कटिहार : शहर के अरगड़ा चौक स्थित कर्मचारी राज्य बीमा चिकित्सालय इन दिनों कई समस्याओं से जूझ रहा है. जिले का यह चिकित्सालय सिर्फ जिले के नहीं बल्कि बीमित सीमांचल के कर्मचारी इलाज के लिए पहुंचते हैं. मूल सुविधा के अभाव में यह अस्पताल मरीजों को राहत देने में असफल हो
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दवा खत्म, ट्रांसफर होते हैं मरीज, इएसआइ िसर्फ नाम का
कटिहार : शहर के अरगड़ा चौक स्थित कर्मचारी राज्य बीमा चिकित्सालय इन दिनों कई समस्याओं से जूझ रहा है. जिले का यह चिकित्सालय सिर्फ जिले के नहीं बल्कि बीमित सीमांचल के कर्मचारी इलाज के लिए पहुंचते हैं. मूल सुविधा के अभाव में यह अस्पताल मरीजों को राहत देने में असफल हो रहा है. जिले में […]
रहा है.
जिले में मजदूर बहुल क्षेत्र होने के कारण इस अस्पताल की स्थापना की गयी थी. लेकिन देखरेख के अभाव में व विभागीय अनदेखी के कारण इस अस्पताल का खस्ता हाल है. समस्याओं की बात करें तो सर्वप्रथम इस अस्पताल में मरीजों के लिए दवाई उपलब्ध नहीं है. बीमित लोग यहां इलाज कराने के उद्देश्य से तो आते हैं लेकिन उनका उद्देश्य सफल नहीं हो पाता है. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी रामचंद्र सिंह का कहना है कि अस्पताल में दवा नहीं है. दवा के लिए सदर अस्पताल जाना होगा. उसके बाद दवाई के पर्चे को चिकित्सालय में जमा कराना होगा. फिर भुगतान होगा. यह सिलसिला एक दो दिनो या महीनों से नहीं बल्कि सालों से चला आ रहा है.
लेकिन प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा इस बात की सूचना विभाग को नहीं दी जाती है. इसके कारण बीमित व्यक्ति चिकित्सालय से सदर अस्पताल का चक्कर काटते
फिरते हैं.
100 बेड का अस्पताल बनने का घोषणा सिर्फ घोषणा रह गयी : वर्ष 2014 में तत्कालीन श्रम संसाधन मंत्री दुलाल चंद गोस्वामी ने कर्मचारी राज्य बीमा चिकित्सालय को सुसज्जित करने व 100 बेड का अस्पताल बनाने की घोषणा की थी. उन्होंने कहा था कि बिहार के फुलवारी शरीफ के बाद कटिहार में ही 100 बेड का अस्पताल बनाया जायेगा. ताकि जिले के मजदूरों को किसी भी परिस्थिति में फुलवाड़ी शरीफ पटना नहीं जाना पड़े. 100 बेड का अस्पताल तो दूर की बात है. इस अस्पताल में मरीजों के बैठने तक की सीट उपलब्ध नहीं है. ऐसे में कर्मचारियों के बेहतर स्वास्थ्य की कामना कैसे की जा सकती है.
टेली मेडिसीन सेवा शुरू हुई : कर्मचारी राज्य बीमा चिकित्सालय हालांकि कई समस्याओं से जूझते हुए भी टेलीमेडिसीन सेवा शुरू की है. इससे मरीजों को बैठे-बिठाये राज्य व राज्य के बाहर जाने माने चिकित्सकों का परामर्श मिल जाता है. यह सेवा कई मायनों में मरीजों के लिए लाभदायक साबित हो रही है. लेकिन सिर्फ परामर्श ले लेने से रोगों का निदान नहीं हो जाता है. बल्कि उसके लिए मूलभूत सुविधाओं की भी जरूरत पड़ती है. कुल मिलाकर यह ही कहा जा सकता है कि यह चिकित्सालय अपनी बदहाली पर आंसू बहाने को विवश है.
इस बाबत प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी रामचंद्र सिंह ने बताया कि मेरी ड्यूटी सोमवार और मंगलवार को है. मैं अभी अन्य जगह हूं. उपरोक्त संबंधी जानकारी नहीं दे सकता. इसके लिए खुद कर्मचारी राज्य बीमा चिकित्सालय में जाकर पता कर सकते हैं.
कर्मचारी राज्य बीमा चिकित्सालय को खुद है इलाज की दरकार इएसआइ के तहत बीमित कर्मचािरयों के साथ हो रहा छलावा
वर्ष 2014 में तत्कालीन श्रम संसाधन मंत्री गोस्वामी ने कर्मचारी राज्य बीमा चिकित्सालय को सुसज्जित व 100 बेड का अस्पताल बनाने की घोषणा की थी
रोगियों के इलाज के लिए नहीं हैं सुिवधाएं कर दिये जाते हैं ट्रांसफर
कटिहार में दो जूट मिल, फ्लावर मिल समेत कई कंपनियां है. जो कर्मचारियों को इएसआइ का कार्ड देती है. अगर इन जूट मिलों में कार्यरत किसी मजदूरों के पास कोई हादसा हो जाता है तो तात्कालिक सेवा के तहत यहां कुछ भी नहीं है. यहां से तो सिर्फ फुलवाड़ी शरीफ स्थित इएसआइ अस्पताल में उनका ट्रांसफर कर दिया जाता है. गंभीर मरीज के लिये बेड की भी व्यवस्था नहीं है. शौचालय, बाथरूम का हाल बुरा है. यहां तक कि मरीजों के बैठने के लिये उपयुक्त जगह तक नहीं है. पूरे कटिहार समेत सीमांचल व कोशी के विभिन्न व्यक्तियों का इलाज करने वाला इस अस्पताल को खुद ही इलाज की आवश्यकता है.
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