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गंगा जमुनी तहजीब से भरा रहा कवि सम्मेलन

समाज में अमन लाने का होता रहा प्रयासकानून, प्रशासन से नहीं साहित्य से अमन की उम्मीदआपसी सद्भावना से समाज को जोड़ने की पहलसंवाददाता, गोपालगंज आज फूल की खुशबू को तितली के हवाले कर दूं, आज मिला दूूं दो सगी बहनों को कि उर्दू को हिंदी के हवाले कर दूं. देश के प्रख्यात शयर मोहतरमा अन्ना […]

समाज में अमन लाने का होता रहा प्रयासकानून, प्रशासन से नहीं साहित्य से अमन की उम्मीदआपसी सद्भावना से समाज को जोड़ने की पहलसंवाददाता, गोपालगंज आज फूल की खुशबू को तितली के हवाले कर दूं, आज मिला दूूं दो सगी बहनों को कि उर्दू को हिंदी के हवाले कर दूं. देश के प्रख्यात शयर मोहतरमा अन्ना देहलवी ने समाज के दोनों भाइयों को उनकी आखें खोलने का काम किया. बैर को मिटा कर एकजुट होने का संदेश दिया. शहर के मिंज स्टेडियम गंगा जमुनी तहजीब से भरा हुआ था. कवि सम्मेलन सह मुशायरे में देश भर के आये कवि और शायरों ने आपसी सद्भावना से समाज को झेलने की पहल की. मंच का संचालन कर रहे भागवत गीता को उर्दू मंे अनुवादित करनेवाले शायर अनवर जलालपुरी ने मंच संचालन के दौरान कहा कि समाज में विद्वेष फैला कर अपना स्वार्थ साधनेवाले लोगों के जाल से बचने का अब साहित्य ही एक अंतिम प्रयास बचा है, जबकि पटना रेडियो स्टेशन के कलाकार शंकर कैमूरी ने मंच से राज नेताओं की कलुषित षड्यंत्र से अवगत कराते हुए समाज में अमन लाने की जोरदार पहल की. उसी तरह वाहिद अली वाहिद ने अपने काव्य में कहा कि मैं साफ कर दो बोतलों में लहू लाया हूं. कोई डॉक्टर बता दे कि कौन लहू किस जाति का है. राम रहीम ने लहू में फर्क नहीं बनाया. हम क्यों फर्क करें.

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