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गंडक के निशाने पर शहर

गोपालगंज : विगत डेढ़ दशक से जिलावासी गंडक के कहर से त्रस्त रहे हैं. अब तक हजारों लोग बेघर कर चुके हैं. अब गंडक के निशाने पर शहर है. लोग सुरक्षित जगह की तलाश कर रहे हैं. जिनके घर विलीन हो गये, वे खुले आसमान के नीचे आ गये हैं. एक अदद पॉलीथिन भी नसीब […]

गोपालगंज : विगत डेढ़ दशक से जिलावासी गंडक के कहर से त्रस्त रहे हैं. अब तक हजारों लोग बेघर कर चुके हैं. अब गंडक के निशाने पर शहर है. लोग सुरक्षित जगह की तलाश कर रहे हैं. जिनके घर विलीन हो गये, वे खुले आसमान के नीचे आ गये हैं. एक अदद पॉलीथिन भी नसीब नहीं हो सकी है.
नेपाल से गंडक नदी में 61.90 हजार क्यूसेक मंगलवार कोजल डिसचार्ज किया गया. अधीक्षण अभियंता बासुकी नाथ प्रसाद ने बताया कि अभियंताओं को अलर्ट रहने के लिए कहा गया है. जैसे ही स्थिति की सूचना मिलती है,त्वरित रूप से बचाव कार्य शुरू कर दिया जा रहा है. विगत दो वर्षो से गंडक के निशाने पर गोपालगंज शहर है. पिछले वर्ष से नदी की स्विइंग राइट है.
नदी लगातार अपने दक्षिण भू-भाग को निगल रही है. अबतक कई गांव जमींदोज हो चके हैं. बाढ़ एवं कटाव निरोधक कार्य में प्रतिवर्ष लाखों की राशि पानी में बह गयी, लेकिन नदी का निशाना अब छरकी और तटबंध हैं. सारण तटबंध कटते ही निशाना शहर होगा. ऐसे में शहर का नामोनिशान मिटा जायेगा. जल संसाधन विभाग के पास फाइटिंग वर्क के अलावा खतरे से निबटने के लिए कोई उपाय नहीं है.
निर्माणाधीन पुल ने बदल दी हालत : गंडक नदी पर निर्माणाधीन जादोपुर-मंगलपुर सेतु गंडक की भौगोलिक दशा बदल दी है. निर्माण कार्य शुरू होने के पूर्व नदी का प्रवाह 13 किमी में था. एप्रोच रोड बनने के कारण नदी का प्रवाह 2 किमी में सिमट गया है.
पानी के बढ़ते दबाव से नदी की धारा विगत दो वर्ष दाहिनी ओर मुड़ कर बह रही है और गांवों को निशाना बना रही है. एप्रोच रोड बन जाने के बाद प्रवाह क्षेत्र बढ़ाने का फिलहाल विभाग के पास कोई उपाय नहीं है और दिनों दिन नदी का दबाव दक्षिण की ओर बढ़ता जा रहा है.

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