फुलवरिया : राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का गांव फुलवरिया एक दशक बाद फिर सरताज बना है. गांव के दो लाल आज फिर मंत्री पद के लिए शपथ लिये है. मंत्री बनाये जाने की खबर आते ही गांव में जश्न का माहौल हो गया. गांव के बबुआ मंत्री बन गइल. गांव के भाग्य फिर से लौट आइल, भोजपुरी के इन वाक्यों के साथ गांव के बड़े बुजुर्गों का चेहरा भी खिला हुआ था.
एक दशक तक बिहार की सत्ता से बाहर होने का दंश भी इस गांव को झेलना पड़ा है. आज पूरे गांव में हर तरफ रौनक दिख रहा. गांव के लोग अपने अपने घरों में दीप जला कर दीवाली मनायी. गांव के बुजुर्ग राज किशोर प्रसाद बताते है कि जब इस गांव के लाल पहली बार 10 मार्च 1990 में मुख्यमंत्री बने तो गांव का स्वरूप बदल गया. इससे पहले गांव के लोगों को गुटना भर पानी कर माड़ीपुर जाना पड़ता था. तब ढ़िबरी से घर रौशन होता था.
लालू
प्रसाद यादव ने मिट्टी के कर्ज को चुकाया और गांव में सभी सुविधाओं को उपलब्ध कराया. आज घर घर बिजली, पानी, पीसीसी सड़क, नाला की सुविधाएं उलब्ध हुई तो गांव में अपनी मां मरछिया देवी के नाम पर रेफरल अस्पताल का निर्माण कराया. सड़क बनायी गयी. स्टेट बैंक, डाक घर, रजिस्ट्री कचहरी, हाइस्कूल, ब्लॉक, अंचल, थाना का निर्माण कराया गया तो हेलीपैड और सरोवर भी बनाया गया. जब रेल मंत्री हुए तो गांव में रेल लाइन दौड़ा कर रेलवे स्टेशन भी बनाया गया.
वर्ष 2005 में बिहार की सता से बाहर होने के बाद इस गांव के उपेक्षा का दंश झेलना पड़ा. लालू प्रसाद यादव के भतीजा रामायण यादव बताते है कि बिहार में जब चाचा और चाची मुख्यमंत्री थे तब तक मुख्य सचिव तक फुलवरिया का ख्याल रखते थे. 2005 के बाद बीडीओ तक इस गांव की दशा पर ध्यान नहीं देते थे.
गांव के लोग कभी ट्रांसफार्मर जलने के बाद बिजली की संकट झेले तो कभी पेयजल के लिए संकट झेले. भगवान ने इस गांव की फरियाद को सून ली और आज फिर इस गांव के दो लाल मंत्री बनाये गये है. राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव भी सत्ता के केंद्र में आ गये है. इस उपलब्धी पर पूरा गांव खुशियों से झुम उठा है. गांव के लोगों को भरोसा है कि सिर्फ फुलवरिया ही नहीं बल्कि इस जिले के लिए एक नया सवेरा हुआ है.