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डॉक्टरों को नहीं मिला नौ माह से वेतन

वेतन की दरकार. काला बिल्ला लगा कर डॉक्टरों ने वेतन नहीं मिलने का किया विरोध लगातार ड्यूटी के कारण नहीं कर पाते हैं प्रैक्टिस चिकित्सक कैसे करेंगे मरीजों का इलाज, जब खुद हैं परेशान जहानाबाद,नगर : धरती के भगवान कहे जाने वाले चिकित्सक जब खुद परेशान हो तब वे इनसान का बेहतर ख्याल कैसे रह […]

वेतन की दरकार. काला बिल्ला लगा कर डॉक्टरों ने वेतन नहीं मिलने का किया विरोध

लगातार ड्यूटी के कारण नहीं कर पाते हैं प्रैक्टिस
चिकित्सक कैसे करेंगे मरीजों का इलाज, जब खुद हैं परेशान
जहानाबाद,नगर : धरती के भगवान कहे जाने वाले चिकित्सक जब खुद परेशान हो तब वे इनसान का बेहतर ख्याल कैसे रह पायेंगे. विभिन्न मर्जों से परेशान इनसान आखिर अपने मर्ज के इलाज के लिए जाये तो कहां. जब मर्ज का इलाज करनेवाले ही परेशान हों. जिले में 45 से अधिक चिकित्सकों को अप्रैल, 2016 से अब तक वेतन नहीं मिला है, जिसके कारण चिकित्सक परेशान हैं. ऐसे में बेहतर इलाज का लाभ मरीजों को कैसे मिल पायेगा यह सोचनीय है.
समाज के अंतिम व्यक्ति तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने का दावा करनेवाली सूबे की सरकार में वेतन के अभाव में चिकित्सक परेशान है. उनके समझ भुखमरी की स्थिति उत्पन्न होने लगा है.
चिकित्सकों की माने तो साहूकार अब उधार देना बंद कर दिया है. बच्चों का फीस समय पर जमा नहीं होने के कारण उनकी पढ़ाई बाधित हो रही है. इन सबके बावजूद चिकित्सक अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूरी ईमानदारी के साथ कर रहे हैं. लेकिन विभाग उनके दर्द को नहीं समझ रहा है. नौ माह से वेतन के अभाव में अपने कर्तव्य निभानेवाले चिकित्सक आखिर कब तक अभिभावकों से अपना खर्च मांगते रहेंगे.
चिकित्सकों की माने तो अभिभावक अगर उन्हें सरकारी नौकरी करने का दबाव नहीं बनाते, तो उनके समझ वेतन के लाले भी नहीं पड़ते. ऐसे में जब सरकारी नौकरी करना है, तो वेतन का इंतजार तो करना ही पड़ेगा तब तक अभिभावक से मांगकर ही वे अपना खर्च चला रहे हैं. अपने दर्द कर बयान करते चिकित्सकों का कहना है कि आखिर कब तक वे बिना वेतन अपने कर्तव्य का निर्वहन करते रहेंगे.
लगातार ड्यूटी के कारण नहीं कर पाते हैं प्रैक्टिस : सप्ताह में छह दिन आठ घंटे की ड्यूटी होने के कारण वे निजी प्रैक्टिस भी नहीं कर पाते हैं. प्रतिदिन उन्हें अपनी ड्यूटी पर उपस्थित होना रहता है. कभी दिन तो कभी रात में उन्हें अपने कर्तव्य के निर्वहन में तैनात रहना पड़ता है. ऐसे में वे प्रैक्टिस भी नहीं कर पाते हैं ताकि उन्हें कुछ अतिरिक्त आमदनी हो सके, जिससे कि उनके परिवार का खर्च चल सके. निजी प्रैक्टिस के अभाव में वे पूरी तरह सरकारी वेतन पर ही निर्भर हैं. ऐसे में अगर समय से वेतन नहीं मिले तो परेशानी बढ़ना लाजिमी है.
काला बिल्ला लगा कर चिकित्सकों ने किया विरोध : नौ माह से वेतन नहीं मिलने से परेशान चिकित्सक अब पेनड्रॉप हड़ताल करने की तैयारी कर रहे हैं. चिकित्सकों द्वारा मंगलवार को काला बिल्ला लगा कर वेतन नहीं मिलने का विरोध किया गया. चिकित्सकों का कहना है कि अगर उन्हें शीघ्र वेतन नहीं मिला, तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे.
आखिर नौ माह से वेतन का इंतजार कर रहे हैं कब तक इंतजार की घड़ियां समाप्त होंगी यह कोई बताने को तैयार नहीं है. चिकित्सक डाॅ कृष्ण मोहन का कहना है कि वे कर्ज लेकर खा पी रहे हैं.
वहीं डाॅ उदय शंकर, डाॅ नीतीश घई आदि भी अपने परेशानी का जिक्र करते हुए बताया कि सरकार क्वालिटी इंप्रूव करना चाहती है लेकिन जब तक चिकित्सकों को समय से वेतन तथा अस्पताल में दवाओं की समुचित सुविधाएं नहीं होगी, तब तक क्वालिटी इंप्रूव कैसे करेगा.
क्या कहते हैं सिविल सर्जन
आवंटन के अभाव के कारण चिकित्सकों को वेतन का भुगतान नहीं हो पाया है. आवंटन के लिए कई बार विभाग को पत्राचार किया गया है. इधर पीएचसी मे तैनात चिकित्सकों के लिए कुछ आवंटन प्राप्त हुआ है. आवंटन प्राप्त होते ही चिकित्सकों के वेतन का भुगतान कर दिया जायेगा.
डाॅ विजय कुमार

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