धोखाधड़ी. मुखिया व पंचायत सचिव पर प्राथमिकी के आदेश
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मुर्दा को मिला सरकारी अनुदान
धोखाधड़ी. मुखिया व पंचायत सचिव पर प्राथमिकी के आदेश बेलदौर प्रखंड के माली पंचायत में वित्तीय वर्ष 11-12 में दुखा मालाकार को भोरहा अनुदान की राशि दी गयी. लाभुकों की सूची में इनका नाम 64वें क्रमांक पर शामिल है. वहीं दुखा की मौत 20 वर्ष पहले हो चुकी थी. न सिर्फ इस मृतक को अनुदान […]
बेलदौर प्रखंड के माली पंचायत में वित्तीय वर्ष 11-12 में दुखा मालाकार को भोरहा अनुदान की राशि दी गयी. लाभुकों की सूची में इनका नाम 64वें क्रमांक पर शामिल है. वहीं दुखा की मौत 20 वर्ष पहले हो चुकी थी. न सिर्फ इस मृतक को अनुदान की राशि दिलायी बल्कि रजिस्टर पर हस्ताक्षर भी करा लिये.
खगड़िया : आम लोगों को सरकारी अनुदान के लिए बाबुओं के दफ्तार का चक्कर काटना पड़ता है. चप्पल घिस जाते हैं, फिर भी गारंटी नहीं होती कि उन्हें अनुदान मिलेगा या फिर नहीं. वहीं मुर्दे को बड़ी ही आसानी से सरकारी अनुदान मिल जाता है. मामला बेलदौर प्रखंड के माली पंचायत में सामने आया है. यहां वित्तीय वर्ष 11-12 में दुखा मालाकार को भोरहा अनुदान की राशि दी गयी. लाभुकों की सूची में इनका नाम 64 वें क्रमांक पर शामिल है. वहीं दुखा की मौत 20 वर्ष पहले हो चुकी थी. परिजन भी इन्हें भूल गये हैं, लेकिन पंचायत के प्रतिनिधि और सरकारी बाबू को इनकी बड़ी फिक्र थी. न सिर्फ इस मृतक को अनुदान की राशि दिलायी बल्कि रजिस्टर पर हस्ताक्षर भी करा लिये. हालांकि इस काम के लिए इन्हें पुरस्कार नहीं बल्कि अब सजा देने का फरमान जारी किया गया है.
लोक शिकायत एडीएम विजय कुमार सिंह ने मृतक के नाम से अनुदान जारी करने वाले पंचायत सचिव एवं पहचान करने वाले पंचायत के मुखिया पर प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश दिया है. भुट्टा अनुदान वितरण में गड़बड़ी की शिकायत के बाद पूरे मामले की जांच करायी गयी.
जांच में अनुदान वितरण में फर्जीबाड़ा की बाते सामन आई. मृतक के नाम पर अनुदान उठाने के साथ साथ फर्जी तरीके से अनुदान की राशि गबन करने की बातें जांच में सामने आयी थी. इसके बाद अनुदान वितरण करने वाले तत्कालीन पंचायत सचिव प्रेम कुमार वर्मा एवं इस फर्जीबाड़ा में शामिल इंद्रदेव यादव पर प्राथमिकी दर्ज कराने के आदेश दिया गया था. मुखिया पर प्राथमिकी के आदेश इसलिए दिये गए, क्योंकि इन्होंने ही लाभुकों की पहचान की थी.
नहीं कराई थी प्राथमिकी
जांच व प्राथमिकी के आदेश के बावजूद इस फर्जीबाड़े में शामिल पूर्व पंचायत सचिव एवं तत्कालीन मुखिया पर प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई गयी. जिला लोक शिकायत निवारण कार्यालय से नोटिस जारी होने के बाद बेलदौर बीडीओ ने यह कारण बताया कि मुखिया ने कोर्ट में पंचायत सचिव पर यह कहकर केस दर्ज किया है कि उनके हस्ताक्षर फर्जी हैं. बीडीओ ने इस संबंध में लोक अभियोजक से मार्गदर्शन मांगे जाने की बातें कही है.
बीडीओ की दलील खारिज
जांच में फर्जीबाड़े की बात सामने आने पर एफआइआर के आदेश के बावजूद दोनों के विरुद्ध कार्रवाई न होने पर नाराजगी व्यक्त करते हुये बीडीओ को अविलंब इस मामले में एफआइआर दर्ज कराने का आदेश दिया गया है. जारी आदेश में लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने कहा कि 6 वर्ष बीतने के बाद भी इस फर्जीबाड़े में शामिल दोषियों पर कार्रवाई नहीं हो पाना बेलदौर प्रखंड की लचर कार्यप्रणाली को दर्शाता है. एफआइआर दर्ज कराने की जगह लोक अभियोजक से मार्गदशन मांगे जाने पर भी उन्होंने आपत्ति जताते हुए कहा है कि ऐसी शिथिलता से प्रशासनिक कार्य प्रणाली की विश्वसनीयता प्रभावित होती है. मामले को अलग बताते हुए आरोपी पंचायत सचिव व मुखिया पर कानूनी कार्रवाई करते हुए 30 अगस्त तक रिपोर्ट देने का आदेश बेलदौर बीडीओ को दिया है.
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