जहानाबाद : सफाई के नाम पर यहां नगर परिषद के द्वारा लाखों रुपये व्यय किये जाते है. स्थायी सफाईकर्मी, मानदेय पर बहाल सफाई कामगार व नगर परिषद के वार्ड जमादार सहित सफाई व्यवस्था के नाम पर प्रतिमाह करीब छह लाख रुपये व्यय किये जाते हैं. यानि एक साल में 72 लाख रुपये.
एनजीओ के माध्यम से खर्च की जाने वाली राशि इसके अतिरिक्त है. बावजूद इसके यहां के गली-मोहल्ले गंदगी से बजबजा रही है. प्रकृति ने थोडी सी करवट ली और उजागर हो गयी हकीकत. सफाई की मुकम्मल व्यवस्था करने के विभागीय दावे की हवा निकल गयी. हल्की बारिश में तो शहर की हालत ऐसी है बरसात में क्या होगा, इसका सहज आकलन आसानी से किया जा सकता है.
मेन बाजार सब्जी मंडी:
शहर का ह्दय स्थल कहा जाता है मेन रोड स्थित प्रमुख बाजार को. इसी क्षेत्र के एक बड़े रकबे में संचालित है सब्जी मंडी, जहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में महिलाएं, पुरुष और बच्चे हर तरह के सामानों की खरीदारी करने जाते हैं. लेकिन फिलहाल नरक में तब्दील रहने से लोग इस इलाके में जाने से परहेज कर रहे हैं. वो तो मजबूरी है कि लोगों को प्रतिदिन सब्जी, अनाज, किराना की खरीदारी करनी होती है. इस कारण मेन बाजार में जाना उनकी विवशता है. कीचड़ से सनी सड़क ही इसकी फिलहाल पहचान है. सब्जी मंडी में लोगों के पैर कीचड़ से सन जाना आम बात है.
मलहचक-एरोड्राम रोड
मलहचक मोड़ पर पहुंचते ही लोगों को मुहाने पर जमे गंदे पानी से गुजरना पड़ रहा है. सड़कें कीचड़ से किचकिच है. कारण यह है कि दुकानों व घरों की गंदगी रोज सड़क पर फेंकी जाती है और नगर परिषद द्वारा झाडू लगाने के नाम पर सिर्फ खानापूरी की जाती है. यही कारण है की कूड़े-कचरे के ढेर आज हल्की बारिश से सड़क को कीचड़ से सन दिया है.
मलहचक से पूरब एरोड्राम जाने वाली सड़क की हालत तो अत्यंत नारकीय हो गयी है. कई जगहों पर यथा लोकनगर, बाल्टी फैक्ट्री मोड़, मलहचक पानी टंकी, आर्य समाज स्कूल के पास गंदगी व गंदे पानी का जमाव रहने से मोहल्ले के लोगों और अन्य राहगीरों को बेहद कठिनाई झेलनी पड़ रही है. लोग फिसलकर गिर रहे हैं और नगर परिषद के अधिकारी एवं सफाई कामगारों को कोस रहे हैं.
राजाबाजार- फीदाहुसैन रोड व शिवाजी पथ:
ये तीनों स्थान व्यावसायिक स्थल है जहां इन दिनों कीचड़ और गंदे पानी का साम्राज्य है. राजाबाजार की हालत तो ऐसी बदतर है कि इस इलाके में लोग जाना नहीं चाहते. अरवल मोड़ से लेकर बाजार समिति मोड़ तक गंदगी से पूरी तरह पटा है. शिवाजी पथ पर पूरी तरह कीचड़ ही कीचड़ है. इन दोनों स्थानों पर वृहत पैमाने पर व्यवसाय होते हैं. नाली की सफाई नहीं होने से आज गंदा पानी सड़क पर बह रहा है. शिक्षण सामग्री, फर्नीचर और इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों की बिक्री का स्थल है
फीदा हुसैन रोड:
यह रोड एनएच 83 और मेन रोड को एक-दूसरे से जोड़ता है. हजारों लोग आते-जाते हैं पर फिलहाल इस रोड से लोग गुजरना नहीं चाहते. कारण है पूरी सड़क पर गंदगी का बजबजाना. ंदा पानी जमा रहना.
कमोवेश यही स्थिति है एनएच 83 और एनएच 110 की. इस पर फिलहाल जलजमाव तो नहीं है परंतु हल्की बारिश से सड़क पर कीचड़ है. काको मोड़, बस पडाव, स्टेशन रोड, अरवल मोड, ऊंटा सब्जी मंडी के पास गंदगी से लोग संभल-संभलकर गुजर रहे हैं.
कीचड़ से फिलहाल गिर जाने का भय राहगीरों में बना है.
इन स्थितियों को देखते हुए लोग यह कहने में तनिक भी हिचकिचाहट महसूस नहीं करते हैं की कस्बाई (ग्रामीण) इलाके से घिरे इस छोटे से शहर में सफाई के नाम पर सरकारी खजाने पर झाडू लगाया जा रहा है. इसकी चिंता या खोज खबर लेने की फिक्र न तो जिले के हुक्मरानों को है और न ही जनता के कथित हितैषी कहलाने वाले जन-प्रतिनिधियों को.
शहर की बदहाल स्थिति, सफाई मद में खर्च की जाने वाली राशि, गंदगी के लिए जिम्मेवार कौन, सरकारी रुपयों का किस तरह हो रहा उपयोग इन सारी बातों की पुख्ता जानकारी के लिए जब नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी से संपर्क किया गया तो वे कार्यालय में उपलब्ध नहीं थे.
मोबाइल फोन से संपर्क करने पर भी वे कॉल रिसीव नहीं कर पाए. सूत्रों के अनुसार एनजीओ को छोड़ प्रतिमाह करीब छह लाख रुपये खर्च किये जा रहे हैं. सफाई उपकरण के तेल और रखरखाव के नाम पर मासिक 42 हजार रुपये खर्च किये जाने की सूचना है.