कटिहार : जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों सातवें आर्थिक गणना की जा रही है. लोगों को इसके बारे में किसी तरह की जानकारी उपलब्ध नहीं करायी गयी है. आर्थिक गणना को लेकर आम लोगों में ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है.
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आर्थिक गणना को लेकर आम लोगों में ऊहापोह
कटिहार : जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों सातवें आर्थिक गणना की जा रही है. लोगों को इसके बारे में किसी तरह की जानकारी उपलब्ध नहीं करायी गयी है. आर्थिक गणना को लेकर आम लोगों में ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है. आर्थिक गणना की प्रक्रिया में जिला प्रशासन का सीधे हस्तक्षेप […]
आर्थिक गणना की प्रक्रिया में जिला प्रशासन का सीधे हस्तक्षेप नहीं होने की वजह से आम लोगों को न तो समय पर किसी तरह की जानकारी मिल रही है और न ही आर्थिक गणना ठीक तरीके से हो रहा है. आर्थिक गणना को लेकर जिला प्रशासन की ओर से भी अभी तक औपचारिक रूप से कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराया गया है.
यह अलग बात है कि जिला सांख्यिकी पदाधिकारी ने विभागीय दिशा निर्देश के आलोक में समय-समय पर प्रखंड विकास पदाधिकारी को पत्राचार करते रहे है. उल्लेखनीय है कि आर्थिक गणना की पूरी जिम्मेदारी कॉमन सर्विस सेंटर को दी गयी है. केंद्र सरकार के स्तर से ही कॉमन सर्विस सेंटर को इसके लिए जवाबदेह बनाया गया है.
जिला स्तर पर भी कॉमन सर्विस सेंटर के प्रतिनिधि तैनात किए गए हैं. पर उनके द्वारा भी पूरी जानकारी जिला सांख्यिकी कार्यालय को उपलब्ध नहीं कराया गया है. गुरुवार को जब आर्थिक गणना से संबंधित जानकारी के लिए जिला सांख्यिकी पदाधिकारी से बातचीत की तो पता चला कि यह पूरी प्रक्रिया कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से किया जाना है.
कॉमन सर्विस सेंटर के प्रतिनिधि से बात करने पर उन्होंने कहा कि कटिहार जिले के 235 पंचायतों में सीएससी के माध्यम से आर्थिक गणना की जा रही है. जबकि ग्राउंड रियलिटी कुछ अलग ही है. प्रगणक को घर-घर जाकर आर्थिक गणना करनी है. ग्रामीण क्षेत्रों से कई लोगों ने बताया कि उनके घर पर अब तक कोई भी प्रगणक नहीं पहुंचे है.
दूसरी तरफ कुछ क्षेत्रों में प्रगणक पहुंच भी रहे हैं तो लोग जानकारी देने से कतराते है. लोगों के बीच आर्थिक गणना की विश्वसनीयता को लेकर भी सवाल उठ रहे है. सरकारी स्तर पर कोई प्रचार-प्रसार भी नहीं कराया गया है.
आर्थिक गणना को लेकर नहीं हुयी है प्रचार-प्रसार : बताया जाता है कि हर पांच साल पर भारत सरकार की ओर से आर्थिक गणना करायी जाती है. पिछले बार सांख्यिकी निदेशालय की ओर से आर्थिक गणना कराया गया था. पर इस बार डिजिटलाइजेशन के तहत आर्थिक गणना की जिम्मेदारी कॉमन सर्विस सेंटर को भारत सरकार ने दी है.
शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में की जा रही आर्थिक गणना को लेकर लोगों के बीच उहापोह की स्थिति बनी हुयी है. विश्वसनीयता का भी सवाल उठ रहा है. दरअसल सरकार व जिला प्रशासन की ओर से अब तक औपचारिक रूप से आर्थिक गणना को लेकर किसी तरह की जानकारी मीडिया में साझा नहीं किया गया है.
साथ ही आम लोगों के बीच किसी तरह का प्रचार-प्रसार भी नहीं हुआ है. जिससे लोगों के बीच भ्रम की स्थिति बनी हुयी है. कॉमन सर्विस सेंटर लोगों के घर किस तरह आर्थिक गणना कर रही है. इसको लेकर भी किसी तरह की मॉनिटरिंग नहीं हो रही है. स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी कहा है कि आर्थिक गणना को लेकर प्रखंड स्तर पर भी किसी तरह की बैठक में हुयी है.
कहते हैं डीएसओ
जिला सांख्यिकी पदाधिकारी पारसनाथ चौधरी ने बताया कि आर्थिक गणना की पूरी जिम्मेदारी सीएससी को दी गयी है. सीएससी के मैनेजर ही अपने स्तर से मॉनिटरिंग करते है. उन्हें कहीं परेशानी होती है तो उनके पास आते हैं. आर्थिक गणना में जनप्रतिनिधियों के सहयोग के लिए प्रखंड विकास पदाधिकारी को कई बार पत्र लिखा गया है. जिला सांख्यिकी कार्यालय का सीधे हस्तक्षेप आर्थिक गणना में नहीं है.
सीएससी प्रतिनिधि बोले
कॉमन सर्विस सेंटर के जिला प्रतिनिधि अभिजीत ने बताया कि कटिहार जिले में सभी 225 पंचायतों में सीएससी के माध्यम से आर्थिक गणना की जा रही है. प्रगणक घर-घर जाकर आर्थिक गणना कर रहे है. किसी तरह की समस्या होने पर जिला सांख्यिकी कार्यालय से संपर्क करते है. कुछ ऐसे भी परिवार है, जो प्रगणक को पूरी जानकारी देने से कतराते है.
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