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भारतीय संस्कृति में अश्लीलता की जगह नहीं : तृप्ति

संगीत में धरोहर संस्कृति और आस्था को मिले महत्वअश्लीलता के खिलाफ युवाओं को आना होगा आगेफोटो-12संवाददाता. गोपालगंजभारतीय संस्कृति में अश्लीलता की जगह नहीं है. खास कर संगीत में अश्लीलता के खिलाफ समाज और युवाओं को आगे आना होगा. अन्यथा हमारी आनेवाली पीढि़यां पूरी तरह से संस्कारहीन हो जायेंगी. थावे महोत्सव में कार्यक्रम पेश करने पहुंची […]

संगीत में धरोहर संस्कृति और आस्था को मिले महत्वअश्लीलता के खिलाफ युवाओं को आना होगा आगेफोटो-12संवाददाता. गोपालगंजभारतीय संस्कृति में अश्लीलता की जगह नहीं है. खास कर संगीत में अश्लीलता के खिलाफ समाज और युवाओं को आगे आना होगा. अन्यथा हमारी आनेवाली पीढि़यां पूरी तरह से संस्कारहीन हो जायेंगी. थावे महोत्सव में कार्यक्रम पेश करने पहुंची गायिका तृप्ति शाक्या ने परिसदन में प्रेस वार्ता में कहीं. उन्होंने कहा कि आज समाज को बचाने के लिए एक स्वच्छ मुहिम की जरूरत है. फिल्मों और संगीत में फूहड़पन को रोकने की जरूरत है. यह दो तरह से रोका जा सकता है, एक तो कलाकार अश्लीलता को तूल ने दें और दूसरा समाज के लोग उसका बहिष्कार करे. तृप्ति शाक्या ने कहा कि हम सबों की जिम्मेवारी है कि भारतीय संस्कृति व सभ्यता को सहेज कर आनेवाली पीढि़यों के लिए रखें. वे हमारी धरोहर हैं. तृप्ति शाक्या मूलत: इलाहाबाद की रहने वाली हैं. हालांकि जन्म इटावा में हुआ था. वे कभी राम बन के, कभी श्याम बन के भजन से पूरे देश में छा गयी थीं. अब तक मोहम्मद रफी अवार्ड 1994, संगीत शिखर सम्मान 2000, प्रयाग गौरव सम्मान 2002, प्रतिभा सम्मान उन्हें मिल चुका है. थावे महोत्सव को एक पहचान दिलाने के उद्देश्य से गोपालगंज पहुंची थीं.

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