खगड़िया : एक बार फिर जिला अभिलेखागार में खुलेआम रिश्वतखोरी के खेल का खुलासा हुआ है. गुरुवार को अलौली प्रखंड के लड़ही निवासी सिकंदर सदा ने जिला अभिलेखागार के बड़ाबाबू की मिलीभगत से बिचौलिये द्वारा नकल निकालने के एवज में 1000 रुपये अवैध उगाही की शिकायत की है. पूरे मामले में जिला अभिलेखागार में कार्यरत […]
खगड़िया : एक बार फिर जिला अभिलेखागार में खुलेआम रिश्वतखोरी के खेल का खुलासा हुआ है. गुरुवार को अलौली प्रखंड के लड़ही निवासी सिकंदर सदा ने जिला अभिलेखागार के बड़ाबाबू की मिलीभगत से बिचौलिये द्वारा नकल निकालने के एवज में 1000 रुपये अवैध उगाही की शिकायत की है.
पूरे मामले में जिला अभिलेखागार में कार्यरत बड़ाबाबू सहित अन्य कर्मियों की भूमिका सवालों के घेरे में है. सबसे बड़ा सवाल है कि सीसीटीवी लगाने के बाद भी रिश्वतखोरी के खेल पर आखिर लगाम क्यों नहीं लग पा रहा है? बता दें कि तत्कालीन डीएम साकेत कुमार के समय में भी जिला अभिलेखागार में जमीन के नकल निकालने के एवज में अवैध उगाही के खेल का खुलासा हुआ था. लेकिन कड़ी कार्रवाई नहीं होने के कारण रिश्वतखोरी का खेल बदस्तूर जारी है.
बड़ाबाबू के सामने बिचौलिया को दिया नजराना : गुरुवार को जिला अभिलेखागार में पांचवीं बार अपनी जमीन का नकल लेने के लिये पहुंचे लड़ही के सिकंदर सदा, अशोक कुमार का धैर्य जवाब दे गया. बिचौलिया के साथ पीड़ित व्यक्ति जिला अभिलेखागार पहुंचे तो फिर आज बहाना बना कर उसे टहला दिया गया. इससे गुस्साये पीड़ित सिकंदर सदा ने बड़ाबाबू से नकल देने की जिद पर अड़ गया. धीरे धीरे यह बात मीडिया तक पहुंच गयी. नकल निकालने पहुंचे श्री सदा ने बताया कि करीब 15 दिन पहले वह जिला अभिलेखागार पहुंचे थे. जहां बड़ाबाबू के सामने बिचौलिया से एक हजार रुपये में नकल निकालने का सौदा तय हुआ. तय रकम दे दी गयी लेकिन कागजात नहीं दिया गया. गुरुवार को इस बात को लेकर बड़ाबाबू से हो-हल्ला के दौरान किसी ने पूरे मामले की वीडियो रिकार्डिंग कर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. वहीं मामला बिगड़ते देख बिचौलिया धीरे से कार्यालय से खिसक गया. इसके बाद कार्रवाई के डर से जिला अभिलेखागार के कर्मियों के हड़कंप व्याप्त है.
समाहरणालय परिसर में स्थित जिला अभिलेखागार बिचौलिये का बोलबाला रहने के कारण आम आदमी कराह रहे हैं. 50 रुपये जो काम सरकारी स्तर पर होना चाहिये उसके लिये एक से दो हजार रुपये तक अवैध उगाही की जाती है. स्थिति यह है कि जिला अभिलेखागार में किसी भी वक्त बाहरी लोगों को काम निबटाते देखा जा सकता है. ऐसे में बाहर से आने वाले लोग इन बिचौलियों को कर्मचारी समझ कर पैसे दे देते हैं और काम के लिये दौड़ते रहते हैं. जब समाहरणालय परिसर स्थित कार्यालय में रिश्वतखोरी का यह हाल है तो ग्रामीण इलाकों में सरकारी बाबुओं की कारगुजारी का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है.
जिला अभिलेखागर में रिश्वतखोरी प्रकरण में सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो फुटेज के जांच के आदेश दिये गये हैं. अवैध उगाही में शामिल सरकारी कर्मी हो या बिचौलिया किसी को बख्शा नहीं जायेगा.
जय सिंह, डीएम.
15 दिन पहले नकल निकालने जिला अभिलेखागार में आये थे. जहां पर मौजूद बड़ा बाबू के साथ काम कर रहे एक बाहरी व्यक्ति ने कहा कि जमीन का नकल निकालने का एक हजार रुपया लगेगा. रुपया भी दे दिये लेकिन आज तक नकल नहीं मिला.
सिकंदर सदा, पीड़ित व्यक्ति.
जिला अभिलेखागार में कार्यरत बड़ा बाबू मणिभूषण ने कहा कि सिकंदर सदा ने किसे पैसा दिया यह मुझे मालूम नहीं है. सारे आरोप बेबुनियाद हैं. जब उनसे कार्यालय में पैसे लेने वाले बाहरी व्यक्ति के काम करते हुए वीडियो के बारे में बताया गया तो वह जवाब देने से कन्नी काटने लगे.