नकारात्मक चुनाव प्रचार ने एनडीए को हराया आरक्षण के मुद्दे ने युवाओं का स्वाभिमान जगायाप्रत्याशी के बेहतर रहने के बाद भी वोटरों की नहीं हुई गोलबंदीफोटो- 2, डॉ हरिशंकर मिश्रसंवाददाता, हथुआहथुआ में एनडीए की करारी हार के पीछे चुनाव प्रचार रहा है. एनडीए के वरिष्ठ नेता भी बिहार में आकर चीप भाषण देने में जुट गये. आरक्षण की आग ने सिर्फ हथुआ ही नहीं बल्कि पूरे बिहार में लोटिया डुबो दी. राजनीतिक विशेषज्ञ डॉ हरिशंकर मिश्र कहते हैं कि सूबे में नीतीश कुमार के विकास पुरुष की छवि को भुनाने में महागंठबंधन कामयाब रहा. विधि व्यवस्था, सड़क व बिजली के क्षेत्र में नीतीश कुमार द्वारा किये गये कार्यों का प्रभाव मतदाताओं पर पड़ा. नकारात्मक चुनाव प्रचार का खामियाजा भी एनडीए को भुगतना पड़ा. एनडीए के जातीय गंठबंधन का असर हथुआ विधानसभा क्षेत्र में देखने को नहीं मिला. हथुआ के चुनाव में बाहरी बनाम घर के प्रत्याशी व अगड़े-पिछड़े के नाम पर भी मतदान हुआ. टिकट बंटवारा भी एक महत्वपूर्ण फैक्टर रहा. स्थानीय कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करना एवं हम पार्टी का कोई संगठन व जनाधार नहीं रहने के बावजूद प्रत्याशी उतारना एनडीए के लिए घातक सिद्ध हुआ. निवर्तमान विधायक की साफ-सुथरी छवि का भी मतदाताआें पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा. भाजपा के खाते में यह सीट होती, तो यहां जीत की संभावना बनती. यहां भाजपा ने राजेश सिंह कुशवाहा को टिकट नहीं दिया और उनका निर्दलीय लड़ना भी राजग के लिए घातक सिद्ध हुआ. चुनाव परिणाम पर नजर डालेंगे, तो रामसेवक सिंह को जहां- 57917 वोट मिले, हम प्रत्याशी डॉ महाचंद्र सिंह को 34933, जबकि निर्दलीय राजेश सिंह कुशवाहा को 32959 वोट मिले. अगर निर्दलीय और हम प्रत्याशी के वोटों को जोड़ें, तो जीत का अंतर काफी होता.
नकारात्मक चुनाव प्रचार ने एनडीए को हराया
नकारात्मक चुनाव प्रचार ने एनडीए को हराया आरक्षण के मुद्दे ने युवाओं का स्वाभिमान जगायाप्रत्याशी के बेहतर रहने के बाद भी वोटरों की नहीं हुई गोलबंदीफोटो- 2, डॉ हरिशंकर मिश्रसंवाददाता, हथुआहथुआ में एनडीए की करारी हार के पीछे चुनाव प्रचार रहा है. एनडीए के वरिष्ठ नेता भी बिहार में आकर चीप भाषण देने में जुट […]
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