जहानाबाद नगर : जिले की सड़कों और गलियों में घूमने वाले आवारा कुत्ते स्वास्थ्य विभाग की बजट बिगाड़ रहे हैं. एक ओर जहां आम आदमी इन कुत्तों से परेशान हैं वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग को भी इसके कारण लाखों रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. आवारा कुत्तों के शिकार हुए लोग अस्पतालों का चक्कर […]
जहानाबाद नगर : जिले की सड़कों और गलियों में घूमने वाले आवारा कुत्ते स्वास्थ्य विभाग की बजट बिगाड़ रहे हैं. एक ओर जहां आम आदमी इन कुत्तों से परेशान हैं वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग को भी इसके कारण लाखों रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. आवारा कुत्तों के शिकार हुए लोग अस्पतालों का चक्कर काटने को मजबूर हैं.
अगर सरकारी अस्पताल में एंटी रैबिज की सूइ मिल गयी तो ठीक नहीं तो बाहर से सूई खरीदनी पड़ती है. जिसमें दो से ढाई हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं. इन आवार कुत्तों के शिकार हुए लोगों की संख्या इतनी है कि स्वास्थ्य विभाग को प्रति वर्ष 10 हजार से अधिक वॉयल एंटी रैबिज वैक्सिन खरीदनी पड़ती है. इस दवा की खरीदारी में विभाग को 50 लाख से अधिक खर्च करने पड़ते हैं. जिले में आवार कुत्तों के नियंत्रण की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण ये कुत्ते कभी भी कहीं भी लोगों को अपना शिकार बना लेते हैं.
तीन इंजेक्शन लेने की रहती है बाध्यता : डॉक्टर की मानें तो कुत्ता के शिकार हुए मरीज को कम से कम तीन इंजेक्शन लेने की जरूरत पड़ती है.वहीं किसी -किसी मरीज को पांच और सात इंजेक्शन भी लेने पड़ते हैं. ऐसे में एक ही मरीज को कई बार एंटी रैबिज की सूई लेने के लिए अस्पताल का चक्कर लगाना पड़ता है.
400-500 है एक वॉयल की कीमत : एंटी रैबिज इंजेक्शन के एक वॉयल की कीमत बाजार में 4 से 5 सौ रुपये है. जबकि सरकारी अस्पताल में यह मुफ्त में मिलती है. जिसके कारण मरीजों की भीड़ लगी रहती है. एंटी रैबिज की सूई उपलब्ध नहीं होने पर मरीज कई दिनों तक सूई उपलब्ध होने का इंतजार करते रहते हैं. लेकिन वे बाजार से इंजेक्शन नहीं खरीद पाते हैं.
सरकारी अस्पताल में मुफ्त में मिलने वाली इस इंजेक्शन के लिए अन्य जिलों से भी मरीज यहां पहुंचते हैं.
एंटी रैबिज सूई की खपत
जनवरी2018-1200
फरवरी2018-1480
मार्च2018-1920
अप्रैल2018-960
मइ2018-640
जुन2018-840