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खुले में बेचे जाते हैं खाद्य पदार्थ, स्वास्थ्य से हो रहा खिलवाड़
खाद्य सामग्री बेचने में नियमों को किया जा रहा नजर अंदाज, नहीं होती जांच-पड़ताल कटिहार : जिले में इन दिनों लोगों के स्वास्थ्य के साथ खाने-पीने की चीज बेचने वाले दुकानदार खिलवाड़ कर रहे हैं. मानक के अनुरूप दुकानदार खाद्य सामग्रियों की बिक्री नहीं करते हैं. नियम को धता बताते हुए. जैसे-तैसे ग्राहकों को खाद्य […]
खाद्य सामग्री बेचने में नियमों को किया जा रहा नजर अंदाज, नहीं होती जांच-पड़ताल
कटिहार : जिले में इन दिनों लोगों के स्वास्थ्य के साथ खाने-पीने की चीज बेचने वाले दुकानदार खिलवाड़ कर रहे हैं. मानक के अनुरूप दुकानदार खाद्य सामग्रियों की बिक्री नहीं करते हैं. नियम को धता बताते हुए. जैसे-तैसे ग्राहकों को खाद्य सामग्री परोस रहे हैं. जिले में होटल, रेस्टुरेंट, नाश्ता, मीट, मछली के सैकड़ों दुकान हैं. लेकिन कुछ ही दुकानों का लाइसेंस है.
वहीं अधिकांश दुकानों को लाइसेंस नहीं है. यह दुकानदार एक ओर सरकार को राजस्व का चुना लगा रहे हैं तो दूसरी तरफ विभाग के ओर से दिये गये निर्देश का पालन नहीं कर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. नियमित चेकिंग नहीं हो पाने की वजह से इन दुकानदारों के हौसले बुलंद है. ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे अधिक नियम को नहीं माना जा रहा है. ग्रामीण इलाकों में होटल व चाय-नास्ता की दुकानों में खाद्य सामाग्रियों को ढक कर नहीं रखा जाता है. धूल, मिट्टी से खाने पीने वाले सामाग्रियों को नहीं बचाया जाता है. खुले में इन सामाग्रियों की बिक्री की जाती है. शहर में कुछ होटल व रेस्टोरेंट को छोड़ कर सभी खाना व नाश्ता को परोसने वाले होटलों का हाल ग्रामीण क्षेत्रों से कम नहीं है.
शहर में अवस्थित होटल के मालिक ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में होटल से बाहर किचन बना देते हैं. धूल, मिट्टी उड़ता रहता है और कारीगर सिघड़ा, लिट्टी, कचोरी, जिलेबी अन्य खाद्य सामग्री बनाते रहते हैं. अगर शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में अवस्थित होटल व रेस्टोरेंट की जांच की जाय तो कइयों के लाइसेंस तो रद्द होंगे ही साथ ही जुर्माना भी लगेगा.
सोच समझ कर करें सामग्रियों की खरीदारी : खाद्य संरक्षा विभाग की ओर से उपभोक्ताओं के लिए कई दिशा निर्देश दिया गया है. जिसको अपनाकर उपभोक्ता अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रह सकते हैं. वही जागरूक होकर एक जिम्मेवार उपभोक्ता का दायित्व निभा सकते हैं.
विभाग के अनुसार जिस खाद्यय व्यवसायी के पास वैध लाइसेंस हो वही से खाद्यय सामाग्री खरीदें, खाद्यय सामाग्री खरीद का पक्का रसीद अवश्य ले. जो ठेला, खोमचा, गोलप्पा, चाट, भेलपूरी, सिघाड़ा, मिठाई इत्यादी बेचने वाले साफ सुथरा जगह पर लगा हो. वही से खाद्यय सामाग्री खरीदें और जो ठेला, खोमचा वाले, परोसते समय चम्मच तथा ग्लॅब्स का प्रयोग करते हो. वहीं खाये, मीट, मछली एवं सब्जी ढका हुआ ही खरीदें और प्रयोग करें.
मीट-मछली बेचने के लिए नहीं है सुरक्षित जगह
पूरे जिले में मीट मछली बाबा आदम के जमाने के ढ़र्रे पर बेचा जा रहा है. यानी जिस को जहां हुआ वहीं दुकान लगा दिया. ग्रामीण इलाकों में सबसे खराब स्थिति है. धूल-मिट्टी उड़ते रहता है.
उसी के बीच मीट मछली की बिक्री होते रहता है. इस मामले में शहर भी पीछे नहीं है. सड़क के किनारे ही गुमटी और बांस के सहारे ही मीट को लटका कर बेचा जाता है. हालांकि नगर निगम के द्वारा शहरी क्षेत्र में खुले में मीट बेचना वर्जित किया गया है. फिर भी धड़ल्ले से स्वच्छता को बताते हुए मीट बिक्री किया जा रहा है. मछली बेचने वाले धूल-मिट्टी के बीच मछली बेचते रहते हैं.
खुले में शहर समेत पूरे जिले में खाद्य सामग्रियों की बिक्री धड़ल्ले से की जा रहा है. दुकानदार व होटल मालिक औने-पौने स्तर पर खाद्य सामग्रियों की बिक्री कर पैसा बनाने में लगे हुए हैं.
उन्हें लोगों के स्वास्थ्य की चिंता नहीं है. सबसे बड़ी विडंबना है कि इन होटलों और दुकानों में खाद्य संरक्षा विभाग व स्वास्थ्य विभाग कोई कार्रवाई नहीं करती है. पूर्णिंया प्रमंडल के पूर्णिंया में पदस्थापित फुड इंस्पेक्टर ही चारों जिला कटिहार, पूर्णिया, अररिया, किशनगंज में जाकर जांच करते हैं. पूर्णिंया प्रमंडल के फूड इंस्पेक्टर अनिल कुमार बताया की कटिहार जिले में 1600 होटल, रेस्टोरेंट और नाश्ता की दुकानें निबंधित है. समय-समय पर अभियान चलाया जाता है. स्वच्छ रूप से खाद्य सामग्री नहीं रखने पर, गुणवत्ता नहीं रहने पर तथा लाइसेंस नहीं रहने पर खाद्य संरक्षा मानक अधिनियम 2006 और अधिनियम 2011 के तहत जुर्माने के साथ कार्रवाई की जाती है.
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