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सुंदरकांड की यात्रा एक जीवात्मा की यात्रा है : प्रभु प्रिया

विजयीपुर : सुअरहां हंकारपुर में चल रहे शतचंडी महायज्ञ के समापन दिवस पर रविवार को उज्जैन से आयीं सुश्री प्रभु प्रिया ने समधुर संगीत से ओत-प्रोत सुंदर कांड प्रसंग का वर्णन कर सबको मंत्रमुग्ध करा दिया. उन्होंने कहा कि सुंदरकांड प्रसंग में भक्त और भगवान का मिलन होता है, इसलिए इसे सुंदर कहा गया है. […]

विजयीपुर : सुअरहां हंकारपुर में चल रहे शतचंडी महायज्ञ के समापन दिवस पर रविवार को उज्जैन से आयीं सुश्री प्रभु प्रिया ने समधुर संगीत से ओत-प्रोत सुंदर कांड प्रसंग का वर्णन कर सबको मंत्रमुग्ध करा दिया.

उन्होंने कहा कि सुंदरकांड प्रसंग में भक्त और भगवान का मिलन होता है, इसलिए इसे सुंदर कहा गया है. उन्होंने उपस्थित श्रद्धालुओं से कहा कि सुंदरकांड की यात्रा एक जीवात्मा की यात्रा है. जब एक जीवात्मा भक्ति मार्ग पर आगे बढ़ती है, तो उसके मार्ग में बहुत से अवरोधक आते हैं.
जैसे हनुमान जी के मार्ग में आये. वे सबसे पहले मैनाक पर्वत, उसके बाद सुरसा व सिंहिका नामक राक्षसी और अंत में लंकिनी से सामना करने के बाद लंका नगरी में प्रवेश कर पाये थे. सुश्री प्रभु प्रिया ने कहा कि मैनाक पर्वत आलस्य का प्रतीक है, सुरसा तृष्णा का और सिंहिका ईर्ष्या का.
जैसे हनुमान जी इन सभी को पार करते हुए समुद्र के दूसरे तट तक पहुंच जाते हैं, ऐसे ही एक भक्त को भी भक्ति मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए आलस्य, तृष्णा, ईर्ष्या, रोग, द्वेष को समाप्त करना होगा, तभी वह भक्ति पर आगे बढ़ सकता है.
उन्होंने कथा के दौरान कहा कि हनुमान जी जामवंत जी द्वारा उनका बल याद दिलाने के बाद लंका नगरी में प्रवेश कर पाये. वहां पहुंच कर सीता माता से मिलने के बाद उन्होनें रावण का शक्ति परीक्षण करने के लिए एक लीला की और अशोक वाटिका से फल खाना और वाटिका को उजाड़ना शुरू कर दिया.
इसी बीच उन्हें पकड़ने आये रावण के पुत्र अक्षय कुमार को भी मार डाला. फिर रावण के द्वितीय पुत्र मेघनाथ के ब्रह्मास्त्र का मान रखा और बंध कर रावण के दरबार पहुंचे. वहां रावण के आदेश से उनकी पूंछ में आग लगा दी गयी. फिर हनुमान जी ने पूरी लंका नगरी को जला दिया.
कथावाचिका ने किया सम्मानित : कथा के अंत में सुश्री प्रभु प्रिया ने समिति के सभी सदस्यों का सम्मान किया. उन्होंने यज्ञ समिति के संचालक को महाकालेश्वर भगवान की तस्वीर व तुलसीमाला भेंट की. कौशल किशोर सिंह सोनू ने कहा कि अगले वर्ष भी धूमधाम से इस यज्ञ की वर्षगांठ मनायी जायेगी. इस अवसर पर यज्ञ समिति संचालक के अलावा विनीत सिंह, ब्रजेश ठाकुर, वरुण सिंह, विकास ठाकुर, जयपाल सिंह, मोनू सिंह, अरुण गोड़, हरेंद्र ठाकुर, कृपाल ठाकुर आदि उपस्थित थे.

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