मरीजों को मिलने वाली कई सुविधाओं में लगता है ताला
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दवाओं की कमी के बाद भी मरीजों की संख्या में हो रहा इजाफा
मरीजों को मिलने वाली कई सुविधाओं में लगता है ताला जर्जर भवन में मरीज व कर्मी दहशत में रहने को हैं विवश जहानाबाद (नगर) : जिला अस्पताल विगत तीन वर्षों से दवाओं की किल्लत से जूझ रहा है. फिर भी मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. हर माह मरीजों की संख्या बढ़ती […]
जर्जर भवन में मरीज व कर्मी दहशत में रहने को हैं विवश
जहानाबाद (नगर) : जिला अस्पताल विगत तीन वर्षों से दवाओं की किल्लत से जूझ रहा है. फिर भी मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. हर माह मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है भले ही उन्हें कोई जिला स्तरीय अस्पताल की सुविधा नहीं मिल रही हो. अस्पताल में चहुंओर गंदगी के बीच मरीज तथा उनके परिजन रहने को विवश हैं. मरीज अपने मर्ज का इलाज तो चिकित्सक से करा ले रहे हैं लेकिन दवाओं के अभाव में उन्हें या तो बिना दवा ही भगवान भरोसे या फिर बाहर से दवा खरीदने को विवश होना पड़ रहा है. यही नहीं मरीजों को मिलने वाली एक्स-रे की सुविधा में भी पिछले दो महिने से ताला लटका हुआ है
वहीं आइसीयू का लाभ अब तक एक भी मरीज को नहीं मिल सका है. इन सब के बावजूद अस्पताल में मरीजों की लगातार बढ़ती संख्या यह बताता है कि अन्य अस्पतालों की तुलना में यहां इलाज की सुविधा अधिक है. जिला मुख्यालय में स्थापित सदर अस्पताल 300 बेड का संचालित है. हालांकि पूरे अस्पताल में डेढ़ सौ से अधिक बेड नहीं लगे हुए हैं. यहां चिकित्सकों का 41 पद सृजित है. फिलहाल 31 चिकित्सक तैनात हैं. मरीजों को 18 प्रकार की दवाएं मिल रही है जिसमें एंटीबायोटिक के अलावा कुछ अन्य दवाएं भी शामिल हैं लेकिन बी-कम्पलेक्स, कैल्सियम, आइड्रोप सहित कई जरूरी दवाएं उपलब्ध नहीं है. दवा वितरण के लिए अस्पताल में दो काउंटर बने हैं. एक पर महिला मरीज तथा दूसरे पर पुरुष मरीजों को दवाएं दी जाती है. जर्जर भवन में संचालित अस्पताल में इमरजेंसी की सुविधा उपलब्ध है लेकिन इमरजेंसी में इलाज कराने आने वाले मरीजों को बाहर से दवाएं खरीदनी पड़ती है. अस्पताल में करीब 81 कर्मी कार्यरत हैं. यहां महिने में लगभग 20 हजार मरीजों का इलाज होता है. इनमें 17 हजार से अधिक मरीज ओपीडी में अपना इलाज कराते हैं जबकि अन्य मरीजों का इलाज इनडोर में किया जाता है. अस्पताल में ओटी के अलावा जांच घर, अल्ट्रासांउड, ब्लड बैंक, शिशु केयर यूनिट आदि की व्यवस्था भी है जिसका लाभ मरीजों को मिलता है.
अस्पताल में जिस अनुपात में जिले के शहरी व ग्रामीण इलाके से मरीज आते हैं उस अनुपात में सुविधाओं का अभाव है. जिला अस्पताल में जितनी सुविधाएं मिलनी चाहिए वह नहीं मिल रही है.
रौशन कुमार
कई स्थानों पर गंदगी भी लगा है जो मरीजों को और भी बीमार बना रहा है. अस्पताल प्रशासन को साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए ताकि मरीजों को स्वच्छ व सुंदर वातावरण मिल सके.
अशोक कुमार
क्या कहते हैं मरीज
दवाओं की किल्लत से परेशानी हो रही है. सरकारी अस्पताल में इलाज कराने आये थे तो सोंचा था कि दवा भी यहीं मिल जायेगा लेकिन सिर्फ एक दवा ही मिला है. अन्य तीन दवाएं बाहर से खरीदनी पड़ रही है.
सुबोध कुमार
डाक्टर साहब तो मिल गये. इलाज भी उनके द्वारा किया गया लेकिन उन्होंने एक्स-रे कराकर उसे दिखाने को कहा है. एक्स-रे कराने गये तो जानकारी मिली कि दो माह से एक्स-रे बंद है. पैसा भी नहीं है कि बाहर में एक्स-रे करायें.
सुजीत कुमार
क्या कहते हैं उपाधीक्षक
अस्पताल में दवाओं की थोड़ी कमी है. इस संबंध में कई बार विभाग को लिखा गया है. दवाओं की कमी को देखते हुए स्थानीय स्तर पर दवाओं की खरीद कर मरीजों को उसका लाभ दिया जा रहा है.
डाॅ बी के झा
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