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ध्वस्त रेलिंग और जर्जर फर्श के बीच सफर
जर्जर सेतु पर हर पल नाच रही मौत गोपालगंज : क्या गंडक नदी पर बना डुमरिया सेतु वाराणसी के निर्माणाधीन फ्लाइओवर की तरह एक दिन खूनी बन जायेगा. मंगलवार की शाम वाराणसी में दिल दहला देने वाली हुई घटना के बाद डुमरिया सेतु को लेकर न सिर्फ चर्चाएं हो रही हैं बल्कि लोगों में भय […]
जर्जर सेतु पर हर पल नाच रही मौत
गोपालगंज : क्या गंडक नदी पर बना डुमरिया सेतु वाराणसी के निर्माणाधीन फ्लाइओवर की तरह एक दिन खूनी बन जायेगा. मंगलवार की शाम वाराणसी में दिल दहला देने वाली हुई घटना के बाद डुमरिया सेतु को लेकर न सिर्फ चर्चाएं हो रही हैं बल्कि लोगों में भय भी है.
कारण है, डुमरिया सेतु की जर्जर स्थित. वर्ष 2016 में जब महाराष्ट्र में सेतु गिरने का हादसा हुआ, तब भी डुमरिया सेतु को लेकर सवाल खड़े किये गये थे. लोगों ने महाराष्ट्र का दर्द भुला दिया गया. इस बार वाराणसी की घटना ने तो लोगों को झकझोर ही दिया है. डुमरिया सेतु पर नजर दौड़ाएं, तो 70 के दशक में करोड़ों की लागत से इसका निर्माण कराया गया था. तब न सिर्फ सारण और चंपारण की दूरी घटी, बल्कि दिल्ली से गुवाहाटी तक सीधे रोडवेज से जुड़ गया. रखरखाव का अभाव और मरम्मत में लूट-खसोट जारी रहा और विगत एक दशक से पुल जर्जर हो चुका है.
हालात ये हैं कि सेतु की दोनों ओर की रेलिंग टूट चुकी है. सतह खंडहर हो चुका है. टूटी रेलिंग और खंडहर सतह पर जब गाड़ियां पार करती हैं, तो यात्री अपनी आंखें भय से बंद कर लेते हैं. पुल कब ध्वस्त हो जाये कहना मुश्किल है. इसके समानांतर एक नये सेतु का निर्माण वर्ष 2007 में शुरू हुआ. वर्ष 2011 में निर्माणाधीन सेतु का स्लैब सहित पाया ही धंस गया और निर्माण कंपनी इसके बाद फरार हो गयी. प्रतिदिन औसतन 50 हजार लोग इस सेतु से सफर करते हैं.
जाम लगना तो सेतु पर आम बात है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि जो डेंजर बन चुका है, आखिर उस पर निगरानी क्यों नहीं? आखिर खुशियों का सफर भय के बीच कब तक होगा? एनएचएआई के परियोजना निदेशक मनोज पांडेय ने बताया कि पुल के लिए दोबारा टेंडर की प्रक्रिया में है. जल्दी ही उसे पूरा करा कर तैयार करा लिया जायेगा.
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