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कोसी को कोई रोक पाया है !

परेशानी. जुगाड़ पुल से आवागमन पर एक बार फिर मंडरा रहा संकट जुगाड़ पर रेंगती कोसी इलाके में रहनेवाली लाखों जिंदगी शुरू से ही उपेक्षा का शिकार रही है. पुल टूटने के बाद जुगाड़ पुल का निर्माण कर किसी तरह आवागमन हा रहा था. एक बार फिर उत्तरी छोड़ पर कटाव हो रहा है. ऐसे […]

परेशानी. जुगाड़ पुल से आवागमन पर एक बार फिर मंडरा रहा संकट

जुगाड़ पर रेंगती कोसी इलाके में रहनेवाली लाखों जिंदगी शुरू से ही उपेक्षा का शिकार रही है. पुल टूटने के बाद जुगाड़ पुल का निर्माण कर किसी तरह आवागमन हा रहा था. एक बार फिर उत्तरी छोड़ पर कटाव हो रहा है. ऐसे में फिर आवागमन ठप होने की आशंका गहराने लगी है. सहरसा, मधेपुरा, खगड़िया आदि जिलों में जिंदगी दिन ब दिन बदतर होती जा रही है.
बेलदौर : कहते हैं कि कोसी जब गुस्साती है तो इसे रोक पाना किसी के बूते की बात नहीं है. कोसी गुस्सायी तो तबाही … शांत हुई तो भी बरबादी का मंजर. जी हां कोसी में पानी बढ़ने पर बाढ़ का खतरा तो पानी घटने पर कटाव से जूझते लोगों की जिंदगी कोसी मैया की कृपा पर चल रही है. आज भी कोसी मैया की कृपा पर निर्भर लाखों की आबादी को तारणहार का बेसब्री से इंतजार है. कोसी नदी पर बने बीपी मंडल सेतु को टूटे हुए बरसों बीत गये , लेकिन आज भी जुगाड़ के सहारे ही लाखों जिंदगी रेंगने को मजबूर है. कोसी नदी पर बने डुमरी पुल के क्षतिग्रस्त होने से सहरसा, खगड़िया आदि जिलों की लाखों की आबादी के आवागमन पर संकट उत्पन्न हो गया है.
दर्द एक जगह हो तब न बतायें: कभी कोसी की मार तो कभी नाविकों की आर्थिक तंगहाली के कारण जुगाड़ पुल पर आवागमन पर एक बार फिर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. अनहोनी की आशंका के बीच 50 लाख में घाट का बंदोबस्त लेने वाले लोगों की चिंता भी बढ़ती जा रही है. जानकारी के अनुसार पहली बार घाट का बंदोबस्त लेकर जुगाड पुल बनाने वाले संचालक को यह सौदा महंगा साबित हो रहा है. एक माह से अधिक का समय गुजर चुका है. बंदोबस्ती के अनुसार अब लगभग डेढ माह का समय शेष रह गया है. नाविक आकुब अली एवं मनोज सहनी ने बताया कि इस बार संभावित बाढ की अवधि तक जुगाड पुल का संचालन हो पाना संभव नही दिख रहा है.
नावों को जोड़ कर जुगाड़ पुल का निर्माण: 65 नाविकों ने जुगाड पुल में अपना नाव दिया है. प्रत्येक नाव पर नाविक समेत एक मजदूर है. बावजूद प्रतिदिन एक नाविक को महज 400 से 500 रुपये ही मजदूरी मिल पाती है. पहले संचालक 50 प्रतिशत हिस्सेदारी पर नाविकों को उसका हिस्सा देते थे. आये दिन उत्पन्न हो रही समस्याओं के बीच अधिकांश राशि मरम्मत पर ही खर्च हो जा रही है. ऐसे में तो घाटा लगना लाजिमी है.
जुगाड़ पुल के उत्तरी छोर पर कटाव का खतरा: जुगाड पुल के उत्तरी छोर पर कोसी नदी का कटाव जारी है. हालांकि कटाव कर रफ्तार धीमा रहना राहत वाली बात है, लेकिन यह सब कोसी मैया की कृपा पर निर्भर करता है. कटाव बढ़ा तो एक बार फिर जुगाड़ पुल पर आवागमन ठप हो सकता है. कटाव के कारण यू टर्न में तब्दील घाट संभावित खतरे को दस्तक दे रही है. इसके कारण संभावित बाढ की अवधि तक जुगाड पुल पर परिचालन चालू रहने पर संशय बरकरार है.
कोसी की प्रकृति को देखते हुए कभी कटाव तो कभी बाढ़ जैसी समस्याओं से जूझ रही लाखों की आबादी
नावों को जोड़ कर बनाये जाने वाले जुगाड़ पुल पर हर वक्त मंडराता रहता है कोसी के कटाव का खतरा
बीते बरसों में पीपा पुल भी कोसी की तेज धारा में बहने से आवागमन हो गया था ठप
कोसी को बांधने की सारी कोशिश बेकार, आवागमन के लिए डुमरी पुल शुरू होने का बेसब्री से इंतजार
हाल की घटनाओं पर एक नजर
छह जनवरी : जुगाड़ पुल का एक हिस्सा बहा, कटाव निरोधी व मरम्मत कार्य कर जुगाड़ पुल किया चालू
12 जनवरी : कोसी के कटाव के कारण आवागमन बाधित
15 जनवरी : जुगाड़ पुल पर फिर मंडराया कोसी के कटाव का खतरा, मरम्मत कर आवागमन चालू
19 जनवरी : एक बार फिर बड़े वाहन के फंसने के कारण जुगाड़ पुल पर आवागमन रहा बाधित
30 जनवरी : कटाव के कारण एक बार फिर जुगाड़ पुल पर आवागमन हुआ ठप
मुख्य बातें
डुमरी पुल समीप अस्थाई आवागमन को लेकर 50 लाख में तीन माह की बंदोबस्ती
जुगाड पुल मे लोहे के गटर व इसकी मजबूती का ध्यान नहीं रखा गया है.
बालू एवं गिट्टी लदे ट्रैक्टर के परिचालन से रोज हो रही समस्या, प्रतिदिन 60- 70 हजार की वसूली
औसत से कम आमदनी से जुगाड़ पुल संचालक के छूट रहे पसीने
सैरात की मार से हो रही परेशानी

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