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खगड़िया में भी केसीसी ऋण घोटाला

खगड़िया : अलौली के बाद अब खगड़िया अंचल से भी बड़े पैमाने पर फर्जी एलपीसी के आधार केसीसी ऋण घोटाला उजागर हुआ है. यहां भी करीब तीन दर्जन एलपीसी यानी लैंड पोजिशन सर्टिफिकेट फर्जी पाये गये हैं. पहले अलौली में 161 एलपीसी फर्जी पाये गये थे. इसके बाद खगड़िया अंचल में भी फर्जी एलपीसी के […]

खगड़िया : अलौली के बाद अब खगड़िया अंचल से भी बड़े पैमाने पर फर्जी एलपीसी के आधार केसीसी ऋण घोटाला उजागर हुआ है. यहां भी करीब तीन दर्जन एलपीसी यानी लैंड पोजिशन सर्टिफिकेट फर्जी पाये गये हैं. पहले अलौली में 161 एलपीसी फर्जी पाये गये थे. इसके बाद खगड़िया अंचल में भी फर्जी एलपीसी के खेल का खुलासा हुआ है. यहां जांच में 34 एलपीसी फर्जी पाये गये. जांच में यह बाते सामने आयी है कि अचंल कार्यालय से सभी 34 एलपीसी जारी हुए ही नहीं है.

एलपीसी पर जो क्रमांक चढ़ाए गये हैं वो कार्यालय के रजिस्ट्रर से मेल नहीं खाते. जिन एलपीसी के आधार पर एसबीआई की जलकौड़ा शाखा ने लाखों रुपये केसीसी ऋण बांटे थे. उस एलपीसी को भी किसी नटवर लाल ने ही तैयार किये थे. इस एलपीसी पर भी हल्का कर्मचारी एवं सीओ के हस्ताक्षर फर्जी पाये गये. जिसके बाद से हड़कंप मच गया है.

