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शरीर, मन और आत्मा का पवित्र मिलन ही योग: स्वामी आत्मस्वरूप

जमुई : मुख्यालय स्थित श्रीकृष्ण सिंह स्टेडियम में ऑक्सफोर्ड पब्लिक स्कूल ओर स्वामी निरंजनानंद योग केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार से तीन दिवसीय योग शिविर का शुभारंभ किया गया. इसका शुभारंभ निरंजनानंद योग केंद्र के प्रधान योगाचार्य स्वामी आत्मस्वरूप ने दीप प्रज्वलित कर किया. मौके पर जानकारी देते हुए स्वामी आत्मस्वरूप ने कहा कि […]

जमुई : मुख्यालय स्थित श्रीकृष्ण सिंह स्टेडियम में ऑक्सफोर्ड पब्लिक स्कूल ओर स्वामी निरंजनानंद योग केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार से तीन दिवसीय योग शिविर का शुभारंभ किया गया. इसका शुभारंभ निरंजनानंद योग केंद्र के प्रधान योगाचार्य स्वामी आत्मस्वरूप ने दीप प्रज्वलित कर किया. मौके पर जानकारी देते हुए स्वामी आत्मस्वरूप ने कहा कि शरीर, मन और आत्मा का पवित्र मिलन ही योग है.
उन्होंने योग को विज्ञान का जीवंत रूप बताते हुए कहा कि इस शब्द का जिक्र प्रतिष्ठित ग्रंथ गीता में बुद्धि योग, संन्यास योग तथा कर्म योग के रूप में मिलता है. योगाचार्य स्वामी आत्मस्वरूप ने आगे कहा कि कालक्रम में योग भारत के रास्ते बौद्ध धर्म के साथ चीन, जापान, तिब्बत, श्रीलंका समेत दक्षिण पूर्व एशिया के कई देशों में फैल चुका है.
योग की व्यापकता को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पहली बार 11 दिसंबर 2014 को इसे विश्व योग दिवस के रूप में मान्यता प्रदान किया और 21 जून को प्रति वर्ष योग दिवस के रूप में मनाये जाने का निर्धारण किया है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा से स्वीकृति मिलने के बाद प्रति वर्ष 21 जून को विश्व भर में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस धूमधाम से मनाया जाता है. योग के महत्व को विस्तार से परिभाषित करते हुए कहा कि शांति, स्वस्थ, सुखी और अदृश्य शक्ति से सीधा संपर्क स्थापित करने के लिए नियमित रूप से योग करें और खुशहाल समाज के निर्माण में सहायक बनें. मौके पर उपस्थित ऑक्सफोर्ड पब्लिक स्कूल के निदेशक डॉ मनोज कुमार सिन्हा ने कहा कि ध्यान प्रक्रिया का पर्यायवाची शब्द योग है.
भारत में योग का जन्म करीब पांच हजार साल पूर्व में हुआ था. शरीर और मष्तिष्क में संतुलन बनाये रखने के लिए योग आवश्यक ही नहीं वरन अनिवार्य है. योग से शरीर लचीला और मजबूत होता है और ध्यान प्रक्रिया के जरिये इसे सीधा अदृश्य शक्ति से जुड़ने का अवसर प्राप्त होता है. उन्होंने लोगों से योग को अपनाने की अपील की. मौके पर विद्यालय सचिव कुसुम सिन्हा, प्राचार्य ऋतुराज सिन्हा, उपप्राचार्य शिवांगी शरण समेत विद्यालय परिवार के दर्जनों सदस्य और गणमान्य लोग मौजूद थे.
उन्होंने योग को विज्ञान का जीवंत रूप बताते हुए कहा कि इस शब्द का जिक्र प्रतिष्ठित ग्रंथ गीता में बुद्धि योग, संन्यास योग तथा कर्म योग के रूप में मिलता है. योगाचार्य स्वामी आत्मस्वरूप ने आगे कहा कि कालक्रम में योग भारत के रास्ते बौद्ध धर्म के साथ चीन, जापान, तिब्बत, श्रीलंका समेत दक्षिण पूर्व एशिया के कई देशों में फैल चुका है.
योग की व्यापकता को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पहली बार 11 दिसंबर 2014 को इसे विश्व योग दिवस के रूप में मान्यता प्रदान किया और 21 जून को प्रति वर्ष योग दिवस के रूप में मनाये जाने का निर्धारण किया है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा से स्वीकृति मिलने के बाद प्रति वर्ष 21 जून को विश्व भर में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस धूमधाम से मनाया जाता है. योग के महत्व को विस्तार से परिभाषित करते हुए कहा कि शांति, स्वस्थ, सुखी और अदृश्य शक्ति से सीधा संपर्क स्थापित करने के लिए नियमित रूप से योग करें और खुशहाल समाज के निर्माण में सहायक बनें. मौके पर उपस्थित ऑक्सफोर्ड पब्लिक स्कूल के निदेशक डॉ मनोज कुमार सिन्हा ने कहा कि ध्यान प्रक्रिया का पर्यायवाची शब्द योग है.
भारत में योग का जन्म करीब पांच हजार साल पूर्व में हुआ था. शरीर और मष्तिष्क में संतुलन बनाये रखने के लिए योग आवश्यक ही नहीं वरन अनिवार्य है. योग से शरीर लचीला और मजबूत होता है और ध्यान प्रक्रिया के जरिये इसे सीधा अदृश्य शक्ति से जुड़ने का अवसर प्राप्त होता है. उन्होंने लोगों से योग को अपनाने की अपील की. मौके पर विद्यालय सचिव कुसुम सिन्हा, प्राचार्य ऋतुराज सिन्हा, उपप्राचार्य शिवांगी शरण समेत विद्यालय परिवार के दर्जनों सदस्य और गणमान्य लोग मौजूद थे.

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