* लाल व पीली बत्तियों का हो रहा सरेआम दुरुपयोग
।। संजय कुमार अभय ।।
गोपालगंज : सुप्रीम कोर्ट कानून पास करते रहे. कोर्ट फटकार लगाती रही. जब देश की सबसे बड़ी पंचायत लोकसभा मानने को तैयार नहीं हो, तो आम लोग भला उसका पालन कैसे करे. यहां तो रुतवा बनाने में कानून का गला घोंटा जा रहा है. कानून को पालन कराने वाले जिम्मेदार लोग ही कानून तोड़ रहे हैं. चाहे वे प्रशासन के अधिकारी हो या जनप्रतिनिधि. खुद को समाज में प्रभावशाली रुतवा दिखाने के लिए अपने वाहनों पर लाल और पीली बत्ती लगा कर न सिर्फ सरकार, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की सरेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं.
सोमवार को लाल और पीली बत्ती को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया तथा सख्त आदेश दिया कि किसी भी स्थिति में लाल–पीली बत्ती का दुरुपयोग न हो. सुप्रीम कोर्ट की इस सख्ती के बाद प्रभात खबर की टीम ने समाहरणालय और न्यायालय परिसर में अजीबोगरीब दृश्य को देखा. आप भी चौंक जायेंगे. इस दृश्य को देख कर :
* दृश्य एक : जिला परिवहन कार्यालय के पास सफेद रंग की स्कॉर्पियो पर पीली बत्ती सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मुंह चिढ़ा रही थी. पता करने पर स्पष्ट हुआ कि यह स्कॉर्पियो जिला भू–अजर्न पदाधिकारी एसके त्रिपाठी का निजी है. यह भी बताना जरूरी है कि निजी गाड़ी पर लाल या पीली बत्ती का उपयोग नहीं किया जा सकता.
* दृश्य दो : अनुमंडल कार्यालय के आगे एक बोलेरो पर पीली बत्ती लगी हुई थी, जिस पर जिला प्रशासन का लाल बोर्ड भी शोभा बढ़ा रहा था. पता करने पर स्पष्ट हुआ कि इस बोलेरो पर जिला नजारत के प्रभारी वरीय उपसमाहर्ता राहुल कुमार चलते हैं. दरअसल वरीय उपसमाहर्ता पीली बत्ती लगाने का अधिकार नहीं है. यह बोलेरो प्रशासन ने भाड़े पर लिया है. प्रति माह बोलेरो का भाड़ा दिया जाता है. लेकिन बोलेरो का रजिस्ट्रेशन भी प्राइवेट में है.
* दृश्य तीन : समाहरणालय परिसर में मारुति कार पर पीली बत्ती लगी हुई थी, जो निजी गाड़ी थी. यहां डीटीओ से लेकर एमवीआइ तक तथा जिलाधिकारी से एसपी तक आते–जाते हैं.
– क्या कहता है कानून
केंद्रीय मोटर वाहन नियमावली 1989 के नियम 108 (111)के आलोक में विशिष्ट व्यक्तियों के वाहन पर ही लाल या पीली बत्ती लगायी जा सकती है. इसकी सूची भी परिवहन विभाग के प्रधान सचिव ने सभी डीटीओ, एमवीआइ, मोबाइल ऑफिसर, डीएम से लेकर आयुक्त तक को देते हुए कहा कि इस अधिनियम का उल्लंघन करने वाले वाहनों पर अभियान चला कर मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 177 एवं 179 के तहत कार्रवाई की जाये.