– विकास कुमार –
भभुआ (कार्यालय) : बंदूक की कीमत चली गयी किराये में. यह बात तब सामने आयी जब प्रभात खबर ने शस्त्रगारों में रखे बंदूक, राइफलों, पिस्टल के इतिहास को खंगाला.
कैमूर जिले में पांच सौ हथियार लाइसेंसधारी की मौत के बाद परिजनों ने शस्त्रगार में जमा कराया है.
कैमूर में कुदरा निवासी नर्वदेश्वर कुमार लाइसेंसधारी की मौत के बाद 1985 में उनके बेटे रवींद्र कुमार कुमार ने एक नाली बंदूक शस्त्रगार में जमा करायी. 27 वर्ष बीत जाने के बाद आज तक उनकी बंदूक शस्त्रगार में जमा है और उसका किराया लगभग 25 हजार के पार जा चुका है.
आज भी उक्त बंदूक के किराये का बोझ परिजनों पर बढ़ता जा रहा है, जब बंदूक से ज्यादा उसका किराया हो जाता है, तो परिजन उसकी दावेदारी भी छोड़ देते हैं. लाइसेंसधारियों के मौत के बाद ज्यादातर परिजनों ने लाइसेंस के लिए आवेदन दिया है, लेकिन आंकड़ों पर नजर डालें, तो लगभग सौ लाइसेंसधारी के उत्तराधिकारियों को लाइसेंस मिला है और लगभग 500 बंदूक जमा हैं.