पांच दिसंबर से धान खरीदने का था निर्देश, 60 हजार एमटी धान खरीद का है लक्ष्य
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नहीं मिल रहे धान के खरीदार
पांच दिसंबर से धान खरीदने का था निर्देश, 60 हजार एमटी धान खरीद का है लक्ष्य 93 क्रय केंद्रों में से महज 30 ने खरीदे धान पैक्स को मिला है आठ लाख का कैश क्रेडिट मिलरों को अटैच नहीं करने के चलते धान खरीदने से बच रही है पैक्स बोरे की कमी की आड़ में […]
93 क्रय केंद्रों में से महज 30 ने खरीदे धान
पैक्स को मिला है आठ लाख का कैश क्रेडिट
मिलरों को अटैच नहीं करने के चलते धान खरीदने से बच रही है पैक्स
बोरे की कमी की आड़ में क्रय केंद्रों से लौटाये जा रहे हैं किसान
फेल हो रही प्रशासनिक व्यवस्था, अफसर नहीं कर रहे मॉनीटरिंग
जहानाबाद : सरकार द्वारा पांच दिसंबर से ही धान अधिप्राप्ति की घोषणा की गयी थी, लेकिन जिले में काफी विलंब से धान खरीद का कार्य आरंभ हुआ. प्रशासनिक स्तर पर लंबी तैयारियों के उपरांत धान खरीद का कार्य शुरू तो हुआ, लेकिन गति काफी धीमी रही. धान अधिप्राप्ति को लेकर 92 क्रय केंद्र बनाये गये हैं, लेकिन अधिकतर पर आज भी ताले लटके हैं. धान क्रय को लेकर पैक्स के अलावा व्यापार मंडल तथा एसएफसी द्वारा भी क्रय केंद्र खोले गये हैं, लेकिन यहां भी धान की खरीद नहीं हो रही है.
दस फीसदी से भी कम खरीदारी
प्रशासन द्वारा लंबी तैयारियों के साथ धान क्रय का कार्य आरंभ किया गया. 60 हजार एमटी धान खरीदने का लक्ष्य निर्धारित किया गया. सभी पैक्स को भी धान खरीद का लक्ष्य निर्धारित कर दिया गया, लेकिन धान खरीद में आ रहे पेच के कारण धान क्रय की गति काफी धीमी है. जिले में अब तक 30 पैक्स द्वारा 1024 एमटी धान की खरीद की गयी है, जो लक्ष्य से काफी दूर है. वहीं, दूसरी ओर किसान धान लिये इधर-उधर भटक रहे हैं.
कैश क्रेडिट की आड़ में बच रहे पैक्स : धान क्रय में सबसे बड़ी बाधा कैश क्रेडिट का आ रहा है. को-आॅपरेटिव बैंक द्वारा पैक्स को आठ लाख का सीसी दिया गया है, जो कि पर्याप्त नहीं है. पैक्स अध्यक्षों की मानें, तो आठ लाख में सिर्फ पांच किसानों का ही धान खरीदा जा सकता है. ऐसे में अन्य किसान पैक्स अध्यक्षों के साथ अच्छा बरताव कैसे करेंगे. किसान धान बेचने को पूरी तरह तैयार बैठे हैं, लेकिन पैक्स द्वारा इस डर से धान की खरीद नहीं की जा रही है कि कुछ किसानों का धान खरीदने के साथ ही अन्य किसान हंगामा करने लगेंगे.
धान खरीद नहीं होने से टास्क फोर्स बेमानी : जिले में धान खरीद पर पैनी नजर रखने के उद्देश्य से जिला स्तर पर टास्क फोर्स का निर्माण किया गया है, जो क्रय केंद्रों पर घूम-घूम कर धान क्रय तथा किसानों की परेशानी पर नजर रखेगा. लेकिन, जिले में धान क्रय की गति काफी धीमी होने के कारण टास्क फोर्स ही बेमानी साबित हो रहा है. जिले की अधिकतर पैक्स द्वारा धान की खरीद ही शुरू नहीं की गयी है, तो टास्क फोर्स आखिर नजर रखे, तो किस पर.
मिलरों से अटैच नहीं हुई पैक्स :
अधिकतर पैक्स का अबतक मिलरों से अटैचमेंट नहीं होने के कारण पैक्स धान खरीदने से मना कर रही है. सरकार द्वारा धान अधिप्राप्ति को लेकर जो मापदंड निर्णारित किया गया है उसके अनुसार इस बार पैक्स को धान खरीद करने के बाद उन्हें उसका चावल बना कर एसएफसी को देना है.
ऐसे में अब तक पैक्स का एग्रीमेंट मिलर के साथ नहीं होने से पैक्स धान खरीद नहीं कर रही है.
पैक्स में बोरो व संसाधन की कमी : पैक्स में बोरों की कमी तथा संसाधनों का अभाव भी धान खरीद में बाधक बन रही है. पैक्स को अब तक बोरा उपलब्ध नहीं कराया गया है. इसके कारण वे किसानों का धान खरीदने से हिचक रहे हैं. हालांकि किसान अपने बोरे में धान पैक्स को उपलब्ध करा रहे हैं, तो उन्हे धान के लिए निर्धारित मूल्य के साथ ही बोरे के लिए प्रति क्विंटल 25 रुपये की दर से राशि दी जानी है. कई पैक्स के पास नमी मापक यंत्र भी उपलब्ध नहीं है.अपनी भूमिका से मुंह मोड़ रही पैक्स : किसानों के हित में कार्य करने के लिए पैक्स का गठन किया गया है, लेकिन वह अपनी भूमिका से मुंह मोड़ती नजर आ रही है. धान अधिप्राप्ति को लेकर सरकारी नियम कानूनों का हवाला देकर वे किसानों को बैरंग वापस लौटा दे रही है. किसान अपना धान लेकर पैक्स का चक्कर काटते फिर रहे हैं. वहीं, पैक्स सरकारी नियमों का हवाला देते नजर आ रहे हैं.
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