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मांग के अनुरूप उत्पादन नहीं हो रहा : डीएम

एक दिवसीय मत्स्य पालन कार्यशाला आयोजितफोटो है 7 व 8 में कैप्सन : कार्यक्रम का उद्घाटन करते डीएम व उपस्थित मत्स्य पालक खगडि़या. मत्स्य पालन विभाग कार्यालय परिसर में आधुनिक तरीके से मत्स्य पालन को लेकर रविवार को एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गयी. कार्यशाला का उद्घाटन जिलाधिकारी राजीव रोशन ने दीप प्रज्वलित कर किया. […]

एक दिवसीय मत्स्य पालन कार्यशाला आयोजितफोटो है 7 व 8 में कैप्सन : कार्यक्रम का उद्घाटन करते डीएम व उपस्थित मत्स्य पालक खगडि़या. मत्स्य पालन विभाग कार्यालय परिसर में आधुनिक तरीके से मत्स्य पालन को लेकर रविवार को एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गयी. कार्यशाला का उद्घाटन जिलाधिकारी राजीव रोशन ने दीप प्रज्वलित कर किया. जिलाधिकारी ने कहा कि मत्स्य पालन ने एक उद्योग का रूप ले लिया है. जिले में मत्स्य संसाधनों की बहुलता के बावजूद भी हम मांग के अनुरूप मत्स्य उत्पादन नहीं कर रहे हैं. बल्कि इस जिले से अच्छी मछलियों को अन्य प्रांतों में भेजा जा रहा है. मत्स्य पालन में वृद्धि के साथ-साथ पालक को भी अच्छी आय होने की संभावना है. उन्होंने कहा कि इसके लिए चार प्रकार के प्रबंधनों पर ध्यान देना होगा.नर्सरी तालाब का प्रबंधन कैसे करेंमत्स्य पालन पदाधिकारी अंजनी कुमार सिंह ने बताया कि एक से पांच कट्ठा तक के मौसमी तालाब का चयन कर बोरिंग द्वारा पानी भर दें. इस तालाब में 400 किलोग्राम हेक्टेयर की दर से चूना करण करने के बाद कार्बनिक खाद, गोबर, खल्ली का प्रयोग करें. तालाब में 25 से 50 लाख प्रति हेक्टेयर की दर से स्पोन का संचयन करना चाहिए.मछली को क्या दें आहारकिसी भी सामान्य तालाब में चावल का गुंडा एवं सरसों की खल्ली को बराबर मात्रा में मिला कर एग्रीमीन मिनरल मिक्सर के अलावा मछली के कुल वजन का 2.3 प्रतिशत की दर से प्रतिदिन आहार देने से मछली का आकार व वजन में बढ़ोतरी होती है. मौके पर जिप उपाध्यक्ष सुनील कुमार, मछली पालक राजेंद्र प्रसाद सिंह, के अलावा मत्स्य विभाग के सभी अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे.

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