इनमें कई किसान ऐसे हैं जो कि बैंक से संयुक्त देयता समूह के तहत केसीसी लोन भी ले रखे हैं. ऐसे किसान को भी सरकार किसान नहीं मानती है, जबकि उसकी मान्यता बैंक ने किसान के रुप में देकर उसे 4 से 5 एकड़ पट्टा, बटाई एवं मनठेका के जमीन पर खेती करने के लिए कर्ज दे रही है. सरकार ऐसे किसान को यह कर आवेदन करने से वंचित कर दिया कि आपके पास जमीन का स्वामित्व प्रमाण पत्र नहीं है. इस वजह से इस श्रेणी में आने वाले सभी किसान जमीन का लगान रसीद नहीं रहने के कारण आवेदन नहीं कर पाये. वहीं इन किसानों की हकमारी उन किसानों ने कर ली, जो कि खेती करने के लिए अपनी जमीन इन किसानों को पट्टे, बटाई अथवा मनठेका पर दे रखे हंै. ऐसे किसानों की संख्या लाभ लेने वालों में सर्वाधिक है. फसल क्षतिपूर्ति के तहत आवेदन नहीं कर पाने वाले ऐसे किसानों को क्या इस योजना का लाभ मिलेगा? यह इन किसानों के लिए यक्ष प्रश्न बना हुआ है. इन किसानों को इस योजना का लाभ दिलवाने वाले एक मसीहा की तलाश है. लेकिन वह मसीहा इन किसानों को मिल पाएगा अथवा नहीं यह भविष्य के गर्भ में छिपा हुआ है.
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पट्टेदार-बटाइदार किसान को नहीं मिल पाया लाभ
बेलदौर. फसल क्षति मुआवजा से पट्टे एवं बटाई पर खेती करने वाले किसानों को वंचित होना पड़ गया है. इसका लाभ जमीन मालिक उठाने में सफल हो गये. उल्लेखनीय है कि प्रखंड के आधा से अधिक किसान बटाई, पट्टा अथवा मनठेका पर बड़े किसानों से खेत लेकर खेती करते हैं. पर इस जमीन का मालिकाना […]
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