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दाखिला एक बार, एडमिशन फीस हर साल

दाखिला एक बार, एडमिशन फीस हर साल जेब पर डाका : री एडमिशन के नाम अभिभावकों का शोषणस्कूलों की तानाशाही से अभिभावक परेशानफोटो – 8 – किताब खरीदने के लिए उमड़ी भीड़काॅन्वेंट स्कूलों में इन दिनों एडमिशन के नाम पर जम कर लूट हो रही है. अभिभावक नामी स्कूलों में बच्चों का प्रवेश दिलाने में […]

दाखिला एक बार, एडमिशन फीस हर साल जेब पर डाका : री एडमिशन के नाम अभिभावकों का शोषणस्कूलों की तानाशाही से अभिभावक परेशानफोटो – 8 – किताब खरीदने के लिए उमड़ी भीड़काॅन्वेंट स्कूलों में इन दिनों एडमिशन के नाम पर जम कर लूट हो रही है. अभिभावक नामी स्कूलों में बच्चों का प्रवेश दिलाने में ठगे जा रहे हैं. प्रशासन भी स्कूलों पर शिकंजा नहीं कस पा रहा है. इससे अभिभावक लाचार हैं. हालांकि कुछ संगठन अब इस मनमानी के खिलाफ आंदोलन की तैयारी में है. संवाददाता, गोपालगंज विद्यालय में बच्चों के एडमिशन के दौरान पहली बार ही एडमिशन फीस ली जानी चाहिए, लेकिन अंगरेजी माध्यम के स्कूल हर साल एडमिशन फीस वसूलते हैं. यह फीस स्कूलों के स्टैंडर्ड के अनुसार 25 हजार रुपये से आठ हजार रुपये तक है. मनमाने तरीके से वसूली जा रही एडमिशन फीस ने अभिभावकों की कमर तोड़ दी है. काॅन्वेंट स्कूल प्रशासन के आगे अभिभावक अपने को असहाय महसूस कर रहे हैं. अभिभावक राजीव शुक्ला कहते हैं कि हर बार की एडमिशन फीस से तंग आ चुका हूं. मार्च का महीना सबसे खर्चीला होता है. अंगरेजी माध्यम के स्कूल मनमानी करते हैं. मेरे तीन बच्चे एक नामी स्कूल में पढ़ते हैं. एक बच्चा प्ले ग्रुप में है. दूसरा कक्षा तीन और बड़ा बेटा पांच में है. मैंने 22 हजार रुपये एडमिशन फीस जमा की है. बजट चरमरा गया है. वहीं, अभिभावक राकेश कपूर कहते हैं कि इन काॅन्वेंट स्कूलों का कुछ होना नहीं है. हर बार इसी तरह मनमाने तरीके से एडमिशन के नाम पर धन उगाही की जाती है. इस वर्ष तो हद कर दी गयी है. ढाई हजार रुपये की बढ़ोतरी कर दी गयी है. पिछले वर्ष पांच हजार रुपये एडमिशन शुल्क लिया था. इस पर साढ़े सात हजार रुपये लिये जा रहे हैं.री एडमिशन से तंग हैं अभिभावक अभिभावक स्नेहा ठाकुर ने बताया कि एडमिशन शुल्क ने जीना दूभर कर दिया है. जैसे ही बच्चों का रिजल्ट आता है, स्कूल एडमिशन कराने की सूचना देने लगता है. इससे टेंशन बढ़ जाती है. एक बार की बात हो तो किसी तरह से मैनेज कर लिया जाये, हर वर्ष की यही स्थिति है. मेरी तो हमेशा इस मुद्दे को लेकर कॉलेज में किचकिच होती है. अभिभावक विनीत पराशर कहते हैं छोड़ो भी यार. काॅन्वेंट स्कूलों का कुछ होनेवाला नहीं है. प्रशासन भी इनके आगे घुटने टेक देता है. अभिभावक मयंक सिन्हा ने बताया कि दो ही बच्चों को पढ़ाने में पसीना आने लगा है. एडमिशन फीस से तंग आ चुका हूं. हमारे जमाने में सरकारी स्कूलों में अच्छी पढ़ाई होती थी, लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है. सरकारी स्कूल में ठीक से पढ़ाई शुरू हो जाये तो अंगरेजी माध्यम के स्कूलों के दिमाग ठिकाने पर आ जाये.क्या कहते हैं अधिकारीनिजी स्कूलों में री एडमिशन के नाम पर हो रही वसूली की अगर लिखित शिकायत आती है, तो इसकी जांच कर नियमानुकूल कार्रवाई की जायेगी. हालांकि जल्द ही डीपीओ सर्व शिक्षा की बैठक बुला कर ठोस निर्णय लिया जायेगा.अशोक कुमार, डीइओ, गोपालगंजक्या कहते हैं प्राइवेट स्कूल यूनियनबढ़ती महंगाई तथा शिक्षा में प्रतिस्पर्धा के तहत स्कूल में बेहतर शिक्षा का माहौल नहीं मिले तो प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना बेकार है. इस महंगाई के बीच शिक्षकों का भुगतान एवं स्कूल को मेनटेन करने का खर्च तो अदा करना ही होगा.अनिल श्रीवास्तव, प्राइवेट स्कूल यूनियन, गोपालगंज

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