संविधान ही मेरा धर्मग्रंथ और मैं इससे इतर देख भी नहीं सकता : विजय कुमार चौधरीबोले स्पीकर-पार्टी, सरकार या विपक्ष का नहीं, सदन का रहूंगा सेवक -बिना किसी भेदभाव के सभी के लिए करूंगा काम-विधायकों को कार्य संचालन नियमावली के साथ-साथ संविधान की प्रति भी करायी जायेगी उपलब्ध-सरकार, विपक्ष, स्पीकर की होती है अलग-अलग भूमिका, पर जनहित सभी के लिए होता है एक लक्ष्य.संवाददाता, पटनास्पीकर इज सर्वेंट ऑफ द हाउस. वह न तो किसी दल का, किसी सरकार का या विपक्ष का सेवक नहीं होता है. मैं विधानसभा कार्य संचालन नियमावली और भारत के संविधान से बंधा हुआ हूं. सदस्यों को हमसे अधिक अपेक्षा हो सकती है, लेकिन मेरे लिए भारत का संविधान और विधानसभा कार्य संचालन नियमावली दोनों धर्म ग्रंथ हैं. स्पीकर के तौर पर मेरे हाथ इन दोनों ग्रथों से बंधे हुए हैं. 16वीं विधानसभा के लिए बुधवार को जब सभी दलों की राय से जदयू के विधायक विजय कुमार चौधरी को विधानसभा अध्यक्ष चुन लिया गया, तो उन्होंने अासन पर बैठने के बाद बड़े ही सरल भाव में अपनी यह बात कही. पांचवीं बार विधायक बने विजय कुमार चौधरी इस बार समस्तीपुर जिले के सरायरंजन विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीत कर आये हैं. आसन पर बैठने के बाद विजय कुमार चौधरी ने अपने पहले संबोधन में वर्ष 1642 में इंगलैंड में हुए सिविल वार की एक घटना का जिक्र किया. उन दिनों वहां राजा चार्ल्स प्रथम और स्पीकर मिस्टर लेंथल में सुपरमेसी को लेकर शीतयुद्ध चल रहा था, जिसमें वहां का राजा स्पीकर पर दबाव डाल कर युद्ध में शामिल होने संबंधी प्रस्ताव पारित करवाना चाहता था. उन्होंने वाकया सुनाते हुए कहा कि जब तत्कालीन स्पीकर मिस्टर लेंथल ने राजा की बातों को नहीं माना, तो राजा स्पीकर के कक्ष तक पहुंच गये. उस समय स्पीकर ने कहा, मेरी आंख आपको नहीं देख रही है. मेरी जिह्वा बोलने की स्थिति में नहीं है. मैं सिर्फ और सिर्फ सदन के लिए जिम्मेवार हूं. इतिहास में लिखित इन तथ्यों को उद्धृत करते हुए विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने कहा कि स्पीकर सदन का सेवक होता है. वे पूरी इमानदारी से जिन आकांक्षाओं को लेकर सदस्यों ने आसन पर बैठाया है, उसे पूरी करने की कोशिश करेंगे. सभी के हित में काम करने की कोशिश होगी. उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि पूरे सदन ने उन पर विश्वास जताया. सदन में बैठे हमलोग सभी खुशनसीब हैं कि जनता ने सदन में पहुंचाया है. सदन का जो इतिहास रहा है, उसे जाने और उसी अनुसार काम करें. सभी सदस्यों को कार्य संचालन नियमावली और संविधान की प्रति उपलब्ध करायी जायेगी. इस सदन के लिए यही धर्मग्रंथ हैं. इस बार विधानसभा में उपमुख्यमंत्री समेत 98 सदस्य नये हैं. संविधान में विधानसभा के लिए जो धाराएं हैं, उन्हें सभी सदस्य पढ़ लें. हमें इतनी ताकत दें कि आप सभी की इच्छा के अनुरूप काम करते रहे और बिना किसी भेद-भाव के आप सभी की सेवा कर सकें. उन्होंने कहा कि आसन से ऊपर धर्मचक्र होता है और इसमें ही सब कुछ है. स्पीकर बोलते गये. थोड़ी देर पहले तक एक दल का सदस्य था, लेकिन आप सब ने ऊपर उठा दिया. सदस्यों ने जो जिम्मेदारी दी है उसमें सौभाग्य के साथ-साथ चुनौती भी है. भाव विह्वलता इतनी हो गयी है कि उनका शब्द सुना पड़ गया है. जिस प्रकार मुख्यमंत्री समेत सभी नेताओं ने तारीफ की, उससे मैं सहमत और उलझन में पड़ता जा रहा था कि क्या वाकई मुझमें इतने गुण हैं? एक पुरानी बात याद आयी, जिससे उलझन खत्म हुई. किसी में सुंदरता हो या फिर अच्छाई हो, वह तो देखनेवालों की आंखों में बसती है. यह तो आपलोगों (सदस्यों) की आंखों की अच्छाई है. नजरों की दरियादिली है कि ऐसे गुण मुझमें देखना चाहते हैं यानी अध्यक्ष के लिए यह सब गुण होना चाहिए. स्पीकर ने कहा, सरकार व विपक्ष में काम करने का पुराना अनुभव रहा है. अब आसन (स्पीकर पद) पर आये हैं. सभी भूमिकाएं अलग-अलग हैं, लेकिन सभी का लक्ष्य एक होता है जनहित. सभी सदस्यों से सहयोग की अपेक्षा होगी. सभी ने एक मत से जिस जिम्मेदारी का अहसास कराया है, इससे जुड़ा दायित्व है. सम्मान दिया है तो चुनौती भी है. जिस सहयोग का भरोसा जताया है संसदीय काम वे अच्छे ढंग से निभायेंगे.
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संविधान ही मेरा धर्मग्रंथ और मैं इससे इतर देख भी नहीं सकता : विजय कुमार चौधरी
संविधान ही मेरा धर्मग्रंथ और मैं इससे इतर देख भी नहीं सकता : विजय कुमार चौधरीबोले स्पीकर-पार्टी, सरकार या विपक्ष का नहीं, सदन का रहूंगा सेवक -बिना किसी भेदभाव के सभी के लिए करूंगा काम-विधायकों को कार्य संचालन नियमावली के साथ-साथ संविधान की प्रति भी करायी जायेगी उपलब्ध-सरकार, विपक्ष, स्पीकर की होती है अलग-अलग भूमिका, […]
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