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सदर अस्पताल में बिचौलियों के प्रवेश पर होगी कार्रवाई

सदर अस्पताल में दलाल-बिचौलियों और दवा कंपनियों के एजेंट या प्रतिनिधि के प्रवेश पर सख्त पाबंदी लगायी गयी है. अस्पताल प्रशासन ने बिचौलियों की सक्रियता को लेकर वर्षों बाद एक बार फिर सख्त रुख अपनाया है.

हाजीपुर. सदर अस्पताल में दलाल-बिचौलियों और दवा कंपनियों के एजेंट या प्रतिनिधि के प्रवेश पर सख्त पाबंदी लगायी गयी है. अस्पताल प्रशासन ने बिचौलियों की सक्रियता को लेकर वर्षों बाद एक बार फिर सख्त रुख अपनाया है. साथ ही लगातार निरीक्षण का निर्णय लिया है. अस्पताल के ओपीडी में दलाल-बिचौलियों की गतिविधियों को लेकर यहां की सुरक्षा एजेंसी के अलावे चिकित्सा अधिकारियों और स्वास्थ्य कर्मियों को भी जवाबदेह बनाया गया है. साथ ही इनके विरुद्ध कार्रवाई की बात कही गयी है.

सदर अस्पताल के अधीक्षक की ओर से जारी किये गये आदेश में अस्पताल के सभी चिकित्सा अधिकारियों और कर्मियों को निर्देश दिया गया है कि वे ओपीडी कक्ष में किसी भी बाहरी आदमी या मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव (एमआर) को बैठाकर नहीं रखेंगे. निरीक्षण के क्रम में ओपीडी कक्ष के अंदर स्वास्थ्य कर्मी के अतिरिक्त कोई भी बाहरी व्यक्ति या एमआर को वहां बैठे पाये जाने पर संबंधित चिकित्सा पदाधिकारी तथा ड्यूटी पर लगे स्वास्थ्य कर्मी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जायेगी. साथ ही उक्त तिथि के वेतन आदि का भुगतान रोक दिया जायेगा.

ओपीडी के सभी चिकित्सा अधिकारियों और कर्मियों को आदेश की प्रति देकर इसका पालन सुनिश्चित करने को कहा गया है. साथ ही सदर अस्पताल के सुरक्षा गार्डों और सुपरवाइजर को भी निर्देश दिया गया है कि वे ओपीडी में किसी भी बाहरी व्यक्ति या एमआर को प्रवेश नहीं करने दें. ऐसे लोगों को सख्ती से रोकने की हिदायत सुरक्षा एजेंसी को दी गयी है. ओपीडी के निरीक्षण के दौरान वहां किसी भी बाहरी व्यक्ति या एमआर के पाये जाने पर सुरक्षा एजेंसी को आर्थिक रूप से दंडित किया जायेगा. उनके बिल में 10 प्रतिशत राशि की कटौती कर भुगतान किया जायेगा.

अस्पताल में हर जगह सक्रिय हैं दलाल-बिचौलिये :

चिकित्सा सुविधाएं तो बढ़ीं, लेकिन सदर अस्पताल दलाल-बिचौलियों से मुक्त नहीं हो पा रहा. अस्पताल में दलाल-बिचौलियों की सक्रियता के कारण मरीजों को यहां उपलब्ध जांच सुविधाओं का लाभ भी सही से नहीं मिल पा रहा है. बिचौलिये अस्पताल परिसर से लेकर ओपीडी के अंदर तक, हर कोने में कुंडली मारे रहते हैं. वे भोले-भाले मरीजों, जो विशेष कर ग्रामीण इलाकों से यहां इलाज कराने आते हैं, को उल्टा-सीधा समझाकर उन्हें प्राइवेट जांच सेंटरों में ले जाते हैं. वहां मरीजों को नाजायज कीमत चुकानी पड़ती है और उसका एक हिस्सा कमीशन के रूप में बिचौलियों की जेब में जाता है. लोगों की शिकायत है कि सदर अस्पताल में दलाल-बिचौलियों पर अंकुश नहीं लग रहा है. निगरानी का अभाव और सुरक्षा एजेंसी की लापरवाही के कारण ओपीडी में सक्रिय बिचौलिये मरीजों को बरगला कर एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, पैथोलॉजिकल जांच आदि के लिए उन्हें निजी जांच सेंटरों में पहुंचा देते हैं.

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