गांव से नाली के पानी की निकासी की समस्या जटिल बनी हुई है. गांव का पानी खजुरा पड़ाव में आने से फिल्ड में हमेशा पानी भरा रहता है. इससे खिलाड़ियों को अभ्यास करने में परेशानी होती है. चाह कर भी कोई प्रतियोगिता पानी के जल जमाव से नहीं हो पाता है. गांव की मुख्य गली के प्रवेश द्वार पर पानी फैल जाने से चार चक्का व चक्का वाहन को गुजरने में परेशानी होती है.
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जनप्रतिनिधि भूल जाते हैं वादे
कर्मनाशा: दुर्गावती प्रखंड की खजुरा पंचायत का सरैया गांव उत्तर प्रदेश व बिहार सीमा क्षेत्र के कर्मनाशा नदी तट पर बसा है. एनएच-दो इस गांव के बगल से होकर ही गुजरी है. लेकिन, आजादी के वर्षो बाद भी गांव को एनएच-दो तक आने-जाने के लिए सड़क का निर्माण नहीं कराया गया है. गांव से नाली […]
कर्मनाशा: दुर्गावती प्रखंड की खजुरा पंचायत का सरैया गांव उत्तर प्रदेश व बिहार सीमा क्षेत्र के कर्मनाशा नदी तट पर बसा है. एनएच-दो इस गांव के बगल से होकर ही गुजरी है. लेकिन, आजादी के वर्षो बाद भी गांव को एनएच-दो तक आने-जाने के लिए सड़क का निर्माण नहीं कराया गया है.
करीब 1200 हैं वोटर : सरैया गांव के कृष्ण प्रताप सिंह, मथुरा पासवान, हसन हासमी, निजामुद्दीन व मकसुद साह आदि ने बताया कि चुनाव के समय जनप्रतिनिधि विकास करने की बात करते हैं. लेकिन, चुनाव बाद सारे वादे भूल जाते हैं. सरैया गांव के लोग तीन किलोमीटर पैदल चल कर कर्मनाशा वोट डालने जाते हैं. जबकि गांव के बगल में ही विद्यालय है. बस्ती के लोगों को पानी की समस्या है. इसका समाधान नहीं हो पा रहा है. जबकि, इस टोले में महादलितों की संख्या ज्यादा है. सरकार महादलितों के विकास के बारे में तमाम बातें करती है. लेकिन, अधिकारी एवं जनप्रतिनिधियों का ध्यान सरैया गांव की ओर नहीं है. जबकि सरैया गांव में करीब बारह सौ वोटर हैं.
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