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मांग किसी की, परेशानी होते हैं मरीज / संपा

गोपालगंज. अपनी उम्मीदों को पूरा कराने के लिए लोगों की जान से खिलवाड़ जारी है. हड़ताल और प्रदर्शन से मरीजों की परेशानी बढ़ गयी है. सदर अस्पताल में हड़ताल व प्रदर्शन का खामियाजा मरीज को भुगतना पड़ रहा है. सोमवार को हड़ताल पर उतरी आशा ने 12 बजे दिन तक ओपीडी बाधित कर दिया. स्वास्थ्य […]

गोपालगंज. अपनी उम्मीदों को पूरा कराने के लिए लोगों की जान से खिलवाड़ जारी है. हड़ताल और प्रदर्शन से मरीजों की परेशानी बढ़ गयी है. सदर अस्पताल में हड़ताल व प्रदर्शन का खामियाजा मरीज को भुगतना पड़ रहा है. सोमवार को हड़ताल पर उतरी आशा ने 12 बजे दिन तक ओपीडी बाधित कर दिया. स्वास्थ्य विभाग के मनाने पर भी आशा नहीं मानी. नतीजतन तीन सौ से अधिक रोगी लौट गये और उन्हें प्राइवेट क्लिनिक का सहारा लेना पड़ा. मरीजों के साथ ऐसी परेशानी पहली बार नहीं हुई है. अस्पताल में जब-जब हड़ताली अपनी मांग को लेकर प्रदर्शन करते हैं, तब तब मरीजों की जान उन्हें याद नहीं आती. तड़पते मरीजों को लेकर परिजन अन्यत्र जाने को विवश होते हैं. अब सवाल उठता है कि क्या मरीजों को मौत के मुंह में धकेल कर अपनी मांग मांगना कितना जायज है. आखिर अस्पताल जैसे आवश्यक सेवा को अवरुद्ध करना कितना सही है. क्या कहते हैं सिविल सर्जनहड़ताल से ओपीडी में इलाज बाधित है. लेकिन हम लोगों के पास पुलिस बल नहीं है. हम लोग आग्रह करते है कि ओपीडी की व्यवस्था बाधित करना जायज नहीं है. क्योंकि इलाज करानेवाले बाधित करनेवाले के अपने भी हो सकते हैं. डॉ विभेश प्रसाद सिंह सिविल सर्जन, गोपालगंज.

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