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चार प्रहर पूजन से पापों से मुक्ति

गोपालगंज : भगवान आशुतोष को प्रसन्न करने के लिए शास्त्रों में महाशिवरात्रि त्रयोदशी व्रत का विधान बताया गया है. ज्योतिष विशेषज्ञ डॉ पंकज शुक्ला के अनुसार 17 फरवरी को उदया तिथि में त्रयोदशी रहेगी, जो दिन में 10.20 तक है. उसके बाद 10.21 से चतुर्दशी तिथि आयेगी, जो 18 फरवरी को प्रात: 8.12 तक रहेगी. […]

गोपालगंज : भगवान आशुतोष को प्रसन्न करने के लिए शास्त्रों में महाशिवरात्रि त्रयोदशी व्रत का विधान बताया गया है. ज्योतिष विशेषज्ञ डॉ पंकज शुक्ला के अनुसार 17 फरवरी को उदया तिथि में त्रयोदशी रहेगी, जो दिन में 10.20 तक है. उसके बाद 10.21 से चतुर्दशी तिथि आयेगी, जो 18 फरवरी को प्रात: 8.12 तक रहेगी.
फागुन अमावस्या तिथि इस बार अनुदया है. अत: फागुन अमावस्या का क्षय है. महाशिवरात्रि का पारन 18 फरवरी को किया जायेगा. इसी दिन अनुदया फागुन अमावस्या को स्नान दान किया जायेगा. मान्यता है कि भगवान शंकर का इसी दिन मां पार्वती के साथ विवाह हुआ था. सनातनधर्मी जिले के प्रमुख शिवालयों में यह उत्सव धूमधाम से मनाते हैं. पूजन अनुष्ठान के साथ ही काशी में शिव बरात भी निकाली जाती है. ईशान संहिता के अनुसार फागुन कृष्ण चतुर्दशी की अर्धरात्रि में ज्योतिलिंगों का प्रादुर्भाव हुआ था. इस कारण यह महाशिवरात्रि भव्यता से मनायी जाती है.
चार प्रहर पूजन का विधान : जो व्यक्ति निराहार रह कर रात्रि के चारों प्रहर शिव पूजन करता है, उस पर भगवान आशुतोष प्रसन्न होते हैं. व्रतीजनों को इस तिथि विशेष कर प्रात:काल स्नानादि से निवृत्त हो कर भाल में भस्म, त्रिपुंड, तिलक और गले में रु द्राक्ष की माला धारण कर हाथ में जल अक्षत लेकर व्रत संकल्प लेना चाहिए. शाम को स्नान कर के शिवालय में गंध, पुष्प, बिल्व पत्र, धतूरा पुष्प, मदार पुष्प, घृत मिश्रित गुगुल की धूप, दीप, नैवेद्य आदि सामग्री भगवान के समीप रख रात्रि के प्रथम प्रहर में पहली पूजा, द्वितीय प्रहर में दूसरी पूजा, तृतीय प्रहर में तीसरी और चतुर्थ प्रहर में चौथी पूजा करनी चाहिए.
इसे पंचोपचार या षोडशोपचार विधि से करना चाहिए. पूजन में रु द्राभिषेक, शिव मंत्र का जप, शिव मिहन्नस्रोत, शिवाष्टक, शिव सहस्त्र नाम आदि के पाठ का विधान है. शास्त्रों के अनुसार जो मनुष्य 14 वर्ष तक इस व्रत का पालन करता है, उसकी कई पीढ़ियों के पाप नष्ट हो जाते हैं. अक्षय अनंत फल और मोक्ष या शिवलोक की प्राप्ति होती है. इस दिन महाशिवरात्रि पर गंगा स्नान का बडा महत्व है. इस व्रत को भगवान श्रीराम, लंकाधिपति रावण, दक्ष कन्या सती, हिमालय कन्या पार्वती ने भी किया था.

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