हर घर शौचालय की सरकारी सोच नहीं बन पाया जमीनी हकीकत
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खुले में शौच से मुक्त नहीं हो सका सोनो प्रखंड
हर घर शौचालय की सरकारी सोच नहीं बन पाया जमीनी हकीकत -सड़क किनारे, नदी व खेतों में लोग आज भी खुले में जाते हैं शौच सोनो : खुले में शौच से प्रखंड को मुक्त कराने में जुटे प्रशासनिक तंत्र के प्रयास के बावजूद प्रखंड खुले में शौच से मुक्त नहीं हो सका. आज भी बड़ी […]
-सड़क किनारे, नदी व खेतों में लोग आज भी खुले में जाते हैं शौच
सोनो : खुले में शौच से प्रखंड को मुक्त कराने में जुटे प्रशासनिक तंत्र के प्रयास के बावजूद प्रखंड खुले में शौच से मुक्त नहीं हो सका. आज भी बड़ी संख्या में लोग नदी किनारे, सड़क किनारे, तालाब के किनारे व खेतों में शौच के लिए जाते है. छठ पूजा को लेकर विभिन्न पंचायतों में नदी के घाट एवं घाट की ओर जाने वाली सड़क की सफाई के दौरान इन क्षेत्रों में फैली गंदगी खुले में शौच को बयां कर रही थी.खुले में शौच से होने वाले नुकसान व स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को लेकर जागरूकता का आभाव कहें
या फिर घर में शौचालय नहीं होने की मजबूरी लोग आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर है.देश को खुले में शौच से मुक्त करने के सोच को जमीनी हकीकत में बदलने के लिए प्रशासनिक स्तर पर संभवतः कारगर प्रयास नही हो पा रहा है. अक्तूबर से पूर्व सितंबर माह में जिला जल एवं स्वच्छता समिति प्रखंड जल स्वच्छता समिति बनाकर शौचालय निर्माण कराने व लोगो को जागरूक करने में जिस तेजी को दिखाया वह अक्तूबर से दम तोड़ता नजर आया.
उस वक्त आदर्श ग्राम पंचायत दहियारी सहित प्रखंड के तीन पंचायत को 2 अक्तूबर तक पूर्ण रूपेण खुले में शौच से मुक्त पंचायत बनाने का लक्ष्य रखा गया था परंतु यह लक्ष्य भले ही कागज पर प्राप्त हो गया होगा परंतु जमीनी हकीकत यह है कि इन पंचायतों में आज भी बड़ी संख्या में ऐसे परिवार है जिनके घर शौचालय नही है. ये लोग खुले में ही शौच जाते है. कई परिवार ऐसे है जिनके द्वारा आवेदन देने के बावजूद उन्हें शौचालय बनाने के लिए सामान व सहयोग नही मिल रहा है.
जिन्होंने आवेदन देकर अपने खर्च से शौचालय बना लिया उनमें अधिकतर राशि के लिए प्रखंड का चक्कर लगा रहे है. प्रखंड विकास पदाधिकारी का कहना है कि राशि सीधे जिला से लाभुक को उपलब्ध होगा. इन तमाम झंझट को देख जो शौचालय बनाने की सोच भी रहे है उनके उत्साह पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है. कई पंचायत से ऐसी भी खबर आ रही है कि शौचालय निर्माण में मिलने वाली राशि में भी अनियमितता का प्रयास किया जा रहा है.कई ऐसे लोग जिनके घर पूर्व से ही शौचालय है वे राशि प्राप्त करने की फिराक में लग गए है. ऐसे में आसानी से समझा जा सकता है कि सुस्त प्रशासनिक रवैया व अनियमितता के प्रयास से प्रखंड कैसे खुले में शौच मुक्त हो पायेगा.
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