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एंटी रैबीज इंजेक्शन. मरीजों को अस्पताल में सलाह की टॉनिक

डीएम के आदेश पर नहीं खरीदा गया एआरवीलापरवाही बढ़ा रही रैबीज का खतराअस्पतालों का चक्कर काट रहे पीडि़तप्रभात फॉलोअप (पीडीएफ लगाना है)संवाददाता, गोपालगंजजिले के किसी भी सरकारी अस्पताल में एआरवी (एंटी रैबीज वैक्सीन) उपलब्ध नहीं है. यह एक माह पूर्व समाप्त हो चुका है. यह बाजार में भी नहीं मिल रहा है. 10 फरवरी को […]

डीएम के आदेश पर नहीं खरीदा गया एआरवीलापरवाही बढ़ा रही रैबीज का खतराअस्पतालों का चक्कर काट रहे पीडि़तप्रभात फॉलोअप (पीडीएफ लगाना है)संवाददाता, गोपालगंजजिले के किसी भी सरकारी अस्पताल में एआरवी (एंटी रैबीज वैक्सीन) उपलब्ध नहीं है. यह एक माह पूर्व समाप्त हो चुका है. यह बाजार में भी नहीं मिल रहा है. 10 फरवरी को डीएम कृष्ण मोहन ने नाराजगी जताते हुए सीएस के साथ मामले की समीक्षा की थी. उन्होंने सिविल सर्जन डॉ विभेष प्रसाद सिंह को तत्काल इंजेक्शन मंगाने का आदेश दिया था. सीएस ने इंजेक्शन के लिए चार दिनों का समय मांगा था. चार दिन बाद भी सदर अस्पताल में एंटी रैबीज उपलब्ध नहीं हो सका है. प्रतिदिन आवारा कुत्तों के शिकार पीडि़त अस्पतालों का चक्कर लगा रहे हैं. सदर अस्पताल में आनेवाले मरीजों को 10 दिनों की सलाह टॉनिक दे दी जाती है. कहा जाता है कि दस दिन तक कुत्ते की निगरानी करो, यदि कुत्ते का व्यवहार बदले, तो वैक्सीन लगवाने आना. बस टिटनेस का इंजेक्शन लगा कर मरीजों को चलता कर दिया जाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि तीन महीने तक संक्रमण का खतरा बना रहता है.

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