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बाजार में तीन हजार रुपये तक के खजूर

गोपालगंज : मुकद्दस रमजान में सहरी व इफ्तारी का बड़ा सवाब है. रमजान के साथ ही बाजारों में चहल-पहल बढ़ गयी है. मुसलिम बाहुल्य क्षेत्रों में बाजार देर रात तक खुल रहे हैं. वहीं, सहरी और इफ्तारी के लिए बड़ी संख्या में लोग खरीदारी करने उतर रहे हैं.खजूर की नायाब किस्मों से सजा बाजार : […]

गोपालगंज : मुकद्दस रमजान में सहरी व इफ्तारी का बड़ा सवाब है. रमजान के साथ ही बाजारों में चहल-पहल बढ़ गयी है. मुसलिम बाहुल्य क्षेत्रों में बाजार देर रात तक खुल रहे हैं.
वहीं, सहरी और इफ्तारी के लिए बड़ी संख्या में लोग खरीदारी करने उतर रहे हैं.खजूर की नायाब किस्मों से सजा बाजार : रमजान को लेकर मॉल व बाजार में एक से बढ़ कर एक खजूर आ गये हैं. मौनिया चौक पर करीब 40 साल से रमजान के दिनों में खजूर की बिक्री करनेवाले जालिम मियां का कहना है कि वैसे तो बाजार में खजूर की कई किस्में उपलब्ध हैं, लेकिन उनमें से सबसे ज्यादा मांग कीमिया व ईरानी खजूर की हो रही है. कीमिया खजूर जहां 80 रु पये किलो मिल रहा है, वहीं कीमिया खजूर 120 रु पये किलो में मिल रहा है.
जंगलिया में वर्षो से खजूर बेच रहे मो उस्मान खान बताते हैं कि खजूर की कई किस्म होती हैं. बाजार में करीब 16 सौ किस्मों के खजूर उपलब्ध हैं. इनमें शबानी, खुबानी, शुमरी, कश, तईबा, मगरूम, सगई, अजूबा, हयात आदि की खासी मांग हो रही है. हयात खजूर जहां ढाई सौ रु पये किलो मिल रहा है. वहीं अजूबा तीन हजार रु पये किलो है.
बिना बीज वाला खजूर भी मौजूद : बड़ी बाजार खजूर विक्रेता राजू ने बताया कि रोजेदारों के लिए एक तरफ जहां सीड लेस खजूर रखा गया है, वहीं ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए बाइवन गेट वन ऑफर भी चलाया जा रहा है. मंगलवार को पांचवें रमजान के मौके पर शहर व ग्रामीण बाजारों में खजूर की दुकानें सजी हुई हैं. बाजार में खजूर विक्रेता जुनैद, हामिद व दिलदार बताते हैं कि रोजेदारों ने गरमी व धूप से बचने के लिए कई दिन पहले से ही अपने पसंद के खजूरों की खरीदारी शुरू कर दी थी.
अब रमजान में रोजाना नया माल मंगाया जा रहा है.
खजले, सेवई व खासे की मांग बढ़ी : रमजान में सहरी करना सुन्नत माना जाता है. ऐसे में खजला, सेवई, फेन, रस व खासे आदि की मांग बढ़ गयी है. बाजार भी इन उत्पादों से सजे हुए हैं. सेवई विक्रेता मैराजुद्दीन ने बताया कि डालडा, रिफाइंड व देसी घी से बनी हुई सेवई व लच्छों की जम कर खरीदारी हो रही है.
मुकद्दस रमजान में अल्लाह की बेशुमार नेयमतों की बरसात होती है. इबादत का सवाब भी 70 गुना बढ़ा दिया जाता है. जहन्नम के दरवाजे बंद व जन्नत के खोल दिये जाते हैं. शैतान को जंजीरों में जकड़ दिया जाता है.
बड़ी बाजार स्थित जामा मसजिद के इमाम शौकत फहमी ने कुरान का हवाला दते हुए फरमाया, ए लोगों तुम पर रोजे फर्ज किये गये हैं, जैसा कि तुम से पहले लोगों पर फर्ज किये गये थे. इस महीने में एक रात ऐसी है, जो हजार महीनों से बेहतर है. इस महीने में किसी अम्ल मुस्तिहब का सवाब फर्ज के बराबर है. रोजे की फजीलत के लिए यह काफी है. अल्लाह ताला ने इरशाद फरमाया, रोजा मेरे लिए है और इसका सवाब मैं खुद दूंगा. रमजान में 20 रकअत नमाज तरावीह पढ़ना सुन्नत है.
टूट जाता है रोजा
इमाम शौकत फहमी ने रोजे का एहतराम करने की हिदायत दी है. फरमाया कि वजू करते वक्त ज्यादा देर तक मुहं में पानी जमा न रखें. कुल्ली करते वक्त मुंह में पानी चले जाने से रोजा टूट जाता है. कान में तेल डालने, उल्टी को निगलने से रोजा टूट जाता है और कजा वाजिब हो जाती है. जान-बूझ कर खाने-पीने से रोजा टूट जाता है. इससे कजा और कफ्फारा दोनों वाजिब होंगे. रोजे का एहतमाम जरूरी है. रोजा अल्लाह के लिए है.

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