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बंदर व आवारा कुत्तों का आतंक

बंदर व आवारा कुत्तों का आतंकबंदरों का झुंड राहगीरों पर कर रहा हमलाउत्पात से नहीं बचा शहर का कोई भी मुहल्ला और कोनाजहां देखों वहीं घूम रहे बंदरों के झुंड हमला करते है और उत्पात भी संवाददाता, गोपालगंज आज कल लोगों को बदमाशों से कम, बंदर और आवारा कुत्तों से डर सता रहा है. शहर […]

बंदर व आवारा कुत्तों का आतंकबंदरों का झुंड राहगीरों पर कर रहा हमलाउत्पात से नहीं बचा शहर का कोई भी मुहल्ला और कोनाजहां देखों वहीं घूम रहे बंदरों के झुंड हमला करते है और उत्पात भी संवाददाता, गोपालगंज आज कल लोगों को बदमाशों से कम, बंदर और आवारा कुत्तों से डर सता रहा है. शहर में बंदरों के हमले से लोगों में है. आवारा कुत्ते लोगों को गलियों में दौड़ा-दौरा कर काट रहे हैं. इनके शिकार लोगों की अस्पतालों में लंबी लाइन लग रही है. कई लोग रैबीज के शिकार होकर जान भी गंवा चुके हैं. इंतजामिया बंदर और कुत्तों के आतंक के सामने दुम दबा कर बैठा है. इनकी धर-पकड़ या नियंत्रण का आज तक कोई मुकम्मल इंतजाम नहीं हो पाया है. उचकागांव थाना क्षेत्र के लुहसी में एक किसान की मौत के बाद सड़क पर उतरे लोगों ने हंगामा भी किया. इस हंगामे के बाद उचाकगांव के सीओ और थानाध्यक्ष ने बंदरों को पकड़ने का भरोसा दिलाया, जो सिर्फ आश्वासन बन कर रह गया. कुत्तों की नहीं हो रही नसबंदी आवारा कुत्तों की आबादी सीमित करने के लिए उनकी नसबंदी करने की लिए पशुपालन विभाग के पास योजनाएं हैं, लेकिन आज तक इनकी न तो नसबंदी की जाती है और न ही उन्हें एंटी रैबीज सूई दी जाती है. पशुपालन विभाग के अधिकारी डॉ डीके चौधरी ने कहा कि कुत्तों की नसबंदी के लिए मेरे पास कोई फंड नहीं है. बंदरों को पकड़ने के लिए नहीं चला अभियाननगर पर्षद द्वारा उचकागांव के लाइन बाजार से लेकर बड़का गांव हथुआ, भोरे, कुचायकोट के अलावा गोपालगंज शहर में बंदरों काे पकड़ने का अभियान आज तक नहीं चलाया गया. इससे बंदर जानलेवा बन गये हैं. 285 रुपये बंदर पकड़ने तथा 50 रुपये इनके खाने का खर्च आता है. यह रकम कहां से आयेगी. बंदर व कुत्तों के 13 हजार शिकारहर माह करीब 13 हजार लोग बंदर और आवारा कुत्तों के शिकार होे रहे हैं. गरमी में यह संख्या बढ़ जाती है. सदर अस्पताल के आंकड़े बताते हैं कि प्रत्येक नये व पुराने दस से 12 हजार लोगों को इंजेक्शन लगाये जाते हैं. यानी प्रतिदिन का आंकड़ा चार सौ को पार कर रहा है. अस्पताल में पिछले चार महीनों से एंटी रैबीज नहीं है. एंटी रैबीज नहीं होने से मरीजों को यूपी या अन्य प्रदेशों में जाकर इलाज करना पड़ रहा है. कहती हैं नप की मुख्य पार्षदशहर में अचानक फिर से बंदरों के आतंक की शिकायतें मिलने लगी हैं. बंदर पकड़ने का अभियान चलाया जायेगा. कुत्तों पर कार्रवाई का पशु प्रेमी विरोध करते हैं. इस संबंध में भी विचार किया जा रहा है.संजु देवी, गोपालगंज

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