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कैसे बुझेगी ग्रामीणों की प्यास, चार सौ की आबादी पर एक चापाकल
भीषण गर्मी में लोगों को अपनी प्यास बुझाने और अन्य आवश्यक कार्य करने के लिए मात्र एक चापाकल पर निर्भर रहना पड़ता है. जमुई : आजादी के इतने दिनों बाद भी सदर प्रखंड क्षेत्र के अगहरा पंचायत के अगहरा महादलित टोला के लोगों को आज भी पेयजल के लिए काफी मशक्कत करना पड़ रहा है. […]
भीषण गर्मी में लोगों को अपनी प्यास बुझाने और अन्य आवश्यक कार्य करने के लिए मात्र एक चापाकल पर निर्भर रहना पड़ता है.
जमुई : आजादी के इतने दिनों बाद भी सदर प्रखंड क्षेत्र के अगहरा पंचायत के अगहरा महादलित टोला के लोगों को आज भी पेयजल के लिए काफी मशक्कत करना पड़ रहा है. भीषण गर्मी में लोगों को अपनी प्यास बुझाने और अन्य आवश्यक कार्य करने के लिए मात्र एक चापाकल पर निर्भर रहना पड़ रहा है.
ग्रामीणों की माने तो हमारे टोला में पेयजल की बहुत बड़ी किल्लत है. 60 से 70 घर के लगभग 400 लोगों को मात्र एक चापाकल पर ही पानी से जुड़े अपने सारे आवश्यक कार्य के लिए निर्भर रहना पड़ता है. ग्रामीण भैया लाल मांझी और मुन्ना मांझी आक्रोश व्यक्त करते हुए कहते हैं कि हमारे टोला में मात्र एक चापाकल है. जिसके कारण हम लोगों को पीने के पानी खाना पकाने और अन्य आवश्यक कार्य के लिए भी पानी हेतु काफी मशक्कत करनी पड़ती है.
यह कोई एक दिन की बात नहीं है सालों भर ऐसी स्थिति ही बनी रहती है. हम लोग कई बार पीएचडी विभाग के अधिकारियों को इसकी शिकायत करके थक चुके हैं. लेकिन किसी ने आज तक हमारी समस्या की ओर ध्यान नहीं दिया. रजिया देवी और तिलिया देवी करती हैं कि हमारे टोला में मात्र एक चापाकल है
और कभी-कभी तो खाना बनाने या नहाने के लिए पानी लेने में हम लोगों में आपस में ही विवाद हो जाता है. बदमिया देवी और रामवती देवी कहती हैं कि हमारे टोला में मात्र एक चापाकल घर है. जब यह चापाकल खराब हो जाता है तो हम लोगों को अपने आवश्यक कार्य के लिए एक से डेढ़ किलोमीटर पैदल चल कर नहाने खाने एवं अन्य आवश्यक कार्य के लिए पानी की व्यवस्था करनी पड़ती है. सबसे अधिक परेशानी तो गर्मी के दिन में होती है. जब पानी का जल स्तर नीचे भाग जाता है और और हम लोग पानी के लिए त्राहिमाम करने लगते हैं.
तारा देवी कहती है कि आज तक हम लोग मात्र एक चापाकल के भरोसे ही अपनी प्यास बुझा रहे हैं और पानी से जुड़ा घर का सभी काम कर रहे हैं. हम लोग कई बार अधिकारियों से गुहार लगा कर थक चुके हैं. लेकिन किसी ने आज तक हमारी इस समस्या की ओर ध्यान नहीं दिया. जिसके कारण यह समस्या आज तक जस की तस बनी हुई है.
अब किससे लगायें गुहार, कोई नहीं ले रहा सुधि
विनोद मांझी और सकिंद्र मांझी कहते हैं कि हम लोग अपनी समस्या को लेकर अब किसके पास जाएं सब जगह कह कह कर और गुहार लगा लगा कर परेशान हो चुके हैं. लेकिन सभी लोग बस जल्द से जल्द समस्या दूर करने का ही आश्वासन देकर छोड़ देते हैं. कभी-कभी तो हम लोगों के समक्ष पानी को लेकर बहुत ही विकट समस्या उत्पन्न हो जाती
हैं. क्योंकि सभी लोगों को नहाने खाना पकाने और अन्य घरेलू कार्य के लिए भी पानी की आवश्यकता होती है. कई बार तो पानी भरने को लेकर हम सबों में आपस में विवाद हो जाता है. क्योंकि कभी सभी लोग सबसे पहले पानी भरना ही चाहते हैं. इसकी एकमात्र वजह हमारे टोला में मात्र एक चापाकल का होना और पानी की घोर किल्लत होना ही है कोई हमारी समस्या का समाधान करने वाला नहीं है.
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