सुखाड़ की आशंका. जिले में धान रोपनी की रफ्तार धीमी, किसान परेशान
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43 प्रतिशत हुई धान की रोपनी
सुखाड़ की आशंका. जिले में धान रोपनी की रफ्तार धीमी, किसान परेशान इस वर्ष जिले के किसान धानरोपनी को लेकर चिंतित हैं. पर्याप्त वर्षा की कमी से धान का आच्छादन समय के अनुसार कम हुआ है. 15 अगस्त तक शत-प्रतिशत रोपनी कर लेने का लक्ष्य है लेकिन अबतक किसी प्रकार 43 प्रतिशत ही अर्थात 21 […]
इस वर्ष जिले के किसान धानरोपनी को लेकर चिंतित हैं. पर्याप्त वर्षा की कमी से धान का आच्छादन समय के अनुसार कम हुआ है. 15 अगस्त तक शत-प्रतिशत रोपनी कर लेने का लक्ष्य है लेकिन अबतक किसी प्रकार 43 प्रतिशत ही अर्थात 21 हजार 70 हेक्टेयर भूमि में धान की रोपनी हो सकी है. जो धान रोपे गये हैं उसकी भी स्थिति उपयुक्त नहीं है.
जहानाबाद : का वर्षा जब कृर्षि सुखाने ‘. यह पुरानी कहावत पूरी तरह चरितार्थ हो रही है इस जिले में राज्य के विभिन्न हिस्से में जोरदार बारिश हेाने से कहीं बाढ़ आयी हुयी है तो कहीं बाढ़ की स्थिति बनी हुयी है. लेकिन जहानाबाद जिले की स्थिति ऐसी है कि यहां के किसान जोरदार बारिश हेाने की वाट जोह रहे हैं. उनके खेत प्यासे हैं कई नदियां सुखी हुयी है. परंपरागत सिचाई श्रोत आहर पोखर में भी पानी की कमी है. धानरोपनी का समय बीतता जा रहा है 15 अगस्त तक रोपनी का कार्य पूरा कर लेने का लक्ष्य कृर्षि विभाग का है. लेकिन अब तक 43 प्रतिशत खेतों में ही किसान किसी तरह धान का आच्छादन कर सके हैं. खबर के अनुसार जितनी मात्रा में वर्षा होनी चाहिए थी वो अब तक नहीं हुयी है.
जो बारिश हुयी भी तो पानी का भंडारन खेतों में नहीं हो सका है. ऐसी स्थिति में यहां के किसान परेशान हैं. आकाश में काले बादलों को मंडराते देख उनमें खुशी होती है कि आज बारिश होगी लेकिन अल्पमात्रा में पानी की बूंदे गिरने के बाद पुन: तीखी धूप निकल जा रही है जिससे किसानों की चिंता बढ़ गयी है. बर्षा की कमी से किसानों के दिल दरकने लगे हैं. यहां के सरकारी सिंचाई श्रोत भी ठीक ठाक नहीं है. जो सामर्थयवान किसान हैं वो तो किसी तरह अपने खेतों में धान की रोपनी कर रहे हैं लेकिन वर्षा पर आधारित छोटे और मध्यम वर्ग के किसानों में प्रकृति की लीला से उनके चेहरे मुझाये हुये हैं.
43 प्रतिशत अब तक हुयी है धान रोपनी : जिले के सभी सात प्रखंडों में इस वर्ष 49 हजार हेक्टेयर भूमि में धान का आच्छादन करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. 4 हजार 900 हेक्टेयर जमीन में धान का बिचड़ा तैयार करने की योजना बनी थी. इसके अनुसार करीब 99 प्रतिशत उपलब्धि हासिल हुयी. 4 हजार 834 हेक्टेयर जमीन में धान की बिचड़ा तैयार किया गया लेकिन धान का आच्छादन समय के अनुसार कम है. अबतक 21 हजार 70 हेक्टेयर भूमि में ही धान की रोपनी की जा सकी है.
धनरोपनी की रफ्तार धीमी रहने का मुख्य कारण सामान्य वर्षापात का कम होना है. जो बारिश हुयी भी तो पानी का संचय खेतों में नहीं हो सका. उपर से कृषि मजदूरों की भी समस्या है. कृषि विभाग के अनुसार इस वर्ष 15 अगस्त तक लक्षित 49 हजार हेक्टेयर भूमि में धानरोपनी कर लेने का लक्ष्य है जो पर्याप्त वर्षा होने पर ही संभव प्रतित हो रहा है. वर्तमान समय में बारिश की जो स्थिति है उससे ऐसा लग रहा है कि इस जिले में इसबार सुखाड़ की समस्या से किसानों को जुझना पड़ सकता है.
आच्छादित बिचड़ों को है सिचाई की दरकार : कड़ी मशक्कत के बाद जिन किसानों ने अपनी खेतों में धान की रोपनी की उनके समक्ष खेतों की पटवन की समस्या अभी से ही सताने लगी है. ग्रामीण इलाके में पानी का जलस्तर नीचे चले जाने से कई पंपिंग सेट भी फेल हो गये हैं एक तो कि आहर-पोखर और नदियों में पानी का अभाव और उपर से पंपिंग सेट का फेल होना किसानों की चिंता बढा रहा है. इसके अलावा प्रकृति की मार भी किसानों को झेलनी पड़ रही है.
लोग कह रहे हैं कि राज्य के अन्य कई जिले में मुसलाधार बारिश से बाढ़ की स्थिति है लेकिन जहानाबाद में अबर्षण से किसानों के वैसे खेत भी प्यासे हैं जहां धान का आच्छादन किया गया है. यदि समय रहते बारिश नहीं हुयी तो रोपे गये धान के बिचड़े भी नष्ट हो जायेगें और किसानों को सूखाड़ की समस्या से जुझना पडेगा.
क्या कहते हैं अधिकारी
जिले में धानरोपनी की रफ्तार तो धीमी है लेकिन यदि अभी भी बारिश ढंग से हो गयी तो रोपनी का लक्ष्य निर्धारित समय के भीतर पूरा कर लिया जायेगा. बिचड़े की कमी नहीं है. अबतक सभी सात प्रखंडों से 43 प्रतिशत रोपनी होने की सूचना है.
शंकर झा, जिला कृषि पदाधिकारी
धान आच्छादन का लक्ष्य
प्रखंड का नाम लक्ष्य (हेक्टेयर में)
जहानाबाद 7737
मखदुमपुर 11863
काको 8253
रतनी-फरीदपुर 7221
घोसी 5158
हुलासगंज 4642
मोदनगंज 4126
कुल 49000
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