यहां भी पहले ऋण बांटे फिर एलपीसी की जांच : अलौली प्रखंड में भी एसबीआई शाखा जलकौड़ा ने पहले 161 लोगों केसीसी ऋण योजना के तहत पहले ऋण की स्वीकृति दी. फिर राशि बांटी और अंत में कागजी खानापूर्ति करते हुए एक से दो वर्ष बाद उनके एलपीसी की जांच के लिए अंचल कार्यालय अलौली भेजा था. वहीं स्थिति यहां भी हुई. पहले 34 लोगों को वित्तीय वर्ष 15-16 एवं 16-17 में केसीसी ऋण दिया गया. जबकि अलौली 2017 को इनके एलपीसी की जांच के लिए अंचल कार्यालय भेजा गया. जांच में सभी एलपीसी गलत पाये गये.
दूसरे बैंक में पहले जांच, फिर लोन : एसबीआई भले ही लोगों की सुविधा का हवाला देते हुये यह कह रही है कि एलपीसी की जांच यदि करायी जाये तो उन्हें ऋण समय पर नहीं मिल पायेगा, लेकिन दूसरे बैंक की स्थिति भिन्न है. जिले के कई बैंको के शाखा प्रबंधकों ने यह बताया कि उनके यहां जरूरतमंदों को समय पर ऋण मिले, इसका ख्याल रखा जाता है और सावधानी भी बरती जाती है. ऋण की स्वीकृति के पूर्व पहले उनके द्वारा दिये कागजतों की जांच के साथ साथ बैंक यह जरूर देखती है कि ऋण के लिए वे पात्र हैं या नहीं.
एसबीआई जलकौड़ा ने गड़बड़ी के तोड़े रिकार्ड : एसबीआई जलकौड़ा शाखा ने इन तीनों बातों का ख्याल नहीं रखा. अगर एलपीसी की जांच पहले होती तो इस फर्जीबाड़े में शामिल दलालों की गलत मंसूबे कभी पूरे नहीं होते. अयोग्य व्यक्ति किसान बनकर केसीसी ऋण उठाने से वंचित रह जाते और तीसरा यह कि बैंक की इतनी बड़ी राशि न बकायेदारों के पास फंसती और न बैंक की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लगता. बिचौलिये व बैंक अधिकारी की मिलीभगत से करोड़ों के फर्जी ऋण बांटे गये हैं.
200 से अधिक और एलपीसी फर्जी होने की आशंका : सूत्र बताते हैं कि तत्कालीन शाखा प्रबंधक मनोज कुमार ने अपने ढ़ेड साल के कार्यकाल के दौरान करीब 500 लाभुकों को केसीसी ऋण की स्वीकृति दी थी. यानी प्रत्येक दिन लगभग एक केसीसी की स्वीकृति दी थी. गड़बड़ी की बू आने के बाद वर्तमान शाखा प्रबंधक ने मात्र अलौली अंचल से 161 तथा सदर अंचल से 34 एलपीसी का सत्यापण कराया है. इन्हीं एलपीसी के आधार पर पूर्व प्रबंधक ने बगैर जांच किये केसीसी ऋण दिये थे. सूत्र की मानें तो अगर उक्त अवधि के दौरान जारी हुए केसीसी की जांच गहराई से हुई तो अभी भी 200 एलपीसी और फर्जी मिलेंगे.
फर्जी निकासी मामले की सुनवाई 12 को : एसबीआई से फर्जी निकासी मामले की शिकायत अब 12 सितंबर को होगी. सूत्र के मुताबिक 5 सितंबर को इस मामले की सुनवाई हुई थी. इस दौरान शिकायकर्ता उपस्थित नहीं हुए. बैंक के शाखा प्रबंधक ने उपस्थित होकर अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी संजीव चौधरी को इस मामले की वस्तु स्थिति से अवगत कराया. सुनवाई पदाधिकारी ने बताया कि शाखा प्रबंधक के द्वारा यह जानकारी दी गयी है कि क्षेत्रीय कार्यालय के द्वारा इस मामले में जांच के आदेश दे दिये गये हैं. जांच प्रक्रियाधीन है.उन्होंने कहा कि सुनवाई अब 12 सितंबर को होगी. लोक प्राधिकार को उक्त तिथि को जांच रिपोर्ट समर्पित करने को कहा गया है.
चल रही है जांच, होगी कार्रवाई : आरएम
एसबीआई की शाखा व विश्वसनियता पर इक्के दुक्के कर्मी बट्टा नहीं लगा सकते हैं. पूरे मामले की जांच के आदेश दे दिये गये हैं. अगर जांच में अनियमितता पायी गयी तो दोषी बैंक कर्मी व अधिकारी नपेंगे. एसबीआई के क्षेत्रीय प्रबंधक मनोज कुमार सिन्हा ने कहा कि बैंक के कुछ कायदे कानून हैं. इसलिये जांच के संबंध में अधिक बता पाना संभव नहीं है. उन्होंने भरोसा दिलाया है कि जांच पूरी निष्पक्षता के साथ होगी तथा हर हाल में दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई होगी. रमुनियां गांव के शिकायतकर्ता रामचरित्र तांती के ऋण से संबंधित पूरी फाइल मंगा ली गयी है. यह फाइल जांच पदाधिकारी को उपलब्ध कराते हुए उन्हें जल्द से जल्द रिपोर्ट समर्पित करने को कहा है. मामला संज्ञान में आने के साथ ही क्षेत्रीय कार्यालय के वरीय प्रबंधक को जांच की जिम्मेवारी सौंपी गयी है. ये फर्जी निकासी के साथ साथ फर्जी एलपीसी मामले की भी जांच कर रिपोर्ट देंगे.
अलौली सीओ ने तो 161 फर्जी एलपीसी के आधार पर केसीसी ऋण पाने वालों के विरुद्ध जांच के बाद केस दर्ज तो करा दी है, लेकिन खगड़िया अंचल में 34 के विरुद्ध एफआइआर दर्ज नहीं हो पायी है. यहां पहले आप की स्थिति बनी हुई है. बैंक सूत्र की मानें तो बैंक ने अबतक इस मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई है. वहीं बैंक आरएम ने प्राथमिकी दर्ज होने की बातें कही है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अभिलेख देखने के बाद ही वे इस मामले में स्पष्ट कुछ कह सकते हैं.
वहीं अंचल सूत्र ने बताया कि इस मामले में एसबीआई प्रबंधक को प्राथमिकी दर्ज कराना चाहिये. सबसे बड़ा सवाल है कि जब 150 लाभुकों पर फर्जी एलपीसी के आधार ऋण लेने के लिये प्राथमिकी दर्ज करा दी गयी तो फिर केसीसी ऋण वितरण में धांधली करने वाले बैंक अधिकारी व बिचौलिये पर अब तक प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं की गयी है?
इधर सदर सीओ नौशाद आलम ने कहा कि जांच में यह स्पष्ट हो गया है कि सभी 34 एलपीसी अंचल कार्यालय से जारी नहीं हुए. इसलिए वे सभी एलपीसी फर्जी हैं. इस मामले में बैंक को प्राथमिकी दर्ज कराना चाहिये. कारण सभी लोगों ने फर्जी एलपीसी के आधार पर ऋण प्राप्त कर बैंक को चूना लगाया है. अगर ऋण वितरण के दौरान ही बैंक प्रबंधक ने एलपीसी का सत्यापन किया होता तो ऐसी स्थिति ही उत्पन्न नहीं होती. उन्होंने कहा कि अगर बैंक प्रबंधक प्राथमिकी दर्ज नहीं कराती है तो वे स्वयं एफआइआर दर्ज कराएंगे.

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