कटिहार : व्यवहार न्यायालय परिसर में फर्जी अधिवक्ता लिपिकों एवं दलालों को रोकने के लिए न्यायालय प्रशासन कटिबद्ध है. हाल ही में जिला जज की ओर से व्यवहार न्यायालय में कार्य करने वाले अधिवक्ता लिपिकों के परिचय पत्र एवं लाइसेंस नंबर देने के लिए आवेदन की मांग की थी. पुन: ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही थी कि दलाल अथवा फर्जी अधिवक्ता लिपिक किसी न किसी रूप से आवेदन देकर लाइसेंस पाने में सफल हो जायेंगे. लेकिन न्यायालय प्रशासन ने इस संभावना को देखते हुए पुन:
आदेश को संशोधित कर अधिवक्ता लिपिकों के आवेदन की जांच कर अग्रसारित करने का जिम्मा अधिवक्ता संघ के सचिव को दे दिया है. अधिवक्ता संघ के सचिव विजय कुमार झा ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि चूंकि जिला जज की ओर से दिये गये आदेश का पालन करने में पूर्ण रूप से किया जायेगा. इसमें कोई कटौती नहीं की जायेगी. क्योंकि न्यायालय परिसर में फर्जी अधिवक्ता लिपिकों और दलालों को रोकने की मांग संघ की ओर से लगातार की जाती रही है. कोई दलाल ऐसे लाइसेंस लेने में सक्षम नहीं हो जाय.
इसका ध्यान निश्चित रूप से रखा जायेगा. श्री झा ने बताया कि इसी के मद्देनजर अधिवक्ता संघ ने अधिवक्ता लिपिकों के भरे जाने वाले आवेदन से संबंधित कुछ आवश्यक निर्देश जारी कर दिये हैं. जिसका पालन करना अनिवार्य बना दिया गया है. अधिवक्ता के साथ कार्य करने वाले अधिवक्ता लिपिकों का न्यूनतम मैट्रिक स्तर का अवश्य योग्यता धारी होना चाहिए. क्योंकि कई बार ऐसा देखा गया है कि अधिवक्ता लिपिकों के गलत लिख दिये जाने के कारण न्यायालय के समक्ष अधिवक्ताओं को ही खरी-खोटी सुननी पड़ती है. दूसरी ओर संघ के सचिव ने अपने अधिवक्ताओं को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि वह किसी भी रूप में गलत चरित्र वाले व्यक्ति को अथवा एक से अधिक व्यक्ति को अपने अधिवक्ता लिपिक के रूप में कार्य करने का प्रमाण पत्र जारी नहीं करें. श्री झा ने बताया कि जिला एवं सत्र न्यायाधीश चंद्रशेखर झा ने इस मामले में एक बड़ी जिम्मेदारी संघ को दे दी है.