बदहाली के कगार पर पहुंचा नेहरू पुस्तकालय
करपी : प्रखंड मुख्यालय स्थित नेहरू पुस्तकालय पदाधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों के उदासीन रवैये के करण कई दशकों से बदहाली के कगार पर है . सरकार द्वारा पुस्तकालय को साधन संपन्न करने की घोषणा के बावजूद इस पुस्तकालय में कई समस्याएं सुरसा की तरह मुंह बाये खड़ी है. उपेक्षित पुस्तकालय अपना अस्तित्व खोने के कगार पर पहुंच गया है.
पुस्तकालय की स्थापना वाली जगह कई मायनों में काफी महत्वपूर्ण है. इस स्थान पर महादलित परिवारों की संख्या अधिक है. बस स्टैंड के नजदीक होने के कारण लोगों का आवागमन भी प्राय: बना रहता है. 1942 में स्थापित इस पुस्तकालय से लोगों को काफी उम्मीदें थी. स्थापना काल के दौरान पुस्तकें भी काफी मात्रा में थी. उस वक्त पुस्तकालय में रेडियो भी उपलब्ध कराया गया था. आसपास के लोग यहां समाचार सुनने के लिए जमा होते थे. किसान चौपाल का भी आयोजन होता था.
खपडै़लनुमा मकान में संचालित पुस्तकालय अब केवल नाम का ही रह गया है. मरम्मत के अभाव में खपरैल से पानी चुने के कारण पत्र पत्रिकाएं दीमक की भेंट चढ़ गई है. स्थानीय लोगों द्वारा जीणोद्वार के लिए कई बार मांग की गई,लेकिन सब निर्रथक साबित हुआ.