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सरकारी उपेक्षा से हस्तकरघा उद्योग बदहाल : अरुण सन्हिा

सरकारी उपेक्षा से हस्तकरघा उद्योग बदहाल : अरुण सिन्हासंवाददाता, पटना भाजपा नेता सह विधायक अरुण कुमार सिन्हा ने कहा है कि सूबे का हस्तकरघा उद्योग राज्य सरकार की उपेक्षा से बदहाल है. सरकारी योजनाओं का लाभ बुनकरों को नहीं मिल रहा है. राज्य के लाखों बुनकरों के समक्ष भुखमरी की स्थिति पैदा हो गयी है. […]

सरकारी उपेक्षा से हस्तकरघा उद्योग बदहाल : अरुण सिन्हासंवाददाता, पटना भाजपा नेता सह विधायक अरुण कुमार सिन्हा ने कहा है कि सूबे का हस्तकरघा उद्योग राज्य सरकार की उपेक्षा से बदहाल है. सरकारी योजनाओं का लाभ बुनकरों को नहीं मिल रहा है. राज्य के लाखों बुनकरों के समक्ष भुखमरी की स्थिति पैदा हो गयी है. बुनकर अपने परंपरागत पेशा को त्याग कर काम की तलाश में राज्य से पलायन करने को मजबूर है. श्री सिन्हा ने कहा कि बिहार राज्य हस्तकरघा बुनकर संघ बदहाल है. बुनकरों को रोजगार उपलब्ध कराना तथा उनके द्वारा तैयार माल खरीद कर बेचने का कार्य प्राय: बंद है. हैंडलूम कपड़ा बनाने के लिए 12 प्रोडक्शन सेंटर खोले गये थे, जिनमें से 11 बंद हैं. कपड़ा बेचने के लिए 56 बिक्री केंद्र खोले गये थे, जिनमें से 53 बंद हैं. केवल पटना के बिक्री केंद्र नाम के लिए चालू है. राज्य सरकार की उदासीनता का आलम यह है कि डीपीआर बनने के बाद भी बुनकर हाट नहीं बना. मुख्यमंत्री समेकित हस्तकरघा विकास योजना बुनकरों की स्थिति सुधारने में विफल रही है. सरकार बुनकरों के कपड़े खरीदना बंद कर एनजीओ से कपड़े खरीदने लगी है. बुनकर संघ द्वारा बाजार मूल्य पर कपड़ों की आपूर्ति करने का प्रस्ताव सरकार को देने के बावजूद भी सरकार द्वारा एनजीओ से ही कपड़ा खरीदा जा रहा है. श्री सिन्हा ने कहा कि पूरे राज्य में बुनकरों की हालत खराब है. उन्होंने सरकार से मांग किया की सरकार हस्तकरधा उद्योग को बढ़ावा दे, ताकि बिहार के बुनकरों को रोजगार के लिए पलायन नहीं होना पड़े.

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