भभुआ : नवजात बच्चों के लिए लाइफलाइन माने जानेवाले एसएनसीयू में इलाजरत बच्चों की जान खतरे में है. प्रदेश भर में नवजात बच्चों की जान बचाने में दूसरा स्थान रखनेवाला भभुआ सदर अस्पताल के परिसर में स्थित एसएनसीयू के उक्त भवन में कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि सदर अस्पताल के उपाधीक्षक ने सिविल सर्जन को लिखे पत्र में कहा है.
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एसएनसीयू भवन की छत जर्जर, टपकता रहता है पानी, कभी भी हो सकता है हादसा
भभुआ : नवजात बच्चों के लिए लाइफलाइन माने जानेवाले एसएनसीयू में इलाजरत बच्चों की जान खतरे में है. प्रदेश भर में नवजात बच्चों की जान बचाने में दूसरा स्थान रखनेवाला भभुआ सदर अस्पताल के परिसर में स्थित एसएनसीयू के उक्त भवन में कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. यह हम नहीं कह रहे हैं […]
एसएनसीयू के भवन की छत से पानी टपक रहा है. नवजात बच्चों के इलाज के लिए 14 वार्मर व पांच फोटो थेरेपी मशीन लगी है. सभी मशीनों पर बच्चों का इलाज चल रहा है. लेकिन, छत से टपक रहे पानी से बच्चों को बचाना कर्मियों के लिए सबसे बड़ी परेशानी है .
यह पानी मशीनों और बच्चों पर गिर रहा है . यहीं नहीं छत की स्थिति भी दयनीय है. ऐसे में कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. इसे लेकर अस्पताल के डीएस ने सिविल सर्जन को पत्र लिख किसी भी एसएनसीयू में अप्रिय घटना की आशंका जताते हुए एसएनसीयू के मरम्मत की गुहार लगायी है. भवन की स्थिति देख भर्ती बच्चों के परिजनों में किसी भी हादसे को लेकर डर बना हुआ है.
इलाज के लिए 14 वार्मर व पांच फोटो थेरेपी मशीनें हैं लगी
बच्चों को लेकर कर्मचारी इधर से उधर भागते रहते हैं
पानी से बच्चों व मशीनों को बचाना मुश्किल
एसएनसीयू का उद्घाटन अक्तूबर 2014 में किया गया था. अभी तक उसमें लगभग 5000 नवजात बच्चों का इलाज किया गया. जिसमें 4500 से अधिक बच्चों को इलाज कर बचाया गया. सदर अस्पताल में सबसे बेहतर ढंग से संचालित होनेवाली यूनिट के रूप में एसएनसीयू की प्रदेश में एक पहचान है. भवन की हालत यह है कि कर्मी, चिकित्सक से लेकर सभी वार्डों में छत से पानी टपक रहा है.
उद्घाटन के अगले साल ही छत से टपकने लगा था पानी
अक्तूबर 2014 में एसएनसीयू का उद्घाटन हुआ था और 2015 में छत से हल्का हल्का पानी टपकने लगा था. इसकी शिकायत किये जाने पर 2017 में भवन छत की मरम्मत करायी गयी. लेकिन, एक बरसात के बाद फिर इस वर्ष पानी टपकने लगा. इस बार पानी ज्यादा मात्रा में टपकने के कारण बच्चों के जान पर खतरा मंडराने लगा है.
क्या कहते हैं सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ अरुण कुमार तिवारी ने बताया की डीएस का पत्र मिलने पर हमने अस्पताल के प्रबंधक को छत के ऊपर प्लास्टिक लगाने व उसके साथ मरम्मत कार्य शुरू करने का आदेश दिया है जल्द काम शुरू हो जायेगा.
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