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बिना लाइसेंस प्रतिष्ठानों का संचालन

कटिहार : शहर में निजी आवास में बगैर ट्रेड लाइसेंस लिए व्यापार के रूप में धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है. जबकि नगर निगम इस मामले में संवेदनशील नजर नहीं आ रहा है. इससे सरकारी राजस्व का नुकसान हो रहा है. यहां तक कि नगर निगम के पास शहर में कितने निजी मकानों में […]

कटिहार : शहर में निजी आवास में बगैर ट्रेड लाइसेंस लिए व्यापार के रूप में धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है. जबकि नगर निगम इस मामले में संवेदनशील नजर नहीं आ रहा है. इससे सरकारी राजस्व का नुकसान हो रहा है. यहां तक कि नगर निगम के पास शहर में कितने निजी मकानों में व्यापार किया जा रहा है.

इसकी सही जानकारी भी नहीं है. नगर निगम सहायक कर दरोगा कृष्णा कुमारी की मानें तो अप्रैल माह से अब तक 100 आवेदन ही प्राप्त हुए हैं. कुल मिलाकर शहर में डेढ़ सौ ट्रेड लाइसेंसधारी अपना रिन्यूवल कर निज आवास में अपना व्यापार कर रहे हैं. जबकि इसके अलावा अन्य निजी मकानों में व्यापार करने वाले दुकानदार अवैध रूप से अपनी दुकानदारी चला रहे हैं.
ऐसे में सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि इतने बड़े शहर में ट्रेड लाइसेंस के बगैर दुकानदारी कर रहे निजी मकान मालिकों द्वारा सरकार के राजस्व को कितना चुना लगाया जा रहा है. शहर के एमजी रोड, बड़ा बाजार, पानी टंकी चौक, गर्ल्स स्कूल रोड, श्यामा टॉकीज रोड, फल पट्टी में हजारों की संख्या में निजी आवास में दुकान व व्यवसाय चल रहा है. बड़े-बड़े बिल्डिंग में सामान रखने के लिए गोदाम बनाया गया है.
तो कई निज आवास के नीचे दुकान बनाकर उन्हें भाड़े पर लगा दिया गया है. ऐसे स्थानों को कमर्शियल के रूप में उपयोग करना है और कमर्शियल के रूप में उनका टैक्स भरना है. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है. बेखौफ लोग अपना व्यापार चला रहे हैं. जबकि नगर निगम ऐसे गृह स्वामियों का ट्रेड लाइसेंस लेने और रिन्यूवल कराने का इंतजार में बैठा हुआ है.
1000 से 2500 रुपये देने होते टैक्स : नगर निगम क्षेत्र के भवन को कमर्शियल उपयोग करने पर दुकान का टैक्स भरने का प्रावधान है. यदि छोटा दुकान रहा तो एक हजार रुपया, मीडियम साइज दो हजार रुपये जबकि गोदाम के रूप में इस्तेमाल करने पर 2500 रुपये टैक्स भरना पड़ता है. बशर्ते इसके लिए कई मापदंड भी तैयार किये गये हैं. जिसको लेकर पर स्क्वायर फीट के हिसाब से टैक्स भरने की राशि तय की जाती है.
शहर के एमजी रोड और फल पट्टी में सबसे ज्यादा निजी आवास में व्यापार के रूप में उपयोग किया जा रहा है. फल पट्टी के ऊपर मकान में बड़े-बड़े गोदाम बनाये गये हैं. जबकि एमजी रोड का भी हाल कुछ ऐसा ही है. विनोदपुर में निजी मकान में चिकित्सकों की क्लीनिक खोली गयी है. जबकि कई स्थान पर कई सारे लैब, दवाई दुकान, निज आवास के नीचे कटरा मे संचालित हो रहे है.
…तो नगर निगम को करोड़ों का मिलेगा राजस्व
इससे इंकार नहीं किया जा सकता है कि इस मामले में नगर निगम कितना गंभीर है. नगर निगम की शिथिलता के कारण करोड़ों रुपये के राजस्व का चूना लगाया जा रहा है. बिना ट्रेड लाइसेंस लिए ही शहर में धड़ल्ले से दुकानदारी हो रही है.
एक दुकान के एवज में 1000 रुपये प्रति सलाना भी आता है तो शहर में जितनी दुकानें और कमर्शियल के रूप में निजी आवास के उपयोग किया जा रहा है. करोड़ों रुपये राजस्व के रूप में वसूला जायेगा. इससे नगर निगम की राजस्व की बढ़ोतरी होगी. लेकिन नगर निगम इस मामले में चुप्पी साधे हुए है. जिस कारण निजी आवास स्वामी बेखौफ अपना व्यापार चला रहे हैं.
कहते हैं मेयर
बगैर ट्रेड लाइसेंस लिए निजी आवास में व्यापार करने वाले आवास स्वामियों के ऊपर कार्रवाई की जायेगी. प्रत्येक वर्ष लाइसेंस रिन्यूवल नहीं कराने पर आगे रिन्यूवल कराने पर उन्हें भारी भरकर पेनेल्टी लगाया जायेगा.

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