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पांच वर्षों में 1250 लघु व कुटीर उद्योगों में लग गया ताला, दुर्दशा झेल रहे इस शहर के उद्योग

कोरोना संक्रमण ने युवाओं के हाथ से काम छिन लिये. परदेस में रहकर श्रम करने वाले घर लौट आये. अब उनके सामने रोजगार एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है.

गोपालगंज :कोरोना संक्रमण ने युवाओं के हाथ से काम छिन लिये. परदेस में रहकर श्रम करने वाले घर लौट आये. अब उनके सामने रोजगार एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है. विधानसभा चुनाव की बिगुल बजते ही परदेस से घर आने वालों के लिए सबसे बड़ा मुद्दा रोजगार है. अबतक के चुनाव में लघु – कुटीर उद्योग चुनावी मुद्दा नहीं बन पा रहा था. शहरों में काम करने वाले लोग तो घर आ चुके है. अब उनको रोजगार चाहिए. इसके लिए उद्योग लगाने के लिए सरकार इंतजाम करे. उद्योगों को रफ्तार देने वाले सरकार को ही युवा अपना वोट करेंगे. पिछले पांच वर्षों के हालात पर नजर डाले तो 1250 से अधिक युवाओं का लघु व कुटीर उद्योग में ताला लटक चुका है.

पांच वर्षों में जिला उद्योग विभाग को अनुमान है कि 1250 से अधिक लघु व कुटीर उद्योग बंद हुए है. इसका सर्वे अभी विभाग नहीं करा पाया है. इन पांच वर्षों में पांच हजार उद्योग का रजिस्ट्रेशन होने का दावा विभाग कर रहा. जानकार सूत्र बताते है कि उद्योग विभाग युवाओं को अगर पहले ही कुशल प्रबंधन, बाजार, मार्केटिंग की ट्रेनिंग कराने के बाद बेरोजगार लोगों का रजिस्ट्रेशन होता तो उद्योगों के फेल होने की संभावना कम होता.

बैंक उद्योग के लिए नहीं देते ऋण

अधिवक्ता नगर के आनंद कुमार एमए की पढ़ाई करने के बाद नौकरी की तलाश में पांच वर्षों तक भटकते रहे. कुछ लोगों के कहने पर मसाला उद्योग के लिए कदम बढ़ाये. उद्योग विभाग में 2016 में रजिस्ट्रेशन कराये. बैंक का चक्कर लगाने के बाद जब उनको लोन नहीं मिला तो वे भाग कर नौकरी करने गुजरात के कपड़ा फैक्टरी में काम करने चले गये. कोरोना का संकट आया तो किसी तरह घर पहुंचे. आज आनंद फिर बेरोजगार ही है. परिवार व वच्चों की पढ़ाई का खर्च भी निकालने का टेंशन है. आनंद अकेले ही नहीं है. बल्कि आनंद जैसे उद्योग के लिए विभिन्न बैंकों का चक्कर लगाने वाले हजारों युवा है. जिनको उद्योग के लिए लोन नहीं मिला.

सब्सिडी के लिए भी लगाया गया उद्योग

उद्योग लगाने में कई लोग तो विभाग से सरकारी सब्सिडी लेने के लिए बैंकों से कर्ज लिया. कर्ज लेने के बाद उद्योग तबतक चलाये जबतक उनको सरकार से सब्सिडी नहीं मिला. सब्सिडी मिलने के बाद उद्योग को बंद करने के बाद बैंक का कर्ज भी नहीं जमा किये. कुछ तो कर्ज की राशि जमा कर दिये. ऐसे लोगों से रिकवरी करना बैंकों के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है. जबकि पांच वर्षों में 923 युवाओं कर्ज लिया. कर्ज लेकर उद्योग लगा लिये. एक-डेढ़ वर्ष में उद्योग फेल कर गया. बैक का कर्ज भी चुकता नहीं पाये. कुछ दिवालिया हो गये तो कुछ कर्ज की राशि को डकार गये.

25 लाख तक उद्योग के लिए मिल सकता है बैंक से कर्ज

प्रधानमंत्री इम्प्लॉयमेंट जेनरेशन प्रोग्राम (पीएमईजीपी) स्‍कीम में कोई फैक्ट्री लगाना (मैन्‍युफैक्‍चरिंग सेक्‍टर) चाहें तो उसके लिए अलग. अगर आप राइस मिल, तेल मिल,मसाला उद्योग,फ्लावर मिल या मैन्‍युफैक्‍चरिंग यूनिट लगाने के लिए लोन लेना चाहते हैं तो आप पीएमईजीपी में 25 लाख रुपये तक का लोन ले सकते हैं. शहरी इलाके में 25 और ग्रामीण क्षेत्र में आपको लोन की रकम का 35% तक सब्सिडी मिल जाती है. इसका मतलब यह है कि 10 लाख रुपये का लोन लेना चाहते हैं तो आपको 3.5 लाख रुपये सब्सिडी के रूप में मिल जाते हैं. इससे उद्योग लगाया जा सकता है.

श्रमिकों के लिए होगा इंतजाम

उद्योग विभाग के महाप्रबंधक कमलेश कुमार सिंह ने बताया कि घर लौटे श्रमिकों को उद्योग विभाग की ओर से रोजगार देने के उपाय किये जा रहे. प्रशासन की ओर से लगभग नौ हजार श्रमिकों की सूची सौंपी गयी है. अगर कोई उद्योग लगाना चाहता है तो उसके लिए विभाग पूरा सहयोग करेगा.

posted by ashish jha

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