ससमय पूरा होता, तो 162 करोड़ में बन जाता खगड़िया कुशेश्वर स्थान रेलखंड
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विलंब से रेलवे को 400 करोड़ का नुकसान
ससमय पूरा होता, तो 162 करोड़ में बन जाता खगड़िया कुशेश्वर स्थान रेलखंड कार्य में तेजी लाने को सांसद ने रेल मंत्री को लिखा पत्र 2020 तक कार्य पूरा करने का है लक्ष्य, धीमी है रफ्तार खगड़िया : खगड़िया-कुशेश्वर स्थान रेल परियोजना का समय पर पूरा नहीं होने के कारण रेलवे को करोड़ों का नुकसान […]
कार्य में तेजी लाने को सांसद ने रेल मंत्री को लिखा पत्र
2020 तक कार्य पूरा करने का है लक्ष्य, धीमी है रफ्तार
खगड़िया : खगड़िया-कुशेश्वर स्थान रेल परियोजना का समय पर पूरा नहीं होने के कारण रेलवे को करोड़ों का नुकसान हुआ है. नुकसान रेलवे को ही नहीं इस क्षेत्र के लाखों की आबादी को भी हुआ है. जो नये भारत में भी बेहतर यातायात की सुविधा से अब तक महरूम होकर रह गयी है.
पहले बात रेलवे को हो रहे नुकसान की करें तो महत्वपूर्ण रेल परियोजना का काम विगत 15 वर्षों से चलता आ रहा है. कहने को परियोजना का कार्य 15 वर्ष से चल रहा है. लेकिन कुछ पेच के कारण काम लगातार नहीं हुआ है. अलग-अलग कारणों से काफी समय तक काम रुका रहा है. जानकार काम रुकने का मुख्य वजह भू-अर्जन में पेच व आवंटन की कमी बता रहे हैं.
बात भी सही है, लेकिन इस परियोजना के पूरे होने में हुए विलंब के कारण रेलवे को 403 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. जब कुशेश्वर रेल परियोजना की स्वीकृति मिली थी. तब इस कार्य को पूरा कराने के लिए 162 करोड़ रुपये का बजट तैयार किया गया था. लेकिन समय पर काम पूरा नहीं होने की वजह से अब लागत 162 करोड़ से बढ़ कर 565 करोड़ रुपये का हो गया है. लेकिन निर्माण की गति व अब तक की उपलब्धि जो रही है, वो निराश करने वाली है.
काम की स्थिति: जानकारी के मुताबिक खगड़िया से कुशेश्वर स्थान तक 42.6 किमी लंबे रेलखंड का निर्माण कराया जाना है. इन दोनों रेल जंक्शन के बीच 8 रेल स्टेशनों का निर्माण होना है फिलहाल खगड़िया जंक्शन से कामास्थान तक रेलवे लाइन बिछा दी गयी है. कामास्थान से अलौली गढ़ स्टेशन के बीच रेलवे लाइन बिछाने के लिए मिट्टी भराई का कार्य चल रहा है. 42.6 किमी के विरुद्ध महज 8 से 10 किमी की दूरी तक काम हो पाया है. यानी वर्ष 2003 से अब तक मात्र 10 किमी ही पटरी बिछायी गयी है.
करीब 32 किमी रेल पटरी बिछाना अब भी बांकी है.
क्षेत्र के लोगों को भी परेशानी: खगड़िया कुशेश्वर स्थान रेल परियोजना को लेकर सांसद चौधरी महबूब अली कैसर ने रेल मंत्री पियूष गोयल को पत्र लिखा है. सांसद ने इस परियोजना में विलंब होने के कारण रेलवे को हुए नुकसान को साथ साथ इस क्षेत्र के लोगों को हो रही परेशानी से अवगत कराया है. साथ ही इस परियोजना को अतिरिक्त तवज्जो पूरा कराने के लिए रेलमंत्री से अनुरोध किया है. इन्होंने लिखे पत्र में इस बात का भी उल्लेख किया है कि 18 वर्ष में भी इस परियोजना को पूरा नहीं कराया गया है, जिस कारण लागत मूल्य 162 करोड़ से बढ़ कर 565 करोड़ रुपया हो गया है.
2003 में शुरू हुआ था काम
जानकारी के मुताबिक वर्ष 1996 में खगड़िया व दरभंगा जिले के कुशेश्वर स्थान को रेलवे से जोड़ने के लिए केन्द्र सरकार से स्वीकृति मिली थी. लेकिन काम करीब सात साल बाद यानी 2003 में आरंभ हुआ था. जब कुशेश्वर स्थान रेल परियोजना की मंजूरी दी गयी थी तब वर्ष 2006 तक इसे पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन स्वीकृति के इतने वर्ष बाद भी इस रेल परियोजना का कार्य अधूरा पड़ा हुआ है. अब कार्य के बात की जाय तो 25 प्रतिशत से भी कम भाग में रेल पटरी बिछायी जा सकी है. अब इस रेल परियोजना को वर्ष 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है जो कि फिलहाल यह काम मुश्किल दिख रहा है.
क्यों है मुश्किल: फिलहाल एक स्टेशन तक का काम पूरा हुआ है अब भी कुशेश्वर स्थान स्टेशन तक कई जगहों पर पुल पुलिये का निर्माण कराना बांकी है. कार्य पूरा करने के लिए लाइन बिछाने के साथ साथ 54 जगहों पर छोटे पुलिया तथा 9 जगहों पर बड़े पुल का निर्माण कराया जाना बाकी है. सूत्र बताते हैं कि शहरबन्नी मौजा में भू-अर्जन का भी पेच फंसा हुआ है तथा कार्य में तेजी लाने के लिए भारी भरकम आवंटन की भी जरूरी है. अगर सभी कार्य तेजी गति से हुआ तभी वर्ष 2020 तक इस परियोजना का कार्य पूरा हो सकेगा. अन्यथा रेलवे की यात्रा करने के लिए सुदूर क्षेत्र के लाखों की आबादी को और कई वर्ष इंतजार करना पड़ेगा.
कहते हैं डीएलओ
इस महत्वपूर्ण परियोजना की गलातार जिला स्तर पर समीक्षा होती रही है. तथा कार्य तेजी से हो इसके लिए भू-अर्जन की प्रक्रिया में भी तेजी लायी गयी है. भू-अर्जन का कहीं पेच फंसा नहीं हुआ है विभागीय प्रक्रिया के तहत यह कार्य तेजी से हो रहा है.
दिनेश कुमार, डीएलओ.
कहते हैं केंद्रीय संयोजक
वर्तमान समय कार्य की प्रगति धीमी है भू-अर्जन सहित पटरी बिछाने व पुल पुलिया का निर्माण कार्य तेजी हो इसके लिए कम से कम दो सौ करोड़ रूपये आवंटन की जरूरत है कार्य में तेजी लाने के बाद ही वर्ष 2020 में यह परियोजना पूरी हो पाएगी. नहीं तो इसी गति से कार्य हुए तो शायद 2025 तक भी कार्य पूरे नहीं होंगे.
सुभाष चन्द्र जोशी, केन्द्रीय संयोजक रेल उपभोक्ता संघर्ष समिति
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