खगड़िया : अब टीबी से पीड़ित मरीज का इलाज आसान हो गया है. टीबी जांच माइक्रोस्कॉप से नहीं बल्कि सीवी नेट मशीन से होने लगी है. सीवी नेट मशीन द्वारा मरीजों बलगम की जांच के साथ कौन सी दवा उपयुक्त है वह भी जानकारी मिलने लगी है. जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डाॅ केएम प्रसाद ने बताया कि अब सीवी नेट मशीन से टीबी का पता लगाना आसान हो गया है.
जेनेटिक टेस्ट के माध्यम से एक बार में चार मरीजों की जांच किया जा रहा है. दो दो घंटे के अंतराल में सीवी नेट द्वारा बलगम का फाइनल रिजल्ट दिया जाता है. सीवी नेट मशीन से एक दिन में कम से कम 16 मरीजों की जांच की जा सकती है. लैब टेक्नेशियन भारती ने बताया कि पहले माइक्रोस्कॉप से बलगम की जांच की जाती थी. अभी भी नये मरीज की प्रथम जांच माइक्रोस्कॉप से की जाती है. उन्होने बताया कि माइक्रोस्कॉप में बलगम जांच आंख से देखकर की जाती है. जबकि सीवी नेट से मशीन द्वारा ही रिजल्ट दिया जाता है. अब जेनेटिक जांच के लिए सीवी नेट मशीन का उपयोग किया जाने लगा है. इससे मरीजों को काफी सहुलियत हो गयी है. अब जरूरत के अनुरूप ही मरीजों को दवा भी दी जाएगी.
छह माइक्रोस्कॉपिक सेंटर हैं बंद
जिले में यक्ष्मा से पीड़ित मरीजों की जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा 14 माइक्रोस्कॉपिक सेंटर बनाया गया था. जिसमें से 6 माइक्रोस्कॉपिक सेंटर बंद हो गया है. जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डाॅ केएम प्रसाद ने बताया कि बीसीजी टेक्नेशियन की कमी के कारण 6 माइक्रोस्कॉपिक सेंटर को बंदकिया गया है. मालूम हो कि जिले के गंगौर, रानीसकरपुरा, बहादुरपुर, महद्दीपुर, उसराहा तथा बलहा बाजार के मरीजों को बलगम जांच के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अथवा जिला यक्ष्मा केंद्र जाना पड़ता है.
और चार बनाया जायेगा माइक्रोस्कॉपिक सेंटर. जिले में लगातार बढ़ रहे टीबी के मरीजों की संख्या को देख चार और माइक्रोस्कॉपिक सेंटर बनाये जाने की अनुशंसा की गयी है. जिला यक्ष्मा पदाधिकारी ने बताया कि मलपा, पंचखुट्टी, कोलवारा आदि जगहों पर माइक्रोस्कॉपिक सेंटर खोलने की अनुशंसा की गयी है. उन्होने बताया कि कर्मियों की कमी के बावजूद यक्ष्मा से पीड़ित मरीजों का इलाज आसान हो गया है. मरीज के घर पर दवा पहुंचाई जाती है.
एक से मरीजों को दी जा रही है प्रोत्साहन राशि
टीबी के मरीजों को पौष्टिक आहार के लिए प्रत्येक महीना पौष्टिक सरकार की ओर से प्रतिमाह 500 रुपये दिए जा रहे हैं. जिला यक्ष्मा पदाधिकारी ने बताया कि एक अप्रैल से जिन मरीजों का टीबी का इलाज शुरू हुआ है या इस तिथि तक इलाज चल रहा है, उन्हें इसका लाभ मिलेगा. इस योजना के लागू होने से जहां टीबी के मरीजों को पौष्टिक आहार लेने में आ रही आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलेगी. वहीं, वे अब पूरा इलाज करा सकते हैं.
विभाग ने टीबी मरीजों को बांटा है तीन
कैटेगरी में
टीबी के मरीजों को तीन कैटेगरी में बांटा गया है. पहले कैटेगरी के मरीजों को छह महीने की दवा खानी होती है. दूसरे कैटेगरी के मरीजों को आठ व तीसरे में ड्रग रजिस्टेंस मरीजों को रखा जाता है. जिन्हें 24 माह तक दवा की जरूरत होती है. निश्चय पोषण योजना के अंतर्गत सभी कैटेगरी के मरीजों को दवा खाने के दौरान उक्त योजना का लाभ मिलेगा.
घट रही है मरीजों
की संख्या
यक्ष्मा उन्मूलन के लिए समय निर्धारित कर दी गयी है. खगड़िया की पहचान यक्ष्मा जिला के रूप में होती थी. लेकिन अब यह जिला यक्ष्मा फ्री जिला के रूप में जाना जाएगा. जिला यक्ष्मा पदाधिकारी ने बताया कि जनवरी से मार्च तक दो सौ ब्यालिस मरीजों की जांच कर इलाज की जा रही है. उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष जनवरी से मार्च तक देा सौ पांच मरीजों कीजांच कर इलाज की गयी जिसमें से 198 मरीजों को स्वस्थ्य किया गया.
पहचान होते ही मिलेगी पहली किस्त
टीबी के सभी केटेगरी में मरीज की पहचान होते ही पहली किस्त दी जाएगी. कैटेगरी वन में दो माह दवा खाने के बाद बलगम की जांच के बाद दूसरी किस्त दी जाएगी. वहीं तीसरी किस्त का भुगतान छह माह दवा खाने के बाद दिया जाएगा. इसी तरह केटेगरी दो के मरीजों को आठ माह तक की राशि का भुगतान चार किस्तों में किया जाएगा. जिले में टीवी कार्यक्रम से जुड़े अधिकारियों व कर्मियों को मरीजों के अकाउंट नंबर को संग्रह करने का आदेश दिया गया है.
कहते हैं जिला यक्ष्मा पदाधिकारी
जिले में यक्ष्मा से पीड़ित मरीजों की संख्या घट रही है. यक्ष्मा उन्मूलन के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं. कई योजनाएं चलाई जा रही है. अब मोबाइल टीम गांव गांव पहुंचकर मरीजों की खोज करेंगे. इलाज के दौरान मरीजों को पोष्टिक आहार के लिए प्रोत्साहन राशि पांच सौ रूपये तथा मरीज को पहचान कर सेंटर तक पहुंचाने वाले मोटिवेटर को एक हजार रूपये प्रति मरीज दिया जा रहा है.
डाॅ केएम प्रसाद, जिला यक्ष्मा पदाधिकारी