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खगड़िया में पीएमडब्ल्यू की बहाली में हेराफेरी

स्वास्थ्य विभाग में सरकारी नियम कायदे को ताक पर रख कर पीएमडब्ल्यू की बहाली में घिरे सिविल सर्जन सहित कई स्वास्थ्यकर्मी पीएमडब्ल्यू संजीत कुमार पर इस्तीफा देने के लिए बनाया जा रहा है दबाव खगड़िया : स्वास्थ्य विभाग में एक बार फिर फर्जीवाड़ा सामने आया है. इस बार पारा मेडिकल कर्मी (पीएमडब्लू) की बहाली में […]

स्वास्थ्य विभाग में सरकारी नियम कायदे को ताक पर रख कर पीएमडब्ल्यू की बहाली में घिरे सिविल सर्जन सहित कई स्वास्थ्यकर्मी

पीएमडब्ल्यू संजीत कुमार पर इस्तीफा देने के लिए बनाया जा रहा है दबाव
खगड़िया : स्वास्थ्य विभाग में एक बार फिर फर्जीवाड़ा सामने आया है. इस बार पारा मेडिकल कर्मी (पीएमडब्लू) की बहाली में हेराफेरी के खुलासा हुआ है. जिसमें अभ्यर्थी के अंक में हेराफेरी कर मेधा सूची बनाने में फर्जीवाड़ा कर बहाली में गोलमाल किया गया है. पूरे मामले का भंडाफोड़ उस वक्त हुआ जब एक अभ्यर्थी ने गलत बहाली की शिकायत जिला लोक शिकायत निवारण कार्यालय में की. पूरे मामले की सुनवाई के बाद जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने सिविल सर्जन को गलती सुधार कर नये सिरे से बहाली का आदेश दिया है. इधर, इस आदेश पर अमल नहीं होते देख पीड़ित अभ्यर्थी मथुरापुर निवासी संजय कुमार ने मुंगेर आयुक्त के दरबार में अपील किया है. बताया जाता है कि पूरे मामले में गरदन फंसते देख स्वास्थ्य विभाग लीपापोती करने में जुटा हुआ है.
सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार गलत तरीके से बहाल होकर परबत्ता में तैनात पीएमडब्लू संजीत कुमार पर इस्तीफा देने के लिऐ दबाव बनाया जा रहा है ताकि गोलमाल पर परदा डाल कर कार्रवाई से बचा जा सके.
10 को 8 बना कर किया गया गोलमाल
पूरे प्रकरण में पड़ताल के दौरान प्रभात खबर कार्यालय को हाथ लगे कागजात भी पीएमडब्लू की बहाली में गोलमाल की ओर इशारा कर रहे हैं. बताया जाता है कि स्वास्थ्य विभाग में पीएमडब्लू के पद पर बहाली निकली थी. जिसमें एक पद पर ईबीसी कोटा के लिये जबकि दूसरा सामान्य वर्ग के लिये था. इस मामले में कुल 30 अभ्यर्थियों ने आवेदन दिया. जिसमें से 24 अभ्यर्थियों के आवेदन में सभी आवश्यक कागजात नहीं रहने के कारण निरस्त कर दिया गया. जबकि एक अभ्यर्थी इंटरव्यू में नहीं पहुंचा. बाकी बचे पांच अभ्यर्थियों में से दो लोगों के चयन में नियम कायदे को ताक पर रख दिया गया. मिली जानकारी अनुसार मेधा सूची बनाने में मैट्रिक व इंटर के प्राप्तांक के प्रतिशत के आधार पर अंक निर्धारित थे. स्वास्थ्य विभाग द्वारा तैयार की गई मेधा सूची में सीरियल नंबर 2 पर मेहसौड़ी खगड़िया निवासी सुरेश साह के पुत्र गोपाल कुमार को मैट्रिक में 73.14 प्रतिशत अंक जबकि इंटर में 71.4 प्रतिशत थे. इस अनुसार इनको मेधा सूची में दोनों प्राप्तांक के आधार पर मेधा सूची में गोपाल कुमार को 10-10 कुल 20 अंक मिलना चाहिए. लेकिन मेधा सूची बनाने में सरकारी नियम को ताक पर रख कर दोनों प्राप्तांक में दो-दो अंक काट कर आठ-आठ अंक के हिसाब से 16 अंक दिए गए. इस तरह गोपाल कुमार को मेधा सूची में कुल 56 अंक प्राप्त हुए. जबकि इन्हें कुल 60 अंक मिलना चाहिए था. बताया जाता है कि ऐसा संजीत कुमार नामक अभ्यर्थी के पिछले दरवाजे से चयन के लिए किया गया था. पूरे मामले में मेधा सूची में तीसरे नंबर के अभ्यर्थी संजय कुमार ने जिला लोक शिकायत निवारण अधिनियम के तहत शिकायत की तो स्वास्थ्य विभाग की कारगुजारी का कच्चा चिठ्ठा सबके सामने आ गया.
जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी विजय कुमार सिंह ने कहा कि सुनवाई के दौरान पीएमडब्लू की बहाली में गड़बड़ी के कई तथ्य सामने आए हैं. सिविल सर्जन ने भी स्वीकार किया है कि तकनीकी भूल के कारण अभ्यर्थी के शैक्षणिक व अन्य योग्यताओं के लिये निर्धारित अंकों की सही गणना नहीं की गई. जिसकी वजह से एक अभ्यर्थी को 10 की जगह 8 अंक की प्राप्त हो पाए. जिसकी वजह से वह सफल उम्मीदवारों की सूची में शामिल नहीं हो सके. सीएस द्वारा दी गई जानकारी अतार्किक प्रतीत होती है. सिविल सर्जन को अंक तालिका के अनुसार यदि परिवादी पीएमडब्लू में चयनित होने के पात्र हैं तो उन्हें यथाशीघ्र चयनित करते हुए प्रतिवेदन 28 फरवरी तक सौंपने का निर्देश दिया गया था.शिकायतकर्ता संजय कुमार ने कहा कि वर्ष 2017 में पारा मेडिकल वर्कर (पीएमडब्लू)की बहाली में सिविल सर्जन ने सारे नियम कायदे ताक पर रख दिया. चंद रुपयों की लालच में या रिश्तेदारी के मोह में मेधा अंक में हेराफेरी कर योग्य अभ्यर्थी के स्थान पर अयोग्य अभ्यर्थी को बहाल कर लिया गया. पूरे मामले में जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी द्वारा सुनवाई के बाद 28 फरवरी तक योग्य अभ्यर्थियों के चयन कर प्रतिवेदन सौंपने का आदेश दिया था लेकिन सीएस द्वारा टालमटोल किये जाने के कारण मुंगेर आयुक्त के दरबार में अपील की गई है.
स्वास्थ्य विभाग में पारा मेडिकल कर्मी (पीएमडब्लू) की बहाली में हेराफेरी के खुलासा हुआ है. इस मामले में सिविल सर्जन, लिपिक सहित कई विभागीय हाकिम की भूमिका सवालों के घेरे में है.

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