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नगीना पासी की जमानत याचिका खारिज

शराब बरामदगी के मामले में डीजे के कोर्ट में हुई सुनवाई गोपालगंज : चर्चित खजुरबानी शराब कांड में जिला एवं सत्र न्यायाधीश म जफर इमाम मलिक की कोर्ट ने मुख्य आरोपित नगीना पासी की जमानत याचिका को खारीज कर दिया. इससे पूर्व गत 25 जनवरी को नगीना पासी की गैर इरादतन हत्या के मामले में […]

शराब बरामदगी के मामले में डीजे के कोर्ट में हुई सुनवाई
गोपालगंज : चर्चित खजुरबानी शराब कांड में जिला एवं सत्र न्यायाधीश म जफर इमाम मलिक की कोर्ट ने मुख्य आरोपित नगीना पासी की जमानत याचिका को खारीज कर दिया. इससे पूर्व गत 25 जनवरी को नगीना पासी की गैर इरादतन हत्या के मामले में जमानत याचिका खारिज हो चुकी थी.
इस बार नगर थाना कांड संख्या 347/16 शराब बरामदगी के मामले में अधिवक्ता विनय कुमार मिश्रा की तरफ से जमानत के लिए अपील किया गया था. बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि नगीना पासी एक मजदूर है. पुलिस ने उसे मुख्य सरगना बना दिया है.
प्रभावशाली लोगों को बचाने के उदेश्य से मजदूरों को खजूरबानी जेसे कांड में नामजद कर अपना जिम्मा पुलिस छुड़ा ली है. शराब के मुख्य कारोबारी पर पुलिस हाथ तक नहीं डाल रही. जबकि उत्पाद विभाग के विशेष लोक अभियोजक रवि भूषण श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि खजूरबानी में नगीना पासी और इनके लोगों के द्वारा बनायी गयी जहरीली शराब पीने से 19 लोगों की मौत तथा आधा दर्जन लोग दिव्यांग हो चुके है.
नगीना पासी इस कांड का मुख्य सरगना है. पुलिस के सामने नगीना पासी के बताये के अनुरूप कई लोगों के इस कांड में आरोपित बनाया गया है. कोर्ट ने अभियोजन पक्ष की दलिल को ध्यान में रखते हुए जमानत याचिका को रद कर दिया. बचाव पक्ष के अधिवक्ता विनय मिश्रा ने बताया कि हाइ कोर्ट में जमानत के लिए अपील दाखिल करेंगे.
गोपालगंज : भोरे थाना क्षेत्र के लालाछापर में हुए नवजात कांड में आरोपित डॉक्टर को कोर्ट से नियमित जमानत मिल गयी है. जमानत मिलने के बाद भी पुलिस की अनुसंधान जारी है.
पुलिस इस मामले की बारीकी से जांच कर रही है. वहीं पूरे मामले में स्वास्थ्य विभाग के मौन साध लेने से डॉक्टर पर विभाग की कार्रवाई में संशय की स्थिति बनी हुई है. परिजन न्याय की आस खोते जा रहे हैं. बता दें कि भोरे थाना क्षेत्र के लालाछापर में स्थित डॉ एमएम अंसारी के क्लिनिक में 21 जनवरी को यूपी के परोहा निवासी जितेंद्र कुमार भारती ने अपनी पत्नी प्रिया का प्रसव कराया था. प्रसव के कुछ देर बाद डॉ अंसारी द्वारा बताया गया कि बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ है. डॉक्टर ने बच्चे को कपड़े में लपेट कर परिजनों के हवाले कर दिया था.
बाद में एक महिला के कहने पर जब कब्र खोदी गयी, तो बच्चे का पेट फाड़ कर सिलाई करने की बात पता चली. बाद में परिजनों ने इस मामले में स्थानीय थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी. इधर, पूरी स्थिति को देखने के बाद डीएम राहुल कुमार ने आरोपित डॉक्टर के क्लिनिक को सील करने का आदेश स्वास्थ्य विभाग को दिया. इसी बीच डॉक्टर एमएम अंसारी ने कोर्ट में जमानत की अर्जी दाखिल की. जिसकी सुनवाई करते हुए एसीजेएम 10 अभिषेक कुणाल ने आरोपित डॉक्टर को नियमित जमानत दे दी.

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