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35 ट्रॉली के बाद भी गंदगी

अनदेखी. कूड़े का नहीं हो रहा समुचित उठाव,परेशानी बढ़ी कई स्थानों पर लगा है कचरे का अंबार जहानाबाद नगर : शहर को साफ -सुथरा बनाने के उद्देश्य से नगर पर्षद को करोड़ों का संसाधन उपलब्ध कराया गया है. लेकिन यही संसाधन नगर पर्षद के लिए जी का जंजाल बना हुआ है. नगर पर्षद के यार्ड […]

अनदेखी. कूड़े का नहीं हो रहा समुचित उठाव,परेशानी बढ़ी

कई स्थानों पर लगा है कचरे का अंबार

जहानाबाद नगर : शहर को साफ -सुथरा बनाने के उद्देश्य से नगर पर्षद को करोड़ों का संसाधन उपलब्ध कराया गया है. लेकिन यही संसाधन नगर पर्षद के लिए जी का जंजाल बना हुआ है. नगर पर्षद के यार्ड में कई गाड़ियां यूं ही बेकार खड़ी है. साफ-सफाई में नगर निकाय द्वारा उपलब्ध संसाधनों का भरपूर उपयोग नहीं किया जा रहा है. संसाधनों का भरपूर उपयोग नहीं होने के कारण शहर के गली -मुहल्लों की आधी-अधूरी सफाई हो रही है. नगर पर्षद के पास संसाधन तो उपलब्ध हैं लेकिन इसका समुचित लाभ

शहरवासियों को नहीं मिल रहा है. शहर में 33 वार्ड हैं . नगर पर्षद के पास वार्डों की सफाई के लिए 35 हैंड ट्रॉली भी उपलब्ध हैं. लेकिन इन हैंड ट्रॉली को लेकर चलने वाले सफाई कर्मी कुछ वार्डों में ही नजर आते हैं. शहर के कई वार्डों में तो सफाईकर्मी नजर ही नहीं आते .जिसके कारण इन मुहल्लों में कचरों का अंबार लगा है. मोहल्लेवासियों की मानें तो सफाई नहीं होने के कारण वार्डों के हर एक मोड़ पर गंदगी जमा है. इन कचरों का नित्य दिन उठाव भी नहीं हो पा रहा है. कचरों का नियमित उठाव नहीं होने से स्थिति नारकीय बनी है.

नगर पर्षद के पास मौजूद संसाधन :कहने को तो नगर पर्षद के पास सफाई के सभी उपकरण उपलब्ध हैं लेकिन इसका लाभ शहरवासियों को नहीं मिल रहा है. वर्तमान समय में नगर पर्षद के पास पांच ट्रैक्टर , एक बड़ा जेसीबी , एक छोटा जेसीबी , एक सेक्शन मशीन ,दो टेंपो टीपर ,एक फॉगिंग मशीन के अलावा 35 हैंड ट्रॉली उपलब्ध है. लेकिन इसमें से महज दो -चार उपकरणों का ही प्रतिदिन शहर की सफाई में उपयोग होता है. हालांकि विभाग के पास चालकों की कमी है .ऐसे में विभाग उपलब्ध संसाधनों का भरपूर उपयोग नहीं कर पाता है.

कचरों का ठीक से नहीं उठाव :शहर में कचरों का उठाव ठीक से नहीं होने के कारण चारों तरफ कचरा फैला रहता है. शहर की वार्डों की कौन कहे मुख्य सड़क किनारे भी जहां-तहां कचरा फैला नजर आता है. जिसे देख नगर पर्षद की कार्यशैली पर सवाल उठने लगा है . कहने को तो मुख्य सड़क पर प्रतिदिन झाड़ू लगाया जाता है लेकिन कचरों का उठाव नियमित रूप से नहीं हो पाता है.

कचरा उठाने के चक्कर में लगता है जाम :कई बार कचरा उठाने के चक्कर में मुख्य सड़क पर ही नप का ट्रैक्टर खड़ा कर दिया जाता है जिसके कारण जाम की समस्या उत्पन्न हो जाती है . कचरा ढोने वाला वाहन मुख्य सड़क पर लगाये जाने पर कोई सफाईकर्मियों को बोल भी नहीं पाता तथा वे अपनी मनमानी करते सड़क पर ही गाड़ी लगाकर कचरा उठाने में लगे रहते हैं.

कचरा फेंकने का स्थान नहीं है चिह्नित : नप द्वारा शहर से जो कचरे का उठाव किया जाता है उसे फेंकने के लिए कोई स्थान चिह्नित नहीं है. डपिंग जोन नहीं रहने के कारण सफाईकर्मी अपनी मन-मर्जी से जहां-तहां कचरा फेंक देते हैं .जिससे शहर साफ होने के बजाय और भी गंदा हो जाता है. कभी दरधा नदी में तो कभी घोसी मोड़ के समीप शहर से निकलने वाले कचरा को फेंका जाता है.

ढक कर नहीं ढोया जाता कचरा:शहर की साफ -सफाई के बाद निकलने वाले कचरे को कभी भी ढक कर नहीं ढोया जाता है. खुलेआम कचरा ढोये जाने से वह सड़क पर यत्र तत्र बिखरा रहता है. वहीं कचरे से निकलने वाली दूर्गंध से लोगों की परेशानी बढ़ जाती है.

क्या कहते हैं अधिकारी

शहर की साफ-सफाई की जिम्मेवारी स्वयंसेवी संस्था को दी गयी है . जो नियमित रूप से साफ-सफाई के साथ ही कूड़े का उठाव करता है. वार्डों की सफाई के लिए नप के सफाई कर्मचारियों को प्रतिदिन वार्डों में सफाई के लिए भेजा जाता है.

संजीव कुमार ,कार्यपालक पदाधिकारी

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