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फाइलों में दम तोड़ रही अंतरजातीय विवाह योजना

गोपालगंज: यहां फाइलों में दम तोड़ रही है अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन अनुदान योजना. जानकारी के अभाव में लोगों को इस महत्वपूर्ण योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. इस योजना में प्रशासन की उदासीनता भी कम नहीं है. लोगों को जागरूक करने के लिए किसी तरह की न तो पहल की जाती है और […]

गोपालगंज: यहां फाइलों में दम तोड़ रही है अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन अनुदान योजना. जानकारी के अभाव में लोगों को इस महत्वपूर्ण योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. इस योजना में प्रशासन की उदासीनता भी कम नहीं है. लोगों को जागरूक करने के लिए किसी तरह की न तो पहल की जाती है और न ही इसमें रुचि रखी जाती है.

वर्ष 2014 में महज 17 लोगों ने प्रोत्साहन अनुदान की राशि के लिए आवेदन दिया, जिसमें कई आवेदन रद्द कर दिये गये. इन आवेदनों की जांच के लिए संबंधित प्रखंड के बीडीओ को भेजा गया, जहां से सिर्फ कुचायकोट के बीडीओ ने एक आवेदन की अनुशंसा की, बाकी फाइलों में ही उलझ कर रह गया.

इनको मिलेगा लाभ : अंतरजातीय विवाह करनेवाली महिलाओं को आर्थिक दृष्टिकोण से सबल बनाने के लिए इस योजना को लागू किया गया है, जिसमें विवाहित दंपति में कोई एक बिहार का निवासी हो, आदिवासी का गैर आदिवासी से विवाह अंतरजातीय विवाह माना जाता है.

कोई भी ऐसी महिला जो दूसरे जाति से शादी की हो. शादी के एक साल के भीतर इस लाभ के लिए आवेदन करना होगा. जिला स्तर पर सहायक निदेशक बाल संरक्षण के यहां आवेदन देना होगा.

केश 1 : कुचायकोट के राजनंदनी (सामाजिक कारणों से नाम बदला हुआ) ने अपने प्रेमी के साथ घर से भाग कर परिजनों के विरोध के कारण मुंबई के एक कोर्ट में जाकर शादी कर ली. शादी के बाद जब घर आयी, तो परिजनों ने काफी विरोध किया. वह जन्म प्रमाणपत्र नहीं बनवा सकी, जिससे वह इस लाभ से वंचित हो गयी.

केश 2 : परिजनों के विरोध के कारण हथुआ की रहनेवाली निवेदिता (बदला हुआ नाम) शांति कॉलेज पढ़ने के लिए गयी, जहां से अपने साथी के साथ भाग कर हरियाणा में शादी कर ली. गांव वालों के आक्रोश के कारण पांच वर्षो से घर नहीं लौटी.

एक साल के बाद अंतरजातीय विवाह योजना की राशि लेने के लिए जब आवेदन दिया, तो उसके आवेदन को विभाग ने खारिज कर दिया. डर के कारण आज भी वह गांव नहीं आ पाती.

क्या कहते हैं अधिकारी

अंतरजातीय विवाह योजना, प्रोत्साहन अनुदान योजना में आवंटित राशि खर्च नहीं हो पाती है. लोग जागरूक नहीं हैं. वे आवेदन करें, तो फंड की कमी नहीं होगी.

राकेश कुमार

चाइल्ड प्रोवेशन ऑफिसर

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