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(दोबारा प्रेषित) प्रशासन का डंडा, चुनाव बाद पड़ा ठंडा

(दोबारा प्रेषित) प्रशासन का डंडा, चुनाव बाद पड़ा ठंडा- आचार संहिता में तेजी से चला अपराधियों को दबोचने का सिलसिला, अचानक पड़ा ठंडा- अपराधियों की गिरफ्तारी, वाहन चेकिंग और छापेमारी अभियान की रफ्तार हुई बेहद कमसंवाददाता, पटनाराज्य में चुनाव की घोषणा होने के साथ ही सूबे में आचार संहिता लग गयी. इसकी अवधि 9 सितंबर […]

(दोबारा प्रेषित) प्रशासन का डंडा, चुनाव बाद पड़ा ठंडा- आचार संहिता में तेजी से चला अपराधियों को दबोचने का सिलसिला, अचानक पड़ा ठंडा- अपराधियों की गिरफ्तारी, वाहन चेकिंग और छापेमारी अभियान की रफ्तार हुई बेहद कमसंवाददाता, पटनाराज्य में चुनाव की घोषणा होने के साथ ही सूबे में आचार संहिता लग गयी. इसकी अवधि 9 सितंबर से 11 नवंबर तक रही. नये सरकार के गठन के साथ ही आचार संहिता का प्रभाव समाप्त हो गया. आचार संहिता के दौरान जिस तेजी से अपराधियों पर कार्रवाई की गयी, उसकी गति अभी एकदम से धीमी पड़ गयी है. मौजूदा समय में राज्य की प्रशासनिक स्थिति या ‘गुड गवर्नेंस’ चुनौती बनती जा रही है. ऐसे हालत को देखते हुए आम आदमी यही सोच रहा है कि आचार संहिता जैसे हालात साल भर क्यों नहीं बने रह सकते हैं. आचार संहिता खत्म होने के साथ ही आखिर प्रशासन को क्या हो गया, प्रशासनिक स्तर पर ठोस कार्रवाई की रफ्तार धीमी पड़ गयी. इसी कारण आपराधिक घटनाओं में बढ़ोतरी होते जा रही है. चोरी, डकैती, छिनैती जैसे तमाम अापराधिक घटनाएं एकदम से बढ़ गयी हैं. चुनाव परिणाम आने के बाद ही इस तरह की घटनाओं में एकदम से बढ़ोतरी हो गयी. 11 नवंबर को आचार संहिता खत्म होने के बाद से 5 दिसंबर तक सूबे में 29 लूट और डकैती की आठ घटनाएं हो चुकी हैं. इसमें करीब 13 घटनाएं सिर्फ बैंक डकैती की हैं. चुनावी आचार संहिता के दौरान अपराधियों पर जितनी नकेल थी, जितनी गिरफ्तारी हुई थी, छापेमारी समेत अन्य कार्रवाई हुई, उसमें एकदम से कमी आयी है. छापेमारी और अपराधियों की गिरफ्तारी का अभियान एकदम ठंडे बस्ते में पड़ गया है. वाहनों की चेकिंग तक नहीं हो रही है. इन कारणों से राज्य में अपराधिक घटनाएं तेजी से बढ़ती जा रही है. आचार संहिता के दौरान वाली सख्ती अगर पूरे साल बनी रहे, तो राज्य में अपराध नियंत्रित रहता.अवैध या नकली नोट की बरामदगी बंदआचार संहिता के दौरान बड़ी संख्या में नकली या अवैध मुद्रा की बरामदगी की गयी थी. वर्तमान में इससे संबंधित कार्रवाई बंद ही गयी है. आचार संहिता में करीब तीन महीने के दौरान 19 करोड़ 90 लाख रुपये की भारतीय मुद्रा और करीब 90 लाख रुपये की विदेशी मुद्रा बरामद की गयी थी. आचार संहिता के बाद अवैध मुद्रा बरामद नहीं होने का यह मतलब नहीं कि इनका परिचालन बंद हो गया है. यह जरूर है कि चुनाव बाद फेक करेंसी का आवागमन काफी कम जाता है, लेकिन राज्य के सीमावर्ती जिलों में नेपाल के रास्ते बड़ी संख्या में नकली करेंसी का आवागमन होता है.आचार संहिता में हुई कार्रवाई पर एक नजरइतने अपराधियों पर लगा सीसीए- 3440इतने पर जारी हुआ वारंट- 61 हजार 670बरामद किये गये अवैध हथियार- 1061बरामद किये गये विस्फोटक- 1230बरामद किये गये अवैध कारतूस- 39019कोट में……………..पिछले साल की तुलना में राज्य में अापराधिक घटनाओं में काफी कमी आयी है. अपराध के आंकड़ों से यह बात स्पष्ट तौर पर जाहिर होती है. जहां तक चुनाव बाद अपराध बढ़ने का मामला है, तो इसकी मुख्य वजह चुनाव के बाद पुलिस कर्मियों और केंद्रीय फोर्स का तेजी से जाने का या एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने का सिलसिला शुरू हुआ. इस कारण वैक्यूम की स्थिति बनने से कुछ समय के लिए अपराध की कुछ घटनाएं हुईं, लेकिन अधिकांश लूट और डकैती की घटनाओं को पुलिस ने हल कर लिया है. जल्द ही सभी अपराधियों की गिरफ्तारी हो जायेगी.सुनिल कुमार (एडीजी (मुख्यालय)

